Prabha Atre Passes Away: हाल ही में 91 साल की पद्म विभूषण शास्त्रीय गायिका डॉक्टर प्रभा अत्रे का निधन हो गया है. उन्होंने शनिवार, 13 जनवरी को पुणे में आखिरी सांस ली है. खबरों की मानें तो उन्होंने 91 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने की वजह से दुनिया को अलविदा कह दिया. वे मशहूर किराना घराने की गुरु-शिष्य परंपरा की देन थीं. बताया जा रहा है कि जब शनिवार सुबह उनको दिल का दौरा आया तो उनको तुरंत ही दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टर्स उनको बचा नहीं पाए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया. इस खबर के सामने आने के बाद इंडस्ट्री में गम की लहर पसर गई है. सभी उनकी मौत की खबर से काफी दुखी है. वहीं, उनके परिजनों को भी उनके निधन की खबर दे दी गई है, जो इस समय अमेरिका में हैं और वो वहां से रवाना हो चुके हैं. खबरों के मुताबिक, उनके भारत आने के बाद ही दिग्गज गायिका का अंतिम संस्कार किया जाएगा. साथ ही बताया जा रहा है कि प्रभा अत्रे शनिवार को मुंबई में एक प्रस्तुति देने वाली थीं, लेकिन इससे पहले ही वो दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गईं. 



तीन बार मिल चुका है पद्म पुरस्कार 


शास्त्रीय गायिका डॉक्टर प्रभा अत्रे ने शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिलाई है. इतना ही नहीं उनको उनके समकालीन मशहूर गायकों के समकक्ष माना जाता है. गायिका डॉक्टर प्रभा अत्रे को तीन बार पद्म सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है, जो अपने आप में एक बहुत गर्व की बात है. सबसे पहले उनको साल 1990 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था. इसके बाद साल साल 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था और इसके बाद साल साल 2022 में उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है. इसके अलावा भी उनको संगीत की दुनिया में अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था. 



किराना घराने की गायिका थीं प्रभा अत्रे


शास्त्रीय गायिका डॉक्टर प्रभा अत्रे (Prabha Atre) का जन्म 13 सितंबर, 1932 को पुणे में हुआ था और बड़ी बात ये कि उनका निधन भी 13 जनवरी, 2024 को पुणे में ही हुआ है. प्रभा अत्रे मशहूर किराना घराने की शास्त्रीय संगीत परंपरा की गायिका थीं. उन्होंने विजय करंदीकर, सुरेश बाबू माने, हीराबाई बडोडेकर से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली थी. इसके साथ ही उन्होंने डांस में भी महारथ हासिल की थी. उन्होंने कुछ सालों तक आकाशवाणी में काम किया, जिसके बाद वे मुंबई में SNDT महिला विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनी और बाद में उनको संगीत विभाग की प्रमुख बना दिया गया था. उन्होंने संगीत पर 11 किताबें भी लिखी थीं.