Shyam Benegal: चला गया लाइट-कैमरा-एक्शन का सरताज, जब बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम पर श्याम बेनेगल ने बनाई थी फिल्म
Shyam Benegal Passes Away: आज भारतीय सिनेमा ने अपने महान निर्देशक श्याम बेनेगल को खो दिया. अपनी अनोखी सोच और गहरी समझ से उन्होंने भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.
Shyam Benegal Passes Away: आज भारतीय सिनेमा ने अपने महान निर्देशक श्याम बेनेगल को खो दिया. अपनी अनोखी सोच और गहरी समझ से उन्होंने भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. श्याम बेनेगल ने कई यादगार फिल्में बनाईं... लेकिन उनकी बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम पर आधारित फिल्म ‘मुजीब – द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ ने खास पहचान बनाई. बेनेगल द्वारा बनाई गई यह आखिरी फिल्म थी.. आइये जानते हैं इस फिल्म के बारे में..
बांग्लादेश के निर्माता पर बायोपिक
‘मुजीब – द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान के जीवन पर आधारित एक बायोपिक थी. यह फिल्म भारत और बांग्लादेश के बीच सह-निर्माण के तहत बनाई गई थी. शेख मुजीब की बेटी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस फिल्म को बनाने की पूरी अनुमति दी थी. फिल्म की शूटिंग बांग्लादेश में हुई.. जो इसे और भी खास बनाती है.
मुजीब के जीवन को पर्दे पर उतारने की चुनौती
श्याम बेनेगल ने इस फिल्म को बनाने के अनुभव को बेहद भावनात्मक बताया था. उन्होंने कहा था कि शेख मुजीबुर रहमान के विशाल व्यक्तित्व को पर्दे पर उतारना मेरे लिए बहुत कठिन था. बेनेगल ने कहा था कि यह फिल्म मेरे दिल के बेहद करीब है. हमने उनके जीवन को बिना किसी समझौते के दिखाने की कोशिश की. मुजीब भारत के बड़े दोस्त थे और उनके जीवन को समझना इतिहास के लिए जरूरी है.
बांग्लादेशी कलाकारों के साथ काम का अनुभव
श्याम बेनेगल ने बांग्लादेशी कलाकारों के साथ काम करने के अनुभव को बेहद शानदार बताया था. उन्होंने कहा था कि बांग्लादेशी कलाकार बेहद प्रतिभाशाली और मेहनती हैं. अरिफिन शुवो, जिन्होंने शेख मुजीब का किरदार निभाया.. शानदार हैं. इसके अलावा दिव्य ज्योति ने युवा मुजीब की भूमिका निभाई, नुसरत इमरोस तिशा ने मुजीब की पत्नी का किरदार निभाया. और नुसरत फारिया ने शेख हसीना का. इन कलाकारों ने अपने काम से फिल्म को जीवंत कर दिया.
नेताजी पर भी बनाई थी बायोपिक
यह पहली बार नहीं था जब श्याम बेनेगल ने किसी राजनीतिक हस्ती पर फिल्म बनाई. 2005 में उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर एक बायोपिक बनाई थी. जिसमें सचिन खेडेकर ने नेताजी का किरदार निभाया था. हालांकि, बेनेगल ने अफसोस जताया था कि वह फिल्म ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंच पाई. उन्होंने कहा था कि इतिहास ने मुजीबुर रहमान को लंबे समय तक अनदेखा किया. उनकी कहानी को सिनेमा के जरिए लोगों तक पहुंचाना बेहद जरूरी था.
बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम की कहानी
फिल्म में शेख मुजीबुर रहमान के संघर्ष और बांग्लादेश के निर्माण की कहानी को दिखाया गया है. यह फिल्म बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम और शेख मुजीब की भूमिका को समझने का एक सशक्त माध्यम है. बेनेगल ने अपने नियमित सहयोगियों अतुल तिवारी और शमा जैदी के साथ मिलकर इस फिल्म की कहानी को गहराई से पेश किया.
एक युग का अंत
श्याम बेनेगल ने अपने जीवन में भारतीय सिनेमा को कई अमूल्य कृतियां दीं. उनकी फिल्मों ने समाज, राजनीति और इतिहास को सिनेमा के माध्यम से समझने का नया दृष्टिकोण दिया. उनका जाना भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनकी फिल्में हमेशा उनकी महानता की गवाही देंगी.