Meghna Gulzar 50th birthday: जब हम एक निर्देशक के रूप में मेघना गुलजार की बात करते हैं, तो तीन फिल्में हैं, जो तुरंत हमारे दिमाग में आती हैं, वे हैं- राजी, तलवार और छपाक. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सुपरहिट फिल्मों की डायरेक्टर की पहली फिल्म सुपर फ्लॉप रही थी. 2002 में एक बोल्ड विषय पर बनी फिल्म 'फिलहाल' से मेघना ने निर्देशन के करियर में कदम रखा था. इससे पहले मेघना ने अपने पिता गुलजार के निर्देशन में बनी फिल्म 'हूतूतू' के लिए स्क्रीनराइ़टिंग की थी. 'फिलहाल' के फ्लॉप होने के बाद मेघना इंडस्ट्री से दूर हो गईं, लेकिन 12 साल बाद उन्होंने सुपरहिट फिल्म 'तलवार' से कमबैक किया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

2002 में आई फिल्म 'फिलहाल' को आलोचकों से सकारात्मक समीक्षा मिली थी, लेकिन फिल्म देखने वालों ने फिल्म देखने के लिए सिनेमाघरों में जाने से परहेज किया, क्योंकि विषय उन्हें पसंद नहीं आया था. उस समय के लिए इस विषय को काफी बोल्ड माना गया था. 'फिलहाल' सरोगेसी के विषय के इर्द-गिर्द घूमती है, एक ऐसा विषय जो न सिर्फ फिल्म देखने वालों के लिए नया था, बल्कि उस समय इस पर बात भी नहीं की जाती थी. 'फिल्हाल' में सुष्मिता सेन, तब्बू, पलाश सेन और संजय सूरी मुख्य भूमिका में हैं. 


12 साल बाद धमाकेदार वापसी
फिलहाल के फ्लॉप होने के बाद मेघना गुलजार फिल्म इंडस्ट्री से गायब हो गईं. लोगों को लगने लगा था कि वह अपनी पहली फिल्म की इस असफलता को झेल नहीं पाईं और दूर हो गई हैं. लेकिन मेघना ने अपनी हिम्मत नहीं खोई थी. उन्होंने 12 साल बाद एक बार फिर वापसी की और इस बार उनकी वापसी धमाकेदार अंदाज में हुई.



2015 में तलवार से कमाया नाम
2008 के आरुषि तलवार दोहरे हत्याकांड पर आधारित फिल्म 'तलवार' सुपरहिट रही थी. इस फिल्म में माता-पिता (नीरज काबी और कोंकणा सेन शर्मा) या तो दोषी या निर्दोष दिखाई देते हैं. दिवंगत इरफान खान ने एक जांच एजेंसी के संयुक्त निदेशक अश्विन कुमार की भूमिका निभाई है, जो मानता है कि माता-पिता निर्दोष हैं. हालांकि, उसकी जगह एक अन्य जांच दल को ले लिया जाता है, जो निष्कर्ष निकालता है कि माता-पिता दोषी हैं. विशाल भारद्वाज ने इस फिल्म की पटकथा के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीता था.


शार्ट फिल्म का किया निर्देशन
फिलहाल और तलवार के बीच मेघना गुलजार ने एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई थी, जो 2007 में आई एंथोलॉजी 'दस कहानियां' का हिस्सा थी. मेघना गुलजार ने पूरनमाशी (पूर्णिमा की रात) का निर्देशन किया था. माला (अमृता सिंह) नाम की एक महिला, जो एक प्रेमहीन विवाह में है, अपने पुराने प्रेमी के साथ फिर से जुड़ने का फैसला करती है जबकि उसकी बेटी मिनी (मिनिषा लांबा) की शादी होने वाली है. इस निर्णय के दुखद परिणाम होते हैं.