Lalita Pawar: हिंदी फिल्मों के इतिहास में अगर पर्दे पर दिखने वाली किसी महिला से सबसे ज्यादा नफरत की गई, तो वह थीं ललिता पवार. दिग्गज निर्माता-निर्देशक वी.शांताराम की फिल्म दहेज (1952) से उन्होंने क्रूर सास का जो रोल पर्दे पर निभाना शुरू किया, वह दूरदर्शन के सीरियल रामायण (1987-88) में मंथरा की भूमिका तक पहुंचा. रामायण में आप ललिता पवार को देखने के बाद विश्वास नहीं कर पाएंगे कि मंथरा कोई और भी हो सकती है. लेकिन ललिता पवार शुरू से ऐसी नहीं थीं, जैसे कोई भी पैदाइशी बुरा इंसान नहीं होता. एक अमीर परिवार में पैदा हुईं ललिता पवार ने मात्र 12 साल की उम्र में पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र (1928) की थी. वह मूक फिल्मों के दौर में हीरोइन बनीं और अपने समय में उन्होंने पर्दे पर बेहद बोल्ड कपड़े पहने. वह ग्लैमरस एक्ट्रेस थीं.


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एक थप्पड़ की गूंज
ऐसे समय जबकि ललिता पवार अपने करियर में लगातार लीड हीरोइन के रोल कर रही थीं और बोलती फिल्मों का दौर शुरू हो चुका, तभी इस एक्ट्रेस की जिंदगी हमेशा-हमेशा के लिए बदल गई. फिल्म जंग-ए-आजादी की शूटिंग के दौरान एक्टर भगवान दादा (Bhagwan Dada) ने सीन की डिमांड के मुताबिक ललिता पवार को एक थप्पड़ मारा. यह थप्पड़ इतने जोर से कुछ इस तरह ललिता पवार को लगा कि उनका चेहरा लकवाग्रस्त हो गया. कहा जाता है कि डॉक्टर ने शुरू में उनका गलत इलाज किया और बात बिगड़ती गई. इस लकवे और गलत इलाज में ललिता पवार की एक आंख भी खराब हो गई. तीन साल तक इलाज के बाद वह स्वस्थ तो हुईं मगर चेहरा बिगड़ गया. लगा कि उनका करियर खत्म हो गया.


नर्म दिल मिसेज डिसूजा
ललिता पवार को वी.शांताराम ने समझाया कि वह पर्दे पर लौटें. खुद उन्होंने अपनी फिल्म दहेज में ललिता पवार को क्रूर सास का रोल दिया. इस ट्रेजिक फिल्म में बेरहम सास के रोल को ललिता पवार ने इतने अच्छे ढंग से निभाया कि फिर उन्हें ऐसी ही सास के रोल मिलने लगे. हिंदी फिल्मों में वह बहू को सताने वाली सास का प्रतिनिधि चेहरा बन गईं. सास के रोल में ललिता पवार के मुंह से निकले कुलटा, कमीनी, कलमुंही और करमजली जैसे शब्द देखने के वालों के दिमाग में करंट दौड़ा देते थे. उन दिनों लोग ईश्वर से यही प्रार्थना करते कि उनकी बेटी को कभी ललिता पवार जैसी सास न मिले. बहू को सताने वाली सास को लोग ‘ललिता पवार’ कहने लगे. एक के बाद एक वह नेगेटिव रोल में आईं. वह इतने विश्वसनीय ढंग से कुटिल भूमिकाएं निभातीं कि लोगों की उनसे नफरत बढ़ती गई. लेकिन विडंबना देखिए कि एक बार फिर स्थिति पलटी और पत्थर दिल लगती इस एक्ट्रेस को राज कपूर ने अपनी फिल्म अनाड़ी में नरम दिल मिसेज डिसूजा का रोल दिया. लोगों ने इसे खूब पसंद किया. फिर वह राज कपूर की श्री 420 में ममतामयी महिला बनीं.


ये है वर्ल्ड रिकॉर्ड
इसमें संदेह नहीं कि हिंदी सिनेमा के पर्दे या टीवी धारावाहिकों में ललिता पवार जैसे की कोई सास आज तक नहीं हुई. लेकिन उन्हें राज कपूर की फिल्मों में नरमदिल महिला के साथ जंगली, फूल और पत्थर, हम दोनों, नौकर, प्रोफेसर, सौ दिन सास के और घर संसार जैसी फिल्मों के लिए भी याद किया जाता है. ललिता पवार के नाम 70 साल लंबे फिल्मी एक्टिंग करियर का गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है. उन्होंने दो शादियां की. पहली शादी इसलिए टूटी क्योंकि उनके पति का दिल उनकी छोटी बहन पर आ गया था. 1997 में 81 साल की उम्र में उनका पुणे में देहांत हो गया. लेकिन उनकी क्रूर सास की छवि अमर है.