Farhan Akhtar Jee Le Zaraa: हिंदी सिनेमा में महिला केंद्रित फिल्में भले ही कम बनाई जाती हों लेकिन ये हमेशा से फिल्ममेकर्स का पसंदीदा विषय रहा है. दशकों से ऐसी फिल्में थोड़ी हटके और कल्ट क्लासिक सिनेमा का हिस्सा बनती रहीं. कुछ समय पहले फरहान अख्तर (Farhan Akhtar) ने भी ऐसी ही एक फिल्म की अनाउंसमेंट की है. जिसका टाइटल है जी ले जरा जो तीन महिलाओं की रोड जर्नी पर बेस्ट होगी. लेकिन जी ले जरा नहीं बल्कि आज हम बात करेंगे 41 साल पहले रिलीज हुई फिल्म नमकीन की जो 4 दशक पहले की जी ले जरा ही है. 


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ना तीखी ना खट्टी..’नमकीन’ है जिंदगी
1982 में गुलजार ने फिल्म का निर्देशन किया था जिसका नाम था नमकीन. ये फिल्म 4 महिलाओं मुख्य रूप से 3 के इर्द गिर्द घूमती है और साथ ही बताती है कि जिंदगी वाकई कितनी नमकीन है. फिल्म में शर्मिला टैगोर, शबाना आजमी और किरण वैराले तीन बहनों के रोल में हैं तो वहीं इनकी मां का किरदार निभाया है एक्ट्रेस वहीदा रहमान ने. संजीव कुमार फिल्म में लीड रोल में थे लेकिन फिर भी इस फिल्म का सेंटर ऑफ एट्रेक्शन महिला किरदार ही थे. 



संजीव कुमार गेरूलाल नाम क ड्राइवर की भूमिका में हैं जो वहीदा रहमान के घर एक कमार किराए पर लेते है. धीरे धीरे वो परिवार के सदस्य की तरह हो जाता है और बड़ी बेटी शर्मिला टैगोर को दिल दे बैठता है लेकिन शर्मिला शादी से इंकार कर देती है जिसके बाद गेरूलाल वहां से चला जाता है. कुछ सालों बाद कहानी तब करवट लेती है जब गेरूलाल की मुलाकात सालों बाद फिर इस परिवार की छोटी बेटी से होती है जो अब नौटंकी में नाचने वाली नर्तकी बन चुकी है.  



फिल्म की कहानी को मिला था फिल्मफेयर अवॉर्ड
उस दौर में इस फिल्म की पॉपुलैरिटी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसने नेशनल अवॉर्ड, फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते. तो वहीं बेस्ट सपोर्टिंग रोल्स में वहीदा रहमान और किरण वैराले को नॉमिनेट किया गया. अब फरहान भी तीन महिलाओं को लेकर फिल्म बनाने की सोच रहे हैं. अनाउंसमेंट हो चुकी है और शूटिंग शुरू होने का फिलहाल इंतजार हो रहा है. जाहिर ये फिल्म आज के दौर का नयापन लिए होगी. 


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