Explainer: वोटिंग के बाद ईवीएम मशीनों का होता क्या है? समझ लीजिए पूरी क्रोनोलॉजी
EVM Security: मतगणना के समय अधिकृत चुनाव अधिकारी ही स्ट्रॉन्ग रूम से ईवीएम मशीनों को निकालते हैं. मशीनों को फिर मतगणना केंद्रों में ले जाया जाता है. लेकिन मतगणना प्रक्रिया से पहले और बाद में, ईवीएम मशीनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई सख्त प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है, जान लीजिए.
Election Commission: लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान हो गए हैं और अब सभी की नजर दूसरे चरण के मतदान पर है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मतदान खत्म होने के बाद ईवीएम मशीनों का क्या होता है? मतदान समाप्त होने के बाद, ईवीएम मशीनों को कड़ी सुरक्षा के बीच स्ट्रॉन्ग रूम में ले जाया जाता है. यह एक विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया कमरा होता है जो मशीनों को किसी भी तरह की छेड़छाड़ या क्षति से बचाने के लिए बनाया जाता है.
स्ट्रॉन्ग रूम को इस तरह से बनाया जाता है कि कोई भी अनधिकृत व्यक्ति अंदर न जा सके. मशीनों को रखने के लिए विशेष रैक और अलमारियां होती हैं, और कमरे में सीसीटीवी कैमरे और सशस्त्र सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं. ईवीएम मशीनों को मतगणना के दिन तक स्ट्रॉन्ग रूम में ही रखा जाता है. मतगणना के लिए मशीनों को केवल अधिकृत अधिकारियों की उपस्थिति में ही स्ट्रॉन्ग रूम से बाहर निकाला जाता है.
स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित..
चुनावों में मतदान के बाद, ईवीएम मशीनों को स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा जाता है. यह एक ऐसा कमरा होता है जिसे विशेष रूप से मशीनों को किसी भी अनधिकृत पहुंच या क्षति से बचाने के लिए बनाया जाता है. स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए कई स्तरीय उपाय किए जाते हैं.
CAPF तैनाती: 24 घंटे तैनात CAPF जवान स्ट्रॉन्ग रूम की पहली सुरक्षा रेखा बनाते हैं. यदि जवानों की कमी होती है, तो अतिरिक्त सुरक्षा के लिए सरकार से अनुरोध किया जा सकता है.
सीसीटीवी निगरानी: स्ट्रॉन्ग रूम में 24 घंटे चलने वाले सीसीटीवी कैमरे हर गतिविधि पर नजर रखते हैं, जिससे किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगाना आसान हो जाता है.
कंट्रोल रूम: स्ट्रॉन्ग रूम के सामने एक कंट्रोल रूम स्थापित किया जाता है, जहां से सुरक्षा कर्मी पूरे परिसर की निगरानी करते हैं और किसी भी खतरे का तुरंत जवाब दे सकते हैं.
सुरक्षा के तीन चक्र: स्ट्रॉन्ग रूम को तीन सुरक्षा चक्रों में बांटा गया है, प्रत्येक चक्र में CAPF गार्ड, पुलिस बल और जिला कार्यकारी बल के गार्ड तैनात होते हैं. यह बहु-स्तरीय सुरक्षा सुनिश्चित करता है कि कोई भी अनधिकृत व्यक्ति मशीनों तक नहीं पहुंच पाए.
अतिरिक्त सुरक्षा उपाय:
मजबूत निर्माण: स्ट्रॉन्ग रूम को मजबूत और टिकाऊ सामग्री से बनाया जाता है ताकि तोड़ना मुश्किल हो.
सीलिंग: मतदान समाप्त होने के बाद, ईवीएम मशीनों को सील कर दिया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनमें कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है.
प्रवेश प्रतिबंध: केवल अधिकृत कर्मियों को ही उचित अनुमति के साथ स्ट्रॉन्ग रूम में प्रवेश करने की अनुमति है.
चुनाव-मतगणना के बाद का भंडारण
मतदान खत्म होने के बाद, ईवीएम मशीनों से गुजरने वाली मुख्य प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं:
1. सीलिंग और सुरक्षा: मतदान समाप्त होने पर, पोलिंग अधिकारी ईवीएम की बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट को अलग करते हैं और उन्हें क्रमशः "सील टैग" और "सील बटन" के साथ सील करते हैं. सीलिंग प्रक्रिया में, पोलिंग अधिकारी और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में, मशीनों के विभिन्न हिस्सों पर क्रमिक सील लगाई जाती हैं. सीलिंग प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि मतदान के बाद कोई भी मशीन के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता है.
2. भंडारण और परिवहन: सील किए गए ईवीएम को फिर एक सुरक्षित स्थान पर, जैसे कि स्ट्रॉन्ग रूम या अस्थायी भंडारण केंद्र, ले जाया जाता है. स्ट्रॉन्ग रूम आमतौर पर मतदान केंद्रों या सरकारी कार्यालयों में स्थित होते हैं और इनकी सुरक्षा कड़ी होती है, जिसमें सीसीटीवी कैमरे और सशस्त्र सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं. चुनाव आयोग द्वारा अधिकृत वाहनों का उपयोग करके ईवीएम को सावधानीपूर्वक और सुरक्षित रूप से ले जाया जाता है.
3. मतगणना: निर्धारित तिथि पर, ईवीएम को मतगणना केंद्रों पर ले जाया जाता है. अधिकारियों द्वारा सील तोड़ी जाती है और मशीनों को मतगणना के लिए तैयार किया जाता है. मतगणना प्रक्रिया के दौरान, प्रत्येक ईवीएम से दर्ज वोटों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से एकत्रित किया जाता है और परिणामों को प्रिंट किया जाता है.
4. भंडारण: मतगणना पूरी होने के बाद, ईवीएम को फिर से सील कर दिया जाता है और उन्हें सुरक्षित भंडारण में वापस ले जाया जाता है. अगले चुनाव तक इन्हें भंडारण में रखा जाता है.
निर्धारित तिथि और समय पर, अधिकृत चुनाव अधिकारी स्ट्रॉन्ग रूम से ईवीएम मशीनों को निकालते हैं. मशीनों को फिर मतगणना केंद्रों में ले जाया जाता है, जहाँ वोटों की गणना की जाती है. मतगणना प्रक्रिया से पहले और बाद में, ईवीएम मशीनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई सख्त प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है.
ईवीएम मशीनों को कई सुरक्षा उपायों से लैस किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे छेड़छाड़ या हेरफेर के लिए प्रतिरोधी हों.
इनमें शामिल हैं:
टेम्पर-प्रूफ: मशीनें टेम्पर-प्रूफ हैं, जिसका अर्थ है कि यदि उन्हें खोला जाता है या छेड़छाड़ की जाती है तो यह पता लगाना आसान होगा.
एन्क्रिप्शन: वोट डेटा एन्क्रिप्ट किया जाता है, जिसका अर्थ है कि केवल अधिकृत व्यक्तियों ही इसे एक्सेस और डिक्रिप्ट कर सकते हैं.
सॉफ्टवेयर सुरक्षा: ईवीएम सॉफ्टवेयर को वायरस और अन्य मैलवेयर से बचाने के लिए सुरक्षा उपायों से लैस किया जाता है.