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चीनी हैकर्स ने अमेरिका की बड़ी इंटरनेट कंपनियों को हैक कर लिया है. उन्होंने इन कंपनियों के कंप्यूटरों से बहुत सी गोपनीय जानकारियां चुरा ली हैं, जिसमें अदालत के आदेश से की जाने वाली बातचीत की रिकॉर्डिंग भी शामिल है. वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, चीनी हैकर्स ने अमेरिका की इंटरनेट कंपनियों के नेटवर्क को कई महीनों तक नियंत्रित किया. इन कंपनियों को अमेरिकी सरकार से लोगों के फोन कॉल और इंटरनेट इस्तेमाल के बारे में जानकारी देनी होती थी. हैकर्स ने इस जानकारी तक भी पहुंच बना ली. इसके अलावा, उन्होंने और भी बहुत सारे इंटरनेट ट्रैफ़िक को भी देखा. यह सब एक गंभीर साइबर हमला है जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है.
कौन है अटैक के पीछे?
अमेरिका की कुछ बड़ी इंटरनेट कंपनियों को चीनी हैकर्स ने हैक कर लिया है. इन कंपनियों में वेरिज़ोन कम्युनिकेशंस, एटी&टी और लुमेन टेक्नोलॉजीज़ शामिल हैं. माना जाता है कि ये हैकर चीन की सरकार के लिए काम करते हैं और उन्होंने "साल्ट टाइफून" नामक ऑपरेशन के तहत यह हमला किया है. इन हैकर्स ने अमेरिकी सरकार के आदेश से ली गई लोगों की बातचीत की रिकॉर्डिंग तक भी पहुंच बना ली है. यह एक गंभीर साइबर हमला है जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है.
चुराया डेटा
खबरों के मुताबिक, चीनी हैकर्स ने अमेरिका की इंटरनेट कंपनियों से बहुत सारे इंटरनेट डेटा चुरा लिया है. इसके अलावा, उन्होंने कुछ विदेशी इंटरनेट कंपनियों को भी हैक किया है. एक अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा है कि यह बहुत गंभीर साइबर हमला है। उन्होंने कहा कि इस हमले से पता चलता है कि चीन की सरकार साइबर हमलों में बहुत आगे बढ़ गई है. अगर अमेरिकी कंपनियां और सरकारें पहले इस तरह के हमलों को गंभीरता से नहीं ले रही थीं, तो अब उन्हें बहुत गंभीरता से लेना चाहिए.
क्या है चीन का कहना?
चीन की सरकार ने इन आरोपों को झूठा बताया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया. उन्होंने कहा कि उन्हें इस हमले के बारे में कुछ भी नहीं पता है. इसके साथ ही, उन्होंने अमेरिका पर आरोप लगाया कि अमेरिका जानबूझकर चीन को दोषी ठहरा रहा है. इस बयान में कहा गया है कि आजकल साइबर सुरक्षा पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या है. अगर हम इस समस्या को हल करना चाहते हैं, तो सभी देशों को बातचीत करके और साथ मिलकर काम करना चाहिए. हाल ही में अमेरिका ने कुछ और चीनी हैकिंग ग्रुप्स को भी रोका था. इन समूहों के नाम थे "फ़्लैक्स टाइफून" और "वोल्ट टाइफून".