Junior Mehmood Movies: हिंदी सिनेमा जगत में एक ऐसा दौर था जब जूनियर महमूद के नाम का सिक्का चलता था. लेकिन क्या आप जानते हैं 'मेरा नाम जोकर', 'परवरिश', 'हाथी मेरे साथी' जैसी फिल्मों से अपना जादू चलाने वाले एक्टर का असल नाम जूनियर महमूद नहीं बल्कि नईम सैय्यद था. जी हां...नईम सैय्यद को जूनियर महमूद नाम उनकी पहली फिल्म के बाद मिला था. आइए, यहां जानते हैं आखिर जूनियर महमूद नाम मिलने के पीछे क्या खास था. 


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कैसे मिला नईम सैय्यद को जूनियर महमूद नाम?


नईम सैय्यद का जन्म 1956 में हुआ था, महज 9 साल की उम्र में फिल्म 'मोहब्बत जिंदगी है' (1966) से उन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की. फिर साल 1968 में 'सुहाग की रात' फिल्म आई, जहां पहली बार नईम को दिग्गज एक्टर और सिंगर महमूद के साथ काम करने का मौका मिला, जहां उन्होंने अपनी अदाकारी से हर किसी को इंप्रेस किया. एंटरटेनमेंट रिपोर्ट्स की मानें तो फिल्म के बाद एक बार महमूद ने अपनी बेटी की बर्थडे पार्टी में बुलाया. जहां नईम ने महमूद के फेमस गाने 'हम काले हैं तो क्या हुआ...' पर जमकर डांस किया. नईम के डांस और हाव-भाव देख महमूद इतने इंप्रेस हुए कि नईम को 'जूनियर महमूद' का टाइटल दे दिया. नईम ने भी फिर इसी टाइटल के साथ अपना फिल्मी करियर बनाया. 



कैसे मिली पहली फिल्म?


जूनियर महमूद को पहली फिल्म मिलने का किस्सा भी बड़ा अतरंगी है. बता दें, जूनियर महमूद के बड़े भाई फिल्म सेट पर फोटोग्राफी का काम करते थे. ऐसे में बचपन से ही जूनियर महमूद फिल्म सेट पर जाने लगे थे. एक बार वह अपने भाई के साथ सेट पर गए. जहां एक फिल्म की शूटिंग हो रही थी और चाइल्ड एक्टर का सीन फिल्माया जा रहा था. लेकिन चाइल्ड एक्टर डायलॉग नहीं होल पा रहा था, तब बाहर खड़े नईम (जूनियर महमूद) ने कमेंट कर डाला कि 'इतना सा नहीं बोला जा रहा'. जूनियर महमूद की यह बात सुनने के बाद डायरेक्टर ने कहा अगर तुम बोल सकते हो तो तुम्हें यह मौका मिलेगा. बस इसी के बाद 9 साल की उम्र में जूनियर महमूद को फिल्म 'मोहब्बत जिंदगी है' मिली.