Telecom Bill 2023 in Loksabha: आजादी के बाद से भारत ने कई क्षेत्रों में जबरदस्त तरक्की की है. टेलीकॉम सेक्टर उनमें से एक है. आप देश के किसी भी हिस्से में जाएं. किसी भी छोटे बड़े शहर के चौक चौराहों पर नजर डालें तो हर हाथ में मोबाइल नजर आएगा. आज की तस्वीर कुछ इस तरह की गरीब से गरीब इंसान भी कुछ न कुछ रुपए डेटा पर खर्च कर रहा है. इन सबके बीच केंद्र सरकार ने 18 दिसंबर को टेलीकॉम बिल 2023 को मनी विधेयक के तौर पर लोकसभा में पेश किया. यहां पर दो विषयों पर चर्चा करेंगे पहला कि टेलीकॉम बिल 2023 में क्या खास है और इसे मनी विधेयक के तौर पर क्यों लोकसभा में पेश किया गया.


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टेलीकॉम सेक्टर में अभी तक तीन ऐक्ट


देश में टेलीकॉम सेक्टर में रेग्यूलेशन का काम इंडियन टेलीग्रॉफ एक्ट 1885, इंडियन वॉयरलेस टेलीग्रॉफी एक्ट 1933 और द टेलीग्रॉफ वॉयर(अनलॉफुल पजेशन)एक्ट 1950 के जरिए होता है. बता दें कि दो ऐक्ट का विधान ब्रिटिश सरकार के दौरान हुआ था. जबकि एक एक्ट की व्यवस्था देश को आजादी मिलने के बाद की गई. अब टेलीकॉम बिल 2023 में इन तीनों ऐक्ट को समाप्त करने की व्यवस्था है. इस बिल को टेलीकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को की जब लोकसभा-राज्यसभा से विपक्ष के 78 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था.


टेलीकॉम बिल 2023 में क्या है खास


  • इस बिल के जरिए टेलीकॉम नेटवर्क को और अधिक कानूनी और नियंत्रण देने का अधिकार है. इस बिल के दायरे से सोशस मीडिया प्लेटफॉर्म यानी व्हाट्सऐप और टेलीग्राम को बाहर रखने की कवायद है. इस बिल में सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि पब्लिक इमरजेंसी या राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर दूरसंचार सेवा के नियंत्रण या दूसरी सेवाओं को अपने कंट्रोल में ले सकती है.

  • पब्लिक इमरजेंसी (जिसमें आपदा प्रबंधन भी शामिल है) के दौरान या लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र या राज्य सरकारें सक्षम अधिकारी के जरिए टेलीकॉम सेवा या नेटवर्क को अपने अधिकार में ले सकता है यदि उसे ऐसा लगे कि देश हित में वैसा करना जरूरी है. या कुछ जरूरी उपाय या तरीकों को सुझा सकता है जो पब्लिक इमरजेंसी या राष्ट्रीय सुरक्षा में जरूरी हो.

  • इस बिल के जरिए उन लोगों पर लगान लगाने का इंतजाम है जो अवैध तरीके से फोन टैपिंग या डेटा का अवैध तरीके से ट्रांसफर करते हैं. इसे जुर्म माना गया है और दोषी पाए जाने पर तीन साल तक सजा की व्यवस्था है. यहीं नहीं 2 करोड़ रुपए तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा इस बिल के जरिए सरकार एंट्री फी में छूट. लाइसेंस फी या पेनल्टी लगा सकती है. इसके पीछे मकसद सिर्फ यह है कि टेलीकॉम सेक्टर में स्वस्थ प्रतियोगिता बनी रहे.

  • इस ड्राफ्ट में ओटीटी प्लेटफॉर्म को टेलिकम्यूनिकेशंस के दायरे से बाहर रखा गया है. मीडिया रिपोर्ट्स और कुछ जानकारों के मुताबिक अगर यह बिल कानून का शक्ल अख्तियार करता है तो इसके ट्राई का दायरा बढ़ जाएगा.

  • विधेयक में रास्ते के अधिकार प्रावधानों और सामान्य नलिकाओं की स्थापना के माध्यम से दूरसंचार नेटवर्क के लिए रूपरेखा तैयार करने की मांग की गई है. विधेयक के मसौदे में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि सरकार को प्रशासनिक तौर पर सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटित करने का अधिकार दिया जाना चाहिए. अब तक टेलीकॉम कंपनियों ने नीलामी में हिस्सा लिया है और स्पेक्ट्रम जीतने के लिए बोलियां पेश की हैं।

  • सरकारों ने पहले भी शांतिपूर्ण स्थिति कायम होने तक हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने जैसे कदम उठाए हैं। ये कदम अपने आप में बहस का विषय बना हुआ है.लेकिन अब दूरसंचार विधेयक के मसौदे में सरकार को नेटवर्क पर अस्थायी कब्जा करने का अधिकार देने का प्रस्ताव है. मीडिया रिपोर्ट्स में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि कब्जा क्या है और अस्थायी अवधि को किस तरह परिभाषित किया जाएगा.


क्यों मनी विधेयक की तरह पेश किया गया


सवाल यह है कि टेलीकॉम बिल 2023 को मनी बिल के तौर पर क्यों पेश किया गया. दरअसल मनी बिल को राज्यसभा में पेश नहीं किया जाता है, दूसरी बात यह है कि अगर इस बिल को साधारण बिल के तौर पर पेश किया जाता तो उसे राज्यसभा से भी पारित कराना पड़ता. अगर आप राज्यसभा की गणित को देखें तो यहां पर सत्ता पक्ष बहुमत में नहीं है. ऐसे में किसी भी बिल को पारित कराने के लिए उसे कवायद करनी पड़ती है. अब केंद्र टेलीकॉम बिल को बेहद अहम बता रही है लिहाजा किसी बिल को ऐक्ट बनने की दिशा में किसी तरह की बाधा ना हो इसके लिए मनी बिल की तरह पेश करना जरूरी था. लोकसभा में सरकार के पास बहुमत का प्रचंड आंकड़ा है और केंद्र इस बिल को बिना किसी परेशानी के पारित करा सकता है.


क्या होता है मनी बिल


सरकार अपनी वित्तीय योजनाओं को पूरा करने के लिए मनी बिल लाती है. ये बिल राजस्व बढ़ाने और व्यय करने के लिए कानूनी ताकत देते हैं. वित्त के प्रबंधनको पुख्ता करने के लिए सरकार के पास विषाधिकार और एक सरल विधायी प्रक्रिया है. धन विधेयक(Money bill) और वित्त विधेयक(Finance Bill)के बीच मुख्य अंतर यह है कि वित्त विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाता है जबकि वित्त विधेयक को राज्यसभा में पेश करने की जरूरत नहीं पड़ती. इसके अलावा, एक साधारण विधेयक किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है. जबकि धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है।