Actor Ajit Khan: बीती सदी के आखिरी दशक में भारत में आर्थिक सुधारों के दरवाजे खोलने वाले कांग्रेसी (Congressman) प्रधानमंत्री (Prime Minister) पी.वी. नरसिम्हा राव (P.V. Narasimha Rao) राजनेता होने के साथ साहित्यकार भी थे. वह 17 भाषाएं बोल सकते थे. तेलुगु (Telugu) मातृभाषा थी. 1921 में तत्कालीन हैदराबाद रियासत के एक छोटे-से गांव में पैदा हुए नरसिम्हा राव ने शुरुआती जीवन में कठिनाइयां उठाई और रिश्तेदारों के घर रह कर पढ़ाई की. इसी दौरान जब वह जूनियर कॉलेज में पहुंचे तो 1960 के दशक के हीरो और 1989-90 के दशक के दिग्गज विलेन अजित (Villain Ajit) भी वहीं पढ़ने के लिए आए थे. दोनों की उम्र में करीब छह महीने का ही फर्क था. नरसिम्हा राव जून 1921 में पैदा हुए थे, जबकि अजित जनवरी 1922 में. अजित का असली नाम हामिद अली खान था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ऐसे हुई पढ़ाई
इस शानदार एक्टर की जीवनी ‘अजितः द लायन’ (Ajit : The Lion) में जीवनीकार इकबाल रिजवी (Iqbal Rizvi) ने लिखा है कि हाई स्कूल खत्म करने के बाद हामिद अली खान ने वारंगल जिले के हनामकोंडा गवर्नमेंट जूनियर कॉलेज में एडमिशन लिया. संयोग से, इस जूनियर कॉलेज में देश के नौवें प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव उनके सीनियर थे. दोनों एक ही हॉस्टल ( Collage Hostel) में रहा करते थे. उल्लेखनीय है कि राव ने परिजनों से दूर रहते हुए कठिन आर्थिक स्थितियों में पढ़ाई की थी. जबकि अजित के पिता बशीर अली खान हैदराबाद (Hyderabad) के नवाब की सेना में घोड़ों की देखभाल करने वेटरनिटी ऑफिसर थे. वे अफगान (Afghan) थे और अपने पिता के साथ इस रियासत में आए थे. उस दौर में भारत पर अंग्रेजों का शासन (British Rule) था.


घर से फरार
नरसिम्हा राव ने जूनियर कॉलेज के बाद आगे उस्मानिया युनिवर्सिटी में एडमिशन लिया. वहां पढ़ाई अधूरी रहने के बाद नागपुर विश्वविद्यालय से लॉ में मास्टर्स डिग्री हासिल की. दूसरी तरफ हामिद अली खान उर्फ अजित की जिंदगी कॉलेज जाने पर बदल गई. उन्हें फुटबॉल (Football) और क्रिकेट (Cricket) का शौक पहले ही था. कॉलेज में झुकाव ड्रामा की तरफ हो गया. उन्होंने तय कर लिया कि फिल्मों में एक्टिंग करनी है. उनके पिता अपने बेटे को सेना में भेजना चाहते थे क्योंकि परिवार की यही परंपरा थी. उस जमाने में नाटक और फिल्मों में काम करना अच्छी बात नहीं मानी जाती थी. ऐसे में उनके लिए पिता से दिल की बात कह पाना कठिन था. उन्होंने अपनी मां से जरूर मन की बात कही, परंतु उन्होंने भी विरोध किया.


लायन और हाफ लायन
जिस तरह से अजित झुकाव नाटकों की तरफ बढ़ रहा था, उसे देखते हुए एक अंग्रेज प्रोफेसर ने कहा कि वे या तो आर्मी में भर्ती हो जाएं या फिल्मों में काम करने मुंबई (Mumbai) चले जाएं. कॉलेज की फीस और किताबों में पैसा बेकार न करें. तब एक दिन अजीत ने अपने कॉलेज की किताबें बेच दी. मां से कुछ और पैसे लिए. घर में किसी को बताए बगैर वे मुंबई भाग गए. रेल का टिकट (Rail Ticket) निकालने के बाद उनकी जेब में 113 रुपये थे, जो उस जमाने के लिए हिसाब से अच्छी रकम थी. पी.वी. नरसिम्हा राव (P.V. Narasimha Rao) ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के बाद भारत (India) को आधुनिकता के रास्ते पर बढ़ाते हुए उसे दुनिया की मुख्य धारा में पहुंचा दिया. उनकी इस कहानी को लिखने वाले राइटर विनय सीतापति (Vinay Sitapati) ने अपनी किताब में उन्हें हाफ लायन (Half Lion) कहा है. नर-सिंह. यह संयोग ही है कि जूनियर कॉलेज के दिनों में हाफ लायन यानी राव के जूनियर रहे ऐक्टर-विलेन अजित को पूरा बॉलीवुड और सिनेमा के दीवाने लायन के नाम से जानते हैं.