NRI Love Stories: एनआरआई वाइव्स के आखिर में इसकी क्रिएटर गुंजन कुठारिया कहती हैः जिंदगी में हमेशा दो चॉइस होती हैं. एक, जो हमारे पास नहीं है उस बात के लिए रोते रहें और दो, जो भी हमें जिंदगी में मिला है उसे खुशी-खुशी अपने सीने से लगा कर रखें. एनआरआई वाइव्स एंथॉलॉजी फिल्म है और टाइटल से इसके विषय को समझा जा सकता है. यह विदेश में रहने वाले भारतीय परिवारों की कहानियां हैं. जिनके केंद्र में पति-पत्नी के रिश्ते हैं. खास तौर पर पत्नियों के अंतरमन को यह कहानियां बताती हैं कि वे किन हालात में वह विदेशी जमीन पर रहती हैं, जहां उनके पति आम तौर पर अपनी महत्वाकांक्षाओं का पीछा करते हुए, काम की व्यस्तताओं के बीच परिवार और रिश्तों को जरूरी समय नहीं दे पाते.


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सच का सामना
फिल्म का पूरा टाइटल है, एनआरआई वाइव्सः ग्रे स्टोरीज ऑफ लव एंड डियाजर. यह तो साफ है कि जिंदगी में सब कुछ सिर्फ ब्लैक एंड व्हाइट नहीं होता. कई बार दोनों रंग मिल जाते हैं और उनसे मिलकर एक नया रंग बनता है, ग्रे. जो थोड़ा सच होता है, जिसमें थोड़ा झूठ भी मिला होता है. जिसमें कठोर हकीकत होती है तो रूमानी फंतासी भी शामिल रहती है. एनआरआई वाइव्स भी ऐसी ही चार कहानियां हैं. जिनके चार अहम किरदार अपनी जिंदगी की सच्चाई से मुंह मोड़ते-मोड़ते, अंततः उसका सामना करके स्वीकार लेते हैं. गुंजन कुठियाला अमेरिका में रहती हैं. वह लेखक और निर्देशक हैं. फिल्म को उन्होंने ही डिजाइन किया है.



तलाश प्यार की
इस एंथोलॉजी में औसतन आधे-आधे घंटे की चार फिल्में हैः ओल्ड सीक्रेट्स (राइमा सेन, गौरव गेरा, सादिया सिद्दिकी), वॉयड स्पेस (भाग्यश्री, हितेन तेजवानी), डिजायर्स (कीकू शारदा, समीक्षा, अदिति गोवित्रिकर) और टैबू (समीर सोनी, जुगल हंसराज, गुंजन कुठियाला, ओलीविया मल्होत्रा). चारों कहानियां अमेरिका के अलग-अलग शहरों में बसे भारतीय दंपतियों की बात करती हैं. यहां महिलाएं अकेलेपन की शिकार हैं. ओल्ड सीक्रेट्स में जहां मैथ्स में पीएचडी राधिका (राइमा सेन) को ट्रेवल कंपनी में अफसर पति आशीष (गौरव गेरा) समय नहीं दे पाता, वहीं वॉयड स्पेस में कामयाब बिजनेस वुमन आयशा (भाग्यश्री) अ-सेक्सुअल रिलेशनशिप में है. बरसों से पति ने उसके साथ रिश्ता नहीं बनाया. जबकि दोनों की एक बेटी है. डिजायर्स की ऋचा (समीक्षा) और टैबू की गुंजन (गुंजन कुठियाला) अपनी-अपनी शादी में नाखुश हैं. वह पति से अलग, अपने लिए प्यार की तलाश में हैं.


भारतीयता की गूंज
चारों कहानियों की नायिकाओं के सामने ऐसी परिस्थितियां आती हैं, जब वह रिश्तों और परिवार की दायरे लांघ कर आगे बढ़ सकती थीं. वे कमोबेश कदम उठाती भी हैं, लेकिन अंतिम क्षणों में वापस खींच लेती हैं. निजी इच्छाओं और आकांक्षाओं से बढ़कर वे परिवार को अपनाती हैं. संभवतः यही पश्चिमी और भारतीय सभ्यता तथा संस्कारों का बड़ा अंतर है. एनआरआई वाईव्स में आप इस भारतीयता की गूंज हर कहानी में पाते हैं. चाहे वे इसके डायलॉग हों या फिर गाने. विवाहेतर संबंधों की सीमाएं छूने और कभी उनके पार जाने वाली इन कहानियों में आपको एक भी बोल्ड सीन नहीं मिलेगा. राय खान ने चार में से दो कहानियां (वॉइड स्पेस और टैबू) डायरेक्ट की हैं, जबकि विभु कश्यप (ओल्ड सीक्रेट्स) और गुंजन कुठियाला (डिजायर्स) ने एक-एक.


रेगुलर सिनेमा से अलग
इस फिल्म का विषय अलग है और इसे भारत में रहते हुए नहीं बनाया जा सकता था. एक्टरों ने अपनी-अपनी भूमिकाओं को अच्छे ढंग से निभाया है. रायमा सेन, भाग्यश्री और कीकू शारदा खास तौर पर अपने किरदारों में उभरकर आते हैं. जबकि जुगल हंसराज को देखने का मौका कम ही मिलता है. अगर आप बॉलीवुड के रेगुलर सिनेमा से अलग कंटेंट देखना पसंद करते हैं तो एनआरआई वाइव्स देख सकते हैं. फिल्म थियेटरों में लगी है.


क्रिएटरः गुंजन कुठियाला
सितारे: रायमा सेन, गौरव गेरा, भाग्यश्री, हितेन तेजवानी, कीकू शारदा, समीर सोनी, जुगल हंसराज
रेटिंग**1/2