निर्देशक: प्रदीप खैरवार
कलाकार : कशिका कपूर, अनुज सैनी, प्रणय दीक्षित, अतुल श्रीवास्तव, अलका अमीन
अवधि: 2 घंटे 19 मिनट
निर्माता: प्रदीप खैरवार और शानू सिंह राजपूत
रेटिंग : 3.5 स्टार्स


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कुछ हल्की-फुल्की कहानियां ऐसी होती हैं कि वह बिग बजट फिल्मों पर भी भारी पड़ जाती हैं. ये सीधे दिलों में उतरती हैं और सालों-साल के लिए दिमाग में छाप छोड़ जाती है. ऐसी ही एक हल्की-फुल्की सी फिल्म 18 अक्टूबर 2024 को आ रही है जिसका नाम है 'आयुष्मती गीता मैट्रिक पास'. इसकी कहानी बिल्कुल इसके टाइटल की तरह है सिंपल और दिल में उतर जाने वाली. चलिए बताते हैं आखिर कैसी है ये फिल्म.


आयुष्मती गीता मैट्रिक पास की कास्ट की बात करें तो इसमें लीड रोल में कशिका कपूर और अनुज सैनी हैं तो अतुल श्रीवास्तव, अलका अमीन अनुज सैनी सपोर्टिंग रोल में हैं. फिल्म के निरमाता प्रदीप खैरवार और शानू सिंह राजपूत हैं. फिल्म को प्रदीप खैरवार ने डायरेक्ट किया है. जिसमें जी म्यूजिक का संगीत तड़का लगाने का काम करता है.


आयुष्मती गीता मैट्रिक पास की कहानी
फिल्म की कहानी पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहने वाले पंडित विद्याधर त्रिपाठी (अतुल श्रीवास्तव) और उनकी बेटी गीता( कशिका कपूर) से शुरू होती है. गीता की मां ने उसके पिता से वादा लियाथा कि वह उसकी शादी मैट्रिक पास करवाकर ही की जाए. ऐसे में पंडित विद्याधर भी इस दुनिया को अलविदा कह चुकी पत्नी को दिया वादा निभाने के लिए बेटी को खूब पढ़ाना लिखाना चाहते हैं. मगर गीता को इस बीच प्यार कुंदन (अनुज सैनी) से प्यार हो जाता है. दोनों शादी का सपना भी देखते हैं. लेकिन पिता ने साफ कह दिया है कि जब तक मैट्रिक नहीं हो जाती ये शादी नहीं हो सकती. 



अब जैसे तैसे दोनों की तड़पन और पढ़ाई चल ही रही थी लेकिन पहला मोड़ तब आता है जब गीता पास नहीं हो पाती. मतलब मैट्रिक पास नहीं तो शादी नहीं. अब इस बीच गीता एक ऐसा कदम उठा लेती है जिससे उसके पिता की समाज में किरकिरी होती है. मगर एक दिन उसे अपनी किए का पछतावा होता है तो वह अपनी मां का वादा पूरा करने के लिए ठान लेती है कि वह मैट्रिक पास करके ही रहेगी. इस जंग में कुंदन उसका साथ देता है. मगर ये राह इतनी भी आसान नहीं जितना गीता और कुंदन ने सोचा था. अब कैसे गीता जिंदगी और स्कूल की परीक्षाओं से कैसे गुजरती है आप ये इस फिल्म में देखते हैं.


आयुष्मती गीता मैट्रिक पास का रिव्यू
सबसे पहले बात करते हैं कास्ट की, तो कशिका कपूर लीड रोल में हैं, जिनके इर्द-गिर्द कहानी घूमती हैं. वह रोल के हिसाब से परफेक्ट नपी-तुली एक्टिंग करती हैं. न ज्यादा न कम. कहानी के फ्लो के साथ साथ वह भी ढलती जाती हैं. कभी चुलबुला अंदाज तो कभी इमोशनल कर देती हैं. वहीं अनुज का जो रोल है वो आम हीरो सा नहीं है. आठवीं पास लड़के के रोल को उन्होंने बिल्कुल नेचुरल तरह से पेश किया है. साथ ही अतुल श्रीवास्तव तो हिंदी सिनेमा के मजे हुए कलाकार हैं ही और इतने सालों का एक्सपीरियंस साफ स्क्रीन पर झलकता है.


निर्देशक प्रदीप खैरवार की बात करें तो वह अब तक कई शॉर्ट फिल्मों और वीडियो के जरिए काम करते रहे हैं. लेकिन बतौर फिल्म डायरेक्टर ये उनकी पहली फिल्म है. उनका चैलेंज था कि हल्की फुल्की कहानी को बराबर तड़का लगाना. एक गंभीर कहानी को मनोरंजन तरीके से दिखाना. पहली परीक्षा में तो प्रदीप खैरवार पास होते नजर आते हैं.


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फिल्म में पांच गाने हैं. जो कहानी को आगे बहाने का काम करते हैं. लोक गायिका रेखा भारद्वाज की आवाज में रंगरेजा दिल को छू लेता है. हालांकि लोकेशन और विजुअल्स के हिसाब से मेहनत और की जा सकती थी. ताकि इस फिल्म को औसत से ऊपर उठाया जा सके.