Opinion: 600 करोड़ बजट, तगड़ी फीस और तब भी फाड़ू नहीं `कल्कि 2898डी`? प्रभास की फिल्म में इन गलतियों ने कर दिया बेड़ा गर्क
Kalki 2898 AD Mistakes: प्रभास, दीपिका पादुकोण, कमल हासन और अमिताभ बच्चन की `कल्कि 2898डी` सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. 600 करोड़ के बजट में बनी फिल्म की कुछ खामियां भी रह गई. चलिए बताते हैं आखिर कैसी है `कल्कि 2898डी` और कहां चूक रह गई.
'प्रोजेक्ट K' से 'Kalki 2898 AD'. आखिरकार नाग अश्विन की फिल्म 27 जून 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई. जिसका अनुमानित बजट 600 करोड़ बताया जा रहा है. अभी तक आपने तमाम रिव्यू और सोशल मीडिया पर पब्लिक का ओपिनियन पढ़ लिया होगा. जिसके बाद आपको भी ये एक औसत दर्जे से ऊपर की फिल्म मालूम पड़ रही होगी. मगर मैं इसे 'वन टाइम मस्ट वॉच' फिल्म कहूंगी, जिसे एक बार तो जरूर दर्शकों को देखना चाहिए. जो दर्शक बात-बात पर इंडियन फिल्मों की तुलना हॉलीवुड से करते थे तो उनकी बोलती बंद हो जाएगी. नाग अश्विन की टीम ने बढ़िया काम किया है. मगर इसके बावजूद वो 'किक' या 'झस' नहीं मिल पाती, जिसकी उम्मीद प्रभास-दीपिका और अमिताभ बच्चन की फिल्म से थी. तो चलिए बताते हैं आखिर कहां चीजें गड़बड़ हो गईं.
क्या है कल्कि 2898 एडी का मतलब: खुद नाग अश्विन ने एक इंटरव्यू में फिल्म के टाइटल का मतलब बताया था. उन्होंने बताया कि उनकी फिल्म 6000 सालों में घटने वाली कहानी है. महाभारत से लेकर साल 2829 तक. यही वजह है कि उन्होंने फिल्म का नाम ‘कल्कि 2898 AD’ रखा.
तगड़ा बजट और तगड़ी फीस
'कल्कि 2898डी' को बनाने के लिए नाग अश्विन की एक लंबी टीम रही है. जब आप थिएटर में फिल्म देखने जाएंगे तो क्रेडिट्स पर नजर रखना. आपकी आंखें दर्द हो जाएंगी लेकिन नाम की लिस्ट खत्म नहीं होगी. लाजिमी है कि इतनी बड़ी और दमदार कास्ट थी तो अच्छी खासी फीस भी सबने ली होगी. प्रभास, दीपिका पादुकोण, अमिताभ बच्चन, कमल हासन जैसे सुपरस्टार तो फिल्म में हैं ही मगर लंबी चौड़ी लिस्ट उन स्टार्स की भी है जिन्होंने कैमियो प्ले किया है. विजय देवरकोंडा, रामगोपाल वर्मा, एसएस राजामौली,मृणाल ठाकुर से लेकर दुलकर सलमान 'कल्कि' में दमदार कैमियो में दिखते हैं.
kalki 2898 की ताकत
kalki 2898 की ताकत है इसका VFX. जो इसे हॉलीवुड के लेवल पर ले जाता है. इसके विजुअल इफेक्ट्स को नमित मल्होत्रा के Prime Focus DNEG और The Embassy Visual Effects ने किया है. अब तक की इंडियन फिल्मों से इसकी तुलना करें तो 'कल्कि' का स्क्रीन प्रेजेंस, हाई ऑक्टेन एक्शन सीन्स, 3D एक्सपीरियंस और वीएफएक्स कमाल के हैं. यही इस 600 करोड़ी फिल्म को देखने लायक बनाता है.
कास्ट का काम
प्रभास, दीपिका और अमिताभ बच्चन की टीम ने बढ़िया काम किया है. 'आदिपुरुष' के बाद जो भद पिटी थी उसे प्रभास ने धो दिया है. उनका मजाकिया अंदाज हो या बाहुबली वाला ग्रैंड अवतार, दोनों में ही वह खूब जचते हैं. वहीं 'कल्कि' के सुपरहिट बनकर उभरे हैं अमिताभ बच्चन. एक तरह से ये फिल्म पूरी की पूरी बिग बी के कंधों पर ही थी. कास्ट में कमल हासन का किरदार बहुत ही स्ट्रॉन्ग गड़ा गया है लेकिन पहले पार्ट में दिखने को ही नहीं मिलता. फिल्म में दिशा पाटनी उतना उभर के सामने नहीं आती हैं.
'कल्कि 2898डी' की गलतियां
राइटिंग: 'कल्कि 2898डी' जिसे बनाने में लंबा समय, मोटी रकम और खूब सारी मेहनत लगी है. फिल्म अच्छी है इसमें कोई दो-राय नहीं है. मगर पहला पार्ट बोरिंग कर दिया. सिर्फ अच्छे विजुअल्स और प्रभास के ग्रैंड अपीरियंस की वजह से दर्शक टिका रहता है. जितना का टेक्निकल से लेकर विजुअल्स टीम ने किया है वो मेहतन राइटिंग टीम की देखने को नहीं मिलता. स्क्रीनप्ले को बेहतर करते तो फिल्म में जान पड़ जाती है.
म्यूजिक: फिल्म में म्यूजिक दिया है साउथ के फेमस कंपोजर संतोष नारायण. दिलजीत दोसांझ वाला गाना हो या प्रभास की एंट्री पर जो म्यूजिक बजता है, वो शानदार है. लेकिन बीच बीच में म्यूजिक ढीला पड़ता है. एक दो गाने भी ऐसे हैं जो हिंदी में तो बोरिंग ही लगते हैं.
पार्ट्स बनाने के चक्कर में बेड़ा गर्क; इस फिल्म की सबसे बड़ी कमी ही ये प्लान है कि इसे कई पार्ट्स में बनाया जाए. इसी चक्कर में नाग अश्विन 'कल्कि' को ढीला बना बैठे. 'कल्कि' का सेकेंड हाफ अच्छा है लेकिन पहला पार्ट उतना ही नीरस. 'कल्कि' को 3 घंटे लंबी खींचने से बेहतर इसे ढाई घंटे की बनाते लेकिन कहानी शुरू से ही मजबूती के साथ परोसी जाती. फिल्म का इंट्रो देने में ही फर्स्ट हाफ गुजर जाता है. कमल हासन 'सुप्रीम' के रोल में काफी दमदार लगते हैं लेकिन पहले पार्ट में ये किरदार बहुत कम देखने को मिलता है. प्रभास का भी इस्तेमाल और अच्छा हो सकता था, जैसा कि अमिताभ बच्चन का किया गया है. दूसरा पार्ट कब आएगा और कितने अरसे बाद आएगा...इतना लंबा सोचने के चक्कर में पहला पार्ट में ही नाग अश्विन कसर छोड़ गए.
डिस्क्लेमर: लेख में व्यक्त विचार लेखक/लेखिका के निजी है. संस्थान से कोई लेना देना नहीं है.