Azadi Ke Gaane: 15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने से पहले, अंग्रेजी राज में फिल्में बनाना आसान काम नहीं था. अंग्रेजों का सेंसर बोर्ड था और वह ध्यान रखता था कि ऐसी कोई बात पर्दे पर न जाए, जिससे भारतीयों के आजादी के आंदोलन को किसी तरह की हवा मिले. लोगों में देशप्रेम की भावनाएं जागें. लेकिन ऐसा नहीं है कि फिल्म निर्माता-निर्देशक खामोश बैठते थे. वे कहानी में किरदारों-संवादों-गीतों के बहाने ऐसे रास्ते ढूंढ ही लेते थे, जिससे दर्शकों में देशप्रेम की भावनाएं लहराने लगे. उसी दौर में बने कुछ देशभक्ति गीत (Patriotic Songs) आज भी बहुत लोकप्रिय हैं. ये आज भी राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिल्मों में ऐसा सबसे पहला गीत कब आयाॽ हम बताते हैं.


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जय जय जननी जन्मभूमि
देशप्रेम के सबसे शुरुआती गीतों में अशोक कुमार अभिनीत फिल्म जन्मभूमि (1936) का गाना मिलता है. इस गाने के बोल थे, जय जय जननी जन्मभूमि.... यह गाना आज भी यूट्यूब (Youtube Songs) पर मिलता है और आप देख-सुन सकते हैं. जे.एस.कश्यप ने लिखा था. जबकि इस गीत को संगीत में पिरोया था, सरस्वती देवी (Sarswati Devi) ने. असल में वह एक पारसी महिला, जिनका असली नाम खुरशीद मिनोचर-होमजी था. लेकिन उस दौर में महिलाओं के लिए बाहर निकलकर काम करना, फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बनना अच्छी नजर से नहीं देखा जाता था. खुरशीद पारसी थीं और जब पारसी समाज के लोगों को पता चला कि वह फिल्मों के लिए संगीत बना रही हैं, गा रही हैं तो वे बहुत नाराज हुए.



चल चल रे नौजवान
सरस्वती देवी 1930 के दशक की शानदार संगीत निर्देशक थीं. वह अपने समय के सबसे बड़े स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज में बतौर संगीत निर्देशक नौकरी करती थीं. उन्होंने बॉम्बे टॉकीज (Bombay Talkies) के लिए कई हिट फिल्मों का संगीत तैयार किया था. हिमांशु राय (Himanshu Roy) ने उनके फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले उनके समाज के लोगों को समझाया कि वह खुरशीद का नाम बदल कर पर्दे पर देंगे, जिससे उन्हें बदनामी का कोई डर नहीं रहेगा. अतः उन्होंने खुरशीद को सरस्वती देवी नाम दिया. अछूत कन्या का मैं बन की चिड़िया बनके... जैसा प्रसिद्ध गाना उन्होंने ही तैयार किया. यही नहीं, जय जय जननी जन्मभूमि के बाद उन्होंने एक और यादगार-अमर देशभक्ति बनाया. 1940 की फिल्म बंधन में यह गाना था, चल चल रे नौजवान.... इसे अशोक कुमार (Ashok Kumar) ने गाया और अभिनीत किया था. गाना कवि प्रदीप ने लिखा था. आज भी 15 अगस्त (15 August) पर यह गाना खूब बजता है.