दिल्ली और उत्तर भारत के कई इलाकों में तो मानो आग ही बरस रही है! मई के दूसरे हफ्ते के बाद से ही कई इलाकों में भीषण लू का कहर जारी है. राजधानी दिल्ली में तो कुछ इलाकों में पारा 48-49 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है, वहीं राजस्थान में कुछ जगहों पर पारा 50 डिग्री सेल्सियस को भी छू चुका है. लू लगने और इससे जुड़ी बीमारियों से उत्तर भारत के कई इलाकों में मौतों की खबरें भी सामने आई हैं. ऐसे में अब हर किसी के मन में एक ये ही सवाल उठ रहा है कि आखिर इंसान का शरीर कितनी गर्मी सह सकता है?


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एक्सपर्ट यह समझने के लिए ह्यूमिडिटी और 'वेट बल्ब' टेम्परेचर का उल्लेख करते हैं कि इंसान का शरीर कितनी गर्मी सहन कर सकता है. वेट बल्ब टेम्परेचर एक मौसम संबंधी शब्द है, जिसका उपयोग सबसे कम तापमान का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसे निरंतर दबाव में हवा में पानी को भाग में बदलकर करके प्राप्त किया जा सकता है. यह तापमान ह्यूमिडिटी को मापने और यह समझने में मदद करता है कि हवा में कितना पानी भाग में बदल सकता है, जो आराम, खेती और मौसम के पैटर्न जैसी चीजों को प्रभावित कर सकता है.


एक्सपर्ट के अनुसार, इंसान का शरीर सामान्य रूप से 37 डिग्री सेल्सियस तापमान पर काम करता है. जब तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाता है, तो शरीर को ठंडा रखने के लिए पसीना आने लगता है. 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास, शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और थकान, सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.


41 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान खतरनाक
41 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान को खतरनाक माना जाता है. इस तापमान पर शरीर ठंडा करने के लिए पर्याप्त पसीना नहीं आ पाता है, जिससे हीट स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थिति हो सकती है. हीट स्ट्रोक में शरीर का तापमान तेजी से बढ़ जाता है, जिससे बेहोशी, दौरे और यहां तक कि मौत भी हो सकती है.


गर्मी से जुड़ी बीमारियां
एम्स (दिल्ली) के मेडिसिन विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल का कहना है कि गर हम गर्मी से जुड़ी बीमारियों का ध्यान नहीं रखते हैं, तो परेशानियों का सिलसिला शुरू हो जाता है- धूप से जलना, मांसपेशियों में ऐंठन यानी दर्द, चक्कर आना, थकान. ये शुरुआती चेतावनी के संकेत हैं. अगर आप इनका ध्यान नहीं रखते हैं, तो शरीर में पानी की कमी हो जाने की वजह से ब्लड प्रेशर कम होने लगता है और जब ये नापा जा सके, तो समझ लीजिए कि मरीज को हीट स्ट्रोक हो गया है.



समस्याओं के लक्षणों को पहचानना जरूरी
डॉ. नीरज ने आगे कहा कि गर्मी से जुड़ी समस्याओं के शुरुआती लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है. शुरुआत में अत्यधिक पसीना आना, थकान, चक्कर आना शामिल हो सकता है, इस स्थिति में ब्लड प्रेशर में बदलाव के कारण बेहोशी भी आ सकती है - ये चेतावनी के संकेत हैं. जिन लोगों को पहले से कोई बीमारी है और जो लोग बाहर ज्यादा काम करते हैं, उन्हें ज्यादा खतरा होता है. अगर वो खुद को सही से हाइड्रेट नहीं रखते हैं, तो उन्हें ये सारी समस्याएं हो सकती हैं.


कोल्ड ड्रिंक पीने से बचें
डॉ. नीरज ने ये भी कहा कि कोल्ड ड्रिंक सेहत के लिए अच्छी नहीं होती है, खासकर लू के समय. जब आप कोल्ड ड्रिंक पीते हैं तो आपकी प्यास तो थोड़ी देर के लिए चली जाती है लेकिन ये इतनी ज्यादा मीठी होती है कि ये आपके शरीर को और डिहाइड्रेट कर देती है. यह सेहत के लिए अच्छी नहीं है और लू के समय हाइड्रेशन के लिए कोल्ड ड्रिंक से बचना ही चाहिए. सबसे अच्छा ड्रिंक पानी है, इसके अलावा आप शिकंजी, लस्सी, छाछ जैसी चीजों का सेवन कर सकते हैं. ये हेल्दी ड्रिंक आपको हाइड्रेट रखेंगे. अगर आप बहुत पसीना बहा रहे हैं, तो ORS घोल आदि लेना भी फायदेमंद हो सकता है.