Rajesh Khanna: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जब पोर्ट ब्लेयर के वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नये एकीकृत टर्मिनल का उद्घाटन किया, तो विपक्ष पर भी साधा निशाना. उन्होंने विपक्ष की बेंगलुरु (Bengaluru) में हो रही बैठक पर तंज कसते हुए कहा कि एक जमाने में एक गाना बहुत मशहूर था एक चेहरे पर कितने चेहरे लगा लेते हैं लोग. असल में यह गाना फिल्म दाग (Film Daag) का है. यह फिल्म 50 साल पहले आई थी. इस फिल्म की हिंदी फिल्मों के इतिहास में खास जगह है. असल में आज इंडस्ट्री के सबसे बड़े स्टूडियो यशराज फिल्म्स के संस्थापक यश चोपड़ा (Yash Chopra) दाग (1973) से खुद फिल्म प्रोड्यूसर बने थे.


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मदद को बढ़े हाथ
प्रोड्यूसर बनने से पहले यश चोपड़ा अपने बड़े भाई बी.आर. चोपड़ा (B.R. Chopra) की कंपनी बी.आर फिल्म्स में कर्मचारी थे. बड़े भाई की कंपनी में उन्होंने धूल का फूल, धर्मपुत्र और वक्त जैसी सफल फिल्मों का निर्देशन किया. परंतु 1970 के आते-आते खुद उन्होंने अपनी कंपनी खड़ी करने की सोची. इस बात से उनके बड़े भाई नाराज थे. मगर यश चोपड़ा अपने फैसले पर अड़े रहे. फिल्म निर्माता वी. शांताराम (V. Shantaram) ने उन्हें अपने स्टूडियो में एक छोटा-सा कमरा दिया था, जिसे वह ऑफिस के रूप में उपयोग कर सकते थे, जबकि एक्ट्रेस राखी ने उन्हें पहले प्रोडक्शन यानी फिल्म दाग के लिए पैसे की पेशकश भी की थी. फिल्म में राखी (Rakhi), शर्मीला टैगोर (Sharmila Tagore) और राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) लीड रोल में थे. गीतकार साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhiyanvi) ने यश चोपड़ा से कहा था कि वह फिल्म के लिए गीत लिखेंगे और तभी पैसे लेंगे फिल्म हिट हो जाएगी.



जब भी जी चाहे
फिल्म जबरदस्त हिट रही. इसने सात फिल्मफेयर पुरस्कार (Film Fare Awards) नामांकन प्राप्त किए. जबकि दो जीते. यश चोपड़ा ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और राखी ने सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री. आज भी फिल्म को क्लासिक माना जाता है. फिल्म के गाने खूब हिट रहे. नी मैं यार मनाना नी, हम और तुम तुम और हम, अब चाहे मां रूठे या बाबा, मेरे दिल में आज क्या है और जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग... इन्हीं गानों में शुमार हैं. फिल्म की कहानी अपने समय के हिसाब आगे की थी. फिल्म में सुनील (राजेश खन्ना) हत्या में दोषी पाए जाने के बाद फरार है. अपनी पहचान बदलकर उससे चांदनी (राखी) से दूसरी शादी कर ली है. जबकि पहली पत्नी सोनिया (शर्मीला टैगोर) उसके बच्चे की मां है. कानून के लंबे हाथों से सुनील बच नहीं पाता और कुछ साल बाद एक फिर कठघरे में है. क्या सोनिया की गवाही उसे बचाएगीॽ



दर्शकों ने दिया प्यार
इस फिल्म के क्लाइमेक्स को अपने दौर में काफी विवादित माना गया था, लेकिन यश चोपड़ा ने कहानी में मानवीय रिश्तों की बुनावट इस तरह की कि दर्शकों ने इसे दिल से स्वीकार किया. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबर्दस्त हिट रही. यश चोपड़ा की इस फिल्म ने बताया कि अगर आप दर्शकों की समझ पर भरोसा करते हैं, तो वे आपको धोखा नहीं देते. निश्चित ही यश चोपड़ा ने इस सिलसिले को दाग के बाद भी बरकरार रखा और हिंदी फिल्मों के सबसे रोमांटिक निर्माता-निर्देशक के रूप में स्थापित हुए. फिल्म को आप अमेजन प्राइम या यूट्यूब पर देख सकते हैं.