Gynecologist Doctor: आयुष्मान खुराना के फैन्स के लिए डॉक्टर जी गुड न्यूज है. गुलाबो सिताबो, चंडीगढ़ करे आशिकी और अनेक में जिन्हें आयुष्मान से शिकायत थी, वह इस फिल्म से दूर होगी. वह अपने पुराने चिर-परिचित अंदाज में हैं. विक्की डोनर, दम लगा के हइशा, शुभ मंगल सावधान से लेकर बधाई हो तक जिन्हें आयुष्मान की फिल्में पसंद आई थी, वह डॉक्टर जी को पसंद करेंगे. फिल्म ऐसे युवक उदय गुप्ता (आयुष्मान खुराना) की कहानी है, जिसने मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट पास कर लिया है लेकिन उसे मर्जी की ऑर्थोपेडिक स्ट्रीम में एडमिशन नहीं मिला. उसके लिए दरवाजे खुलते हैं, गाइनिकोलॉजी के. लेकिन उसके सामने सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि प्रसूति तथा स्त्री रोगों की विशेषज्ञ तो लेडीज डॉक्टर होती हैं. ऐसे में किसी पुरुष डॉक्टर के पास कोई महिला क्यों आएगीॽ यह एक आम धारणा भी है और दुनिया के तमाम देशों का बड़ा सच है. डॉक्टर जी का केंद्र बिंदु यही मुद्दा है.
लीक से हट कर
फिल्म अपने मुख्य ट्रैक के साथ कुछ सब-प्लॉट लेकर चलती है, जिसमें उदय के रिश्ते के एक बड़े डॉक्टर भाई साहब (इंद्रनील सेनगुप्ता) की करतूत और उदय की सीनियर डॉ. फातिमा सिद्दिकी (रकुल प्रीत सिंह) की ऑन-ऑफ लव स्टोरी शामिल है. डॉ. फातिमा की सगाई एक शायरनुमा युवा तय हो चुकी है लेकिन वह उदय की तरफ भी आकर्षित होती है. यहा एक तीसरा ट्रैक उदय की सिंगल मदर (शीबा चड्ढा) का है, जो बेटे के जवान हो जाने के बाद इस टिंडरयुक्त दुनिया में अपने सुख-दुख के साथी की तलाश कर रही हैं. वास्तव में इस फिल्म के तीनों ट्रेक अहम हैं और मुख्य कहानी से जुड़े हुए हैं. फिल्म में राइटिंग डिपार्टमेंट चार लोगों ने संभाला है. सुमित सक्सेना, सौरभ भरत, विशाल वाघ और अनुभूति कश्यप. निश्चित ही कथा-पटकथा और संवाद बांधे रखते हैं. डॉक्टर जी एक लीक से हट कर कहानी है, जो खास तौर पर क्लास ऑडियंस के लिए है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अलग-अलग रंग
डॉ. उदय गुप्ता की भूमिका में आयुष्मान का परफॉरमेंस शानदार है. प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ महिलाओं की दुनिया में उदय झिझक के साथ प्रवेश करता है और उसे अपने विभाग की प्रमुख डॉ. नंदिनी (शेफाली शाह) से अहम सबक मिलते है कि ‘सब से पहले तो यह बात दिमाग से निकाले कि महिला पेशेंट उसके पास नहीं आएंगी और दूसरा, यू हैव टू लूज द मेल-टच.’ आयुष्मान ने अपने किरदार के उतार-चढ़ाव को बखूबी निभाया है और अंततः वह इस रोल में अपनी छाप छोड़ते हुए याद रहते हैं. उनके साथ सख्त डिपार्टमेंट हेड के रूप में शेफाली शाह और उदय की मां के रूप में शीबा चड्ढा के किरदार भी दो विपरीत छोरों पर खड़े होकर, कहानी के भावनात्मक ग्राफ में अलग-अलग रंग भरते हैं. निश्चित ही फिल्म थोड़ी-थोड़ी में ट्रेक बदलते हुए दो घंटे से अधिक तक रोमांच को बनाए रखती है.
फायदे में आयुष्मान
कहानी में डॉ. उदय के साथ डॉ. फातिमा सिद्दिकी का रोमांस जरूर है, लेकिन वह बाकी अन्य ट्रेक के मुकाबले काफी कमजोर है. डॉ. फातिमा बनी रकुल प्रीत सिंह के लिए राइटर कोई मजबूत गुंजाइश नहीं बना पाए. जबकि अन्य लेडीज डॉक्टरों का भी कहानी में सही ढंग से इस्तेमाल नहीं किया गया. अनुभूति सिन्हा निर्देशक अनुराग कश्यप की बहन हैं. यह उनकी पहली फिल्म है. ऑफ-बीट कहानी को उन्होंने संतुलित ढंग से बनाया है, हालांकि कुछेक संवाद ‘बिलो द बेल्ट’ जैसे हैं और इनसे बचा जा सकता था, लेकिन एडल्ट सेर्टिफिकेट वाली फिल्म में चल जाते हैं. फिल्म अपने कथानक की वजह से क्लास ऑडियंस को ही पसंद आएगी और उसमें भी ज्यादार वे हैं, जो इन दिनों ओटीटी पर ही सिनेमा का मजा लेते हैं. निर्माताओं और एक्टरों ने फिल्म को सही ढंग से प्रमोट नहीं किया, इसका नुकसान उन्हें बॉक्स ऑफिस पर उठाना पड़ेगा. लेकिन आयुष्मान इस फिल्म को करके फायदे में हैं क्योंकि उनका ग्राफ एक बार फिर ऊंचा उठा है.


निर्देशकः अनुभूति कश्यप
सितारेः आयुष्मान खुराना, रकुल प्रीत सिंह, शेफाली शाह, शीबा चड्ढा
रेटिंग ***1/2