Shweta Singh Kirti On Sushant Singh Rajput Death: आज 21 जनवरी को बॉलीवुड इंडस्ट्री के दिवंगत कलाकार सुशांत सिंह राजपूत की बर्थ एनिवर्सरी है. भले ही आज वो हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी फिल्में, उनका अभिनय और उनकी यादें आज भी हमारे बीच मौजूद हैं. सुशांत सिंह राजपूत का निधन का जून, 2020 में हुआ था. उनके निधन के बाद से उनकी बड़ी बहन श्वेता सिंह कीर्ति (Shweta Singh Kirti) अक्सर उनको याद करती हैं और उनसे जुड़ी यादें और किस्से सभी फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

श्वेता सिंह कीर्ति अमेरिका में रहती हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी किताब 'पैनः ए पोर्टल टू एनलाइटमेंट' (PAN: A Portal to Enlightenment) में अपने भाई सुशांत से जुड़ी कई बातों का जिक्र किया है और साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जब उनके पास उनके भाई सुशांत के मौत की खबर मिली थी तो उनका क्या हाल हुआ था. उनको कैसा महसूस हुआ था. हाल ही में श्वेता सिंह अपने इंस्टाग्राम पर सुशांत सिंह का एक प्यारा सा वीडियो भी शेयर किया है, जिसके साथ उन्होंने एक नोट भी लिखा है और अपने भाई को बर्थडे विश किया है. 



श्वेता सिंह कीर्ति ने भाई सुशांत को किया याद 


उनके इस पोस्ट को काफी पसंद भी किया जा रहा है. उन्होंने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'मेरे सोने से भाई को जन्मदिन की शुभकामनाएं. मैं तुम्हें बहुत और हमेशा प्यार करती हूं. आशा है कि तुम लाखों दिलों में रहते हो और उन्हें अच्छा करने और अच्छा बनने के लिए प्रेरित करते हो. तुम्हारी विरासत उन लाखों लोगों के लिए है जिन्हें तुमने भगवान जैसा और उदार बनने के लिए प्रेरित किया है. हर कोई ये समझे कि ईश्वर की ओर ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है और आपको गर्व महसूस हो'. वहीं, अपनी बुक में भी श्वेता सिंह कीर्ति ने एक्टर की मौत से जुड़ी बात बताई. 



'मेरी रीढ़ की हड्डी में सिहरन दौड़ गई' - श्वेता सिंह कीर्ति


उन्होंने अपनी बुक में बताया कि सुशांत अपने बिजी बॉलीवुड करियर के चलते उनसे मिलने नहीं जा सके, लेकिन वे 2014 से 2017 तक हर साल उनसे मिलने के लिए भारत आती थीं, लेकिन किसी वजह से वे 2018 और 2019 में नहीं आ सकीं. जनवरी 2020 में उनके निधन से 4 दिन पहले उन्होंने सुशांत से अमेरिका आने के लिए कहा था, लेकिन वे उससे मिल नहीं सकी. 14 जून, 2020 को जब उनके निधन की खबर मिली तो मेरी रीढ़ की हड्डी में सिहरन दौड़ गई और मैं बेसुध होकर बिस्तर पर पड़ी रही. मैं चिल्लाई नहीं. मैं रोई नहीं. मैं एक ऐसी जगह पर पड़ी रही जहां मेरे शरीर का और दिमाग का सारा दुख और सदमा सोख लिया'.