`पद्मावत` विवाद: जब रिलीज के लिए तरस रही इन फिल्मों को खटखटाना पड़ा SC का दरवाजा
सनी देओल और साक्षी तंवर की व्यंग्यात्मक फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ लंबे समय तक सेंसर बोर्ड के दरवाजे पर पड़ी रही, लेकिन सेंसर बोर्ड ने इसे पास नहीं किया.
नई दिल्ली: अपने निर्माण के समय से ही विवादों में घिरी फिल्म 'पद्मावत' के मेकर्स को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिल गया है. आज सुप्रीम कोर्ट ने इस फिल्म के मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात द्वाारा फिल्म की रिलीज पर लगाए एक प्रतिबंध के आदेश पर रोक लगा दी है. यानी अब इस फिल्म की देशभर में रिलीज को कोर्ट का भी ग्रीन सिग्नल मिल गया है. लेकिन यह पहली बार नहीं हुआ है, जब विवादों में घिरी किसी फिल्म को कानून की तरफ से जीवनदान मिला है. कई बार जहां फिल्में सेंसर बोर्ड के दरवाजे पर ही अटक जाती हैं तो कई फिल्मों को सेंसर बोर्ड की हरी झंडी मिलने के बाद भी विरोध का सामना करना पड़ता है.
'मोहल्ला अस्सी'
सनी देओल और साक्षी तंवर की व्यंग्यात्मक फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ लंबे समय तक सेंसर बोर्ड के दरवाजे पर पड़ी रही, लेकिन सेंसर बोर्ड ने इसे पास नहीं किया. हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस फिल्म के लिए सेंसर बोर्ड द्वारा प्रस्तावित 10 में से 9 कट रद्द करते हुए 12 दिसंबर को उसे निर्देश दिया कि वह एक हफ्ते के भीतर फिल्म को ‘ए’ प्रमाण पत्र दे. बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 30 जून 2015 को फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी. अदालत ने पहली नजर में इससे धार्मिक भावनाएं आहत होने के मद्देनजर इसके प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी. क्रॉसवर्ड ने अपनी याचिका में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के 14 जून 2016 और एफसीएटी के 24 नवंबर 2016 के आदेश को चुनौती दी थी.
'इंदु सरकार'
निर्देशक मधुर भंडारकर की इस फिल्म सेंसर बोर्ड से तो पास हो गई, लेकिन इस फिल्म की रिलीज रोकने के लिए खुद को दिवंगत संजय गांधी की जैविक बेटी बताती एक महिला ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘इंदु सरकार’ के 28 जुलाई, 2017 की रिलीज का रास्ता साफ कर दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, 'यह फिल्म कानून के दायरे में एक ‘‘कलात्मक अभिव्यक्ति’’ है और इसकी गुरुवार की रिलीज को रोकने का कोई औचित्य नहीं है.'
लिपस्टिक अंडर माय बुर्का
फिल्मनिर्माता प्रकाश झा की फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ को सेंसर बोर्ड ने ही सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया. सेंसर बोर्ड ने यह कहते हुए इस फिल्म की रिलीज को लटकाया कि इस फिल्म की कहानी महिला उन्मुखी और जीवन के बारे में उनकी कल्पना को लेकर है. उसमें यौन दृश्य, अपशब्द, आडियों पॉर्नोग्राफी और समाज के एक विशेष वर्ग के बारे में थोड़ी संवेदनशील चीजें हैं और इसलिए फिल्म को नियमों के तहत प्रमाणित करने से इनकार कर दिया गया.' निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव और निर्माता प्रकाश झा ने एफसीएटी में अपील दाखिल की थी. फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (एफसीएटी) ने सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया है कि फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ को ‘ए’ प्रमाणपत्र दिया जाए.