Waheeda Rehman Life Story: चौदहवीं का चांद हो या...पिया तो से नैना लागे रे...शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब...कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाने..ये वो गाने हैं तो मजा भी देते हैं और दिल को सुकून भी और जब बात हो इन गानों में नजर आने वाली बेदाग खूबसूरती वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) की तो फिर क्या ही कहने. खिला-खिला चेहरा, कद-काठी ऐसी कि उनके व्यक्तित्व को और भी निखार दे और उस पर उनकी अदाकारी. बचपन से ही नृत्य का शौक रखने वालीं अभिनेत्री वहीदा भरत नाट्यम में पारंगत हैं. वो खुद बता चुकी हैं कि इसी डांस की बदौलत उनका एक्टिंग करियर शुरू हुआ था.


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एक गाने से चमकी थी किस्मत
बाल कलाकार के रूप में ही वहीदा रहमान ने एक तेलुगु मूवी में डांस किया था जिसके चर्चे उस वक्त दूर-दूर तक हुए. उस समय हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता और फिल्ममेकर गुरू दत्त की नजर उन पर पड़ी और उन्हें फिल्म सीआईडी का ऑफर दे दिया. उस वक्त उनकी उम्र महज 17 साल ही थी. वहीदा रहमान ने वो ऑफर मान लिया और इस तरह उनकी फिल्मों में एंट्री हो गई. इसके बाद वहीदा जी की खूबसूरती से लेकर अदाकारी तक के चर्चे ऐसे हुए कि उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक के बाद एक उनकी झोली में बेहतरीन फिल्में आती गईं और वो कब चमकते सितारे से कब हिंदी सिनेमा का ‘चौंदहवीं का चांद’ बन गईं पता ही नहीं चला. 


     


गुरू दत्त संग की 5 फिल्में
वहीदा रहमान को हिंदी सिनेमा में लाने वाले गुरू दत्त ही थे जिनके साथ उन्होंने 5 फिल्में कीं और सभी को दर्शकों ने खूब प्यार दिया. प्यासा, कागज के फूल, चौदहवीं का चांद, साहिब बीबी और गुलाम जैसी शानदार फिल्में जिनके जिक्र के बिना मानो हिंदी सिनेमा का जिक्र भी अधूरा है. हो भी क्यों ना दोनों की जोड़ी ही इतनी खास थी. वहीदा रहमान की खोज का श्रेय भी तो गुरू दत्त को ही जाता है. 



देवानंद संग भी खूब जमी जोड़ी
वहीदा रहमान और गुरू दत्त की जोड़ी को जितना प्यार मिला उतना ही पसंद किया गया देवानंद और वहीदा को भी. फिल्म में गाइड आज भी वहीदा रहमान के दिल के सबसे करीब है. क्योंकि इस फिल्म में उनका किरदार सबसे जुदा था. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. फिल्म की कहानी, गाने सब खूब पसंद किए गए. इसी फिल्म के लिए वहीदा रहमान को बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड भी मिला था.