कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ विवाद के चलते कानूनी पचड़ों में पड़ गई है. इसलिए 6 सितंबर 2024 को फिल्म रिलीज नहीं हो पाई है. अब कंगना रनौत ने फिल्म की रिलीज टलने को लेकर बयान भी दिया है. जहां उन्होंने फैंस को वादा किया है कि वह जल्द ही ‘इमरजेंसी’ की नई रिलीज डेट का ऐलान करेंगी. चलिए बताते हैं आखिर क्यों ‘इमरजेंसी’ की रिलीज डेट टली है.


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कंगना रनौत ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. ‘इमरजेंसी’ देशभर के सिनेमाघरों में शुक्रवार को रिलीज होने वाली थी, लेकिन निर्माताओं को अभी तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से मंजूरी नहीं मिली है और मामला फिलहाल अदालत में है. इस मामले में कोर्ट में अब 19 सितंबर को सुनवाई है. इसके बाद ही साफ हो पाएगा कि आखिर कब तक फिल्म रिलीज हो पाएगी. बाकी कंगना रनौत की ओर से मेकर्स ने फिल्म की सारी तैयारी कर रखी है. 


रिलीज डेट पोस्टपोन होने पर क्या बोलीं कंगना रनौत
हिमाचल प्रदेश के मंडी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद रनौत ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "भारी मन से मैं यह ऐलान कर रही हूं कि मेरे निर्देशन में बनी फिल्म 'इमरजेंसी' की रिलीज स्थगित कर दी गई है, हम अभी भी सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र का इंतजार कर रहे हैं, नई रिलीज की तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी." 



क्यों मचा है ‘इमरजेंसी’ पर विवाद
‘इमरजेंसी’ में रनौत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका में हैं. यह फिल्म कई बार टलने के बाद छह सितंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन इसे अभी तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से मंजूरी नहीं मिली है. शिरोमणि अकाली दल सहित सिख संगठनों द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद ‘इमरजेंसी’ विवाद में फंस गयी है, जिसमें समुदाय को गलत तरीके से प्रस्तुत करने और ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया गया है.


कोर्ट ने आखिर ‘इमरजेंसी’ को लेकर सेंसर बोर्ड से क्या कहा
फिल्म की निर्माता कंपनी ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सीबीएफसी को फिल्म के लिए प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. बंबई उच्च न्यायालय ने सेंसर बोर्ड को फिल्म के तत्काल प्रमाणन संबंधी कोई भी निर्देश देकर तुरंत राहत देने से चार सितंबर को इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कहा कि वह मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा जारी उस निर्देश के मद्देनजर तत्काल कोई राहत नहीं दे सकती, जिसमें सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया गया है कि वह फिल्म के प्रमाणन से पहले आपत्तियों पर विचार करे.


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