Kashmir Film Shooting: कश्मीर के साथ फिल्मों का प्यार बरकरार है. इस साल जम्मू-कश्मीर में 200 फिल्मों की शूटिंग के बाद अब कश्मीर, अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की मेजबानी कर रहा है. इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में 16 देशों की 30 फिल्में दिखाई जा रही हैं. कश्मीर में लगभग तीन दशक के बाद सिनेमा फिर जिंदा हो रहा है. एक दौर में कश्मीर फिल्ममेकर्स की पसंदीदा जगह था. एक बार फिर स्थितियां करवट बदल रही हैं. इस साल कश्मीर घाटी में सरकार ने 200 से अधिक फिल्म निर्माताओं को शूटिंग की अनुमति दी. अब श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (TIFFS) की मेजबानी कर रहा है.


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अपने-अपने फेस्टिवल
यह फिल्म महोत्सव बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय सिनेमा समेत तमाम अन्य फिल्म निर्माताओं को एक मंच पर लाया है. इस महोत्सव के लिए 37 देशों से 200 से अधिक प्रविष्टियां आई थीं, जिनमें जूरी ने 17 देशों से 30 फिल्मों की स्क्रीनिंग का निर्णय लिया. इनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को पुरस्कृत किया जाएगा. महोत्सव में अर्जेंटीना, क्यूबा, रूस और यूके जैसे देश भाग ले रहे हैं. टीआईएफएफएस के निदेशक राकेश रोशन भट्ट ने कहा, ‘दुनिया भर के सभी शहरों में अपने-अपने फिल्म फेस्टिवल होते हैं, जैसे कान, टोरंटो, शंघाई और मेलबर्न. अगर फिल्म फेस्टिवल नहीं होता, तो हम कान शहर को कभी नहीं जान पाते. फिल्म फेस्टिवल एक नई छवि देते हैं.’


सबका पसंदीदा कश्मीर
मिथुन चक्रवर्ती के साथ डिस्को डांसर और डांस डांस जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाने वाले निर्देशक बी सुभाष इस महोत्सव के मुख्य अतिथि थे. उन्होंने कहा कि कश्मीर हमेशा से फिल्म निर्माताओं का पसंदीदा स्थल रहा है और सरकार को इसे और बढ़ावा देने की जरूरत है. श्रीनगर में फिल्म महोत्सव की मेजबानी से घाटी को बहुत फायदा होगा. 1960, 1970 और 1980 के दशक के दौरान सैकड़ों फिल्मों की शूटिंग घाटी में हुई थी. सरकार को सब्सिडी प्रदान करनी चाहिए ताकि और अधिक फिल्म निर्माता यहां आ सके. अब कश्मीर आधुनिक हो गया है और मैं फिल्म निर्माताओं के बीच एक बार फिर इसे प्रचारित करूंगा.


युवाओं के लिए प्रेरणा
स्थानीय मेकर्स और दर्शक बड़ी संख्या में यहां फिल्में देखने और अन्य फिल्म निर्माताओं से बातचीत करने के लिए आ रहे हैं. स्थानीय फिल्म निर्माता शफीक अहमद ने कहा कि इस फेस्टिवल से युवा पीढ़ी के बीच संदेश जाएगा. युवा ऐसे आयोजनों से प्रेरित होते हैं. हम घाटी में ऐसे और भी आयोजन चाहते हैं. इस दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन 26 अक्तूबर को होगा. कला संस्कृति और फिल्मों से जुड़े लोगों ने कहा कि यह कश्मीर फिल्म पर्यटन के लिए बड़ा बढ़ावा है और इससे जम्मू कश्मीर को कला संस्कृति की राह पर वापस लाने में मदद मिलेगी.