निर्देशक: श्रवण तिवारी 


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स्टार कास्ट :  के के मेनन, ज़ाकिर हुसैन, अनंग देसाई, राजेश श्रीरंगपुरे, तनुज बिरवानी और करमवीर चौधरी आदि 


कहाँ देख सकते हैं:  Zee5 पर 


क्रिटिक रेटिंग: 3.5


यूं तो मुर्शिद की कहानी बड़ी जानी पहचानी सी है, कोई बड़ा डॉन जो हथियार ना उठाने की क़सम खा चुका है, लोग उसे मजबूर कर देते हैं कि वो फिर से उसी दुनियां में वापस आये और जब वो वापस आता है तो साबित कर देता है कि अभी भी सबका बाप वही है. जिस तरह ‘हम’ फ़िल्म में अमिताभ बच्चन का किरदार टाइगर था, हाल ही में आई मनोज वाजपेयी की फ़िल्म ‘भैयाजी’ में भी उनका ऐसा ही किरदार था. लेकिन जिस तरह से श्रवण तिवारी ने के के मेनन का मुर्शिद पठान का किरदार रचा है,  वो फ़िल्मों की तरह ‘लार्जर देन लाइफ’ या सुपर हीरो नहीं बल्कि अनुभवी और तेज दिमाग़ का तिकड़मी डॉन का किरदार है.


मुर्शिद  वेब सीरीज की कहानी
मुर्शिद पठान (के के मेनन) की कहानी 1993 के मुंबई से शुरू होती है, जब घर में घुसकर मारने की हिम्मत रखने वाला मुर्शिद दूसरे गैंग के सबसे ख़ास आदमी को तोड़कर गैंग लीडर को ख़त्म कर देता है.  हालाँकि उसे उसूलों वाला सिखाया गया है, अक्सर डॉन लोगों का ऐसे ही महिमा मण्डन होता आया है. इसी दौरान विरोधी गैंग लीडर का बेटा एक सेठ की बेटी को उठा लाता है, जब बाप मुर्शिद से इमोशनल गुहार लगाता है तो फिर मुर्शिद वही पैन्तरा आज़माता है, लेकिन गैंग लीडर के मर्डर के बाद. 


लेकिन एक्सीडेंट में जब उसके बड़े बेटे की मौत होती है तो उसको लगता है  कि ये उसके गुनाहों की सजा है तो वह सब कुछ छोड़कर फ़क़ीर बन जाता है, लोगों की मदद में जुट जाता है.  लेकिन   उसके दूसरे बेटे को ऐसे चक्रव्यूह में फँसा दिया जाता है कि मुर्शिद को फिर से अपने हथियार और दिमाग़ में लगी जंग हटानी पड़ती है और उस व्यक्ति फ़रीद (ज़ाकिर हुसैन) के ख़िलाफ़ जंग लड़नी पड़ती है माँ, जिसे उसने कभी धंधा छोड़कर अपनी गद्दी दी थी. 


मुर्शिद के कितने एपिसोड
सात एपिसोड वाली इस वेब सीरीज के साथ सबसे ख़ास बात है कि ये आपको बोर नहीं करती, ढेर सारे किरदार होने के बावजूद हर किरदार ज़रूरी लगता है और ये सभी किरदार ही सस्पेंस भी बनाए रखते हैं कि कौन सही और ग़लत. चूंकि कोई एपिसोड आधे घंटे से ज्यादा का नहीं, और एक जिज्ञासा के साथ ही खुलते और ख़त्म होते हैं, इसलिए दिलचस्पी भी बनी रहती है.


कई किरदार हैं इस सीरीज़ में जैसे फ़रीद के दायें और बायें हाथ महेश और अयूब, मुर्शिद का बेटा जुनैद तो अहम हैं ही क्योंकि इन्हीं की वजह से मुर्शिद को खेल में दोबारा उतरना पड़ता है.  अफ़ग़ान का डॉन जो मुंबई वाले सारे भाई लोगों की हवा खिसकाता रहता है. सबसे दिलचस्प था  मुर्शिद के पालक बेटे कुमार प्रताप (तरुण बिरवानी) का किरदार जिसके बाप का क़त्ल भी मुर्शिद ने ही किया था. 


मुर्शिद का रिव्यू
महाराष्ट्र के सीएम बाबूराव राव (अनंग देसाई) और उनके बेटे जयंत राव (राजेश श्रीरंगपुरा) के किरदार भी बेहद अहम है इस सीरीज़ में, वहीं UP के डॉन केसरी, उसके शूटर बंटी का रोल, फ़रीद के ड्राइवर का रोल, मुर्शिद के दायें हाथ असलम का रोल, उसके नए युवा कमांडर का रोल, कुमार प्रताप की पत्नी सुनीता का रोल, कमिश्नर और दो दो आईबी अफ़सरों की अलग अलग अहम भूमिकाएँ, ये सब इतने किरदार थे कि इन्हें कहानी में दर्शकों को उलझाए बिना पिरोना आसान नहीं था.


लेकिन इन सब किरदारों के ज़रिए निर्देशक/लेखक वेब सीरीज़ में दर्शकों के मन में सस्पेंड और आगे क्या होगा की उत्सुकता बनाये रखने में कामयाब रहे और निर्देशक ने शायद हर एपिसोड के साथ एक नया किरदार लॉंच किया, जिससे कहानी इंगेजिंग तरीक़े से आगे बढ़ती रही. 


मुर्शिद सीरीज को लेकर कब उठते हैं सवाल
लेकिन कहानी को लेकर सवाल तब उठते हैं जब 2024 में भी नेता,पुलिस, आईबी, नार्कोटिक्स और मुंबई के माफिया 1993 या उससे पहले जैसा ही व्यवहार करते रहे, वही माफिया डॉन की उँगलियों पर नाचने वाले. हर थाने, हर विभाग में में आधे से ज़्यादा बिके, पूरी सीरीज़ में शायद एक भी ईमानदार और साहसी पुलिस ऑफिसर या नेता देखने को नहीं मिला, मीडिया भी ढक्कन ही दिखी. क्लाइमेक्स में भी जिस तरह से मुर्शिद कई दिन पहले सरेंडर मोड़ में आ जाता है, उससे दर्शक अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कोई चाल जरूर है.


बावजूद इसके बेहतरीन कहानी और निर्देशन व कई कलाकारों की एक्टिंग ने सीरीज़ को एक अच्छी टाइम पास देखने लायक़ सीरीज़ बना दिया है.  सस्पेंस बनाये रखने में निर्देशक कामयाब रहा है, कुछ बेहतरीन डायलॉग भी हैं जैसे गृह मंत्री कमिश्नर से पूछता है कि, “बिना पुलिस की अनुमति से मुंबई के गैंग कैसे वॉर कर सकते हैं “?


के के बिना चिल्लाए भी शानदार लगे हैं,  फ़रीद के किरदार में जिद्दी ज़ाकिर हुसैन भी हमेशा की तरह अच्छे लगे हैं, महेश और अयूब के किरदारों को निभाने वाले कलाकार रोल्स में मानो घुस गये हैं, वैसे ही तरुण बिरवानी भी. उसी तरह सीएम के बेटे के किरदार में KGF के रॉकी जैसे लुक में राजेश प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहे हैं. हालाँकि लगा कि अफ़ग़ानी डॉन, बंटी और कुमार प्रताप के किरदार जिस तरह स्थापित किए गए, उनके साथ अंत में न्याय होता नहीं दिखा, लेकिन उन्हें शायद सीजन 2 में इस्तेमाल किया जा सकता है.


मुर्शिद वेब सीरीज: देखें या नहीं
कुल मिलाकर अंडरवर्ल्ड की फ़िल्मों के शौक़ीन लोगों के लिए ‘मुर्शिद’ इस हफ़्ते का सबसे बढ़िया विकल्प है, आपको निराश नहीं करेगी, गालियाँ और गोलियाँ जहां ज़रूरत वाक़ई में है उनका वहीं इस्तेमाल हुआ है.  लेकिन इमोशंस और सस्पेंस के सही जगह और सही मात्रा में इस्तेमाल ने सीरीज़ को देखने लायक़ बना दिया है.