Junior Mehmood Throwback Last Interview: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता जूनियर महमूद का निधन पिछले साल दिसंबर में 67 साल की उम्र में हुआ. जूनियर महमूद ने अपने करियर की शुरुआत एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर की थी. उन्होंने कई भाषाओं वाली 250 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. उन्होंने अपने दमदार अभिनय से फैंस के बीच अपनी जबरदस्त पहचान बनाई. जूनियर महमूद ने हिंदी सिनेमा में 60 और 70 से लेकर कई दर्शकों तक इंडस्ट्री पर राज किया. 


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उन्होंने अपने करियर में ‘नौनिहाल’, 'कटी पतंग', 'मेरा नाम जोकर', 'परवरिश' और 'दो और दो पांच' समेत कई हिट फिल्मों में काम किया. इसी बीच उन्होंने अपने एक थ्रोबैक और लास्ट इंटरव्यू में अपने करियर और पहली फिल्म के बारे में बात की थी. उन्होंने बताया था कि कैसे उनको उनकी पहली फिल्म मिली थी, जिसके लिए उनको 5 रुपये मिले थे. जूनियर महमूद का असली नाम मोहम्मद नईम सैय्यद (Mohammad Naeem Syed) था. 



कैसे पडा जूनियर महमूद नाम?


अपने नाम के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया था, 'मेरा जन्म और परवरिश एक बहुत ही साधारण परिवार में हुआ था. मेरे पिता मसूद अहमद सिद्दीकी रेलवे में इंजन ड्राइवर थे और मेरा नाम उन्होंने मोहम्मद नईम सैय्यद रखा था. जब इंडस्ट्री में उनकी एंट्री हो चुकी थी, तब एक बार महमूद साहब ने अपनी बेटी जिन्नी के पहले जन्मदिन पर मुझे बुलाया था, जिसके बाद मैं अपने पिता के साथ उनके घर पहुंचा, जहां मैंने उनके गाने 'काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं' पर डांस किया बस यहीं से मुझे जूनियर महमूद कहा जाने लगा'. 


कैसे मिली पहली फिल्म?


अपनी पहली फिल्म के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया था, 'इंडस्ट्री में मेरी शुरुआत मेरे बड़े भाई के शौक से हुई थी. वो फिल्मों में स्टिल फोटोग्राफी करते थे. साथ ही वो कमाल के मिमिक्री आर्टिस्ट थे. उनको एक्टिंग का बहुत शौक था. एक दिन वो मुझे शूटिंग दिखाने ले गए, जहां ‘कितना नाज़ुक है दिल’ फिल्म की शूटिंग चल रही थी जिसमें  कॉमेडियन जॉनी वॉकर थे. शूटिंग के दौरान फिल्म का चाइल आर्टिस्ट बार-बार अपनी लाइनें भूल जा रहा था. 



एक टेक में सीन करने पर मिले थे पांच रुपये 


इतने में मेरे मुंह से निकल पड़ा, ‘अमां, इतनी सी लाइन नहीं बोल पा रहा और आ गया एक्टिंग करने’. इसके बाद फिल्म के निर्देशक ने सुना और ये सीन मुझे करने को दिया. मैंने डायलॉग याद किया और एक ही टेक में सीन पूरा कर दिया. वहां मौजूद लोगों ने तालियां बजाई और मुझे पांच रुपये मिले. तब मैं आठ साल का था.