Science News: पृथ्वी के वायुमंडल का कुल द्रव्यमान 5.1 बिलियन बिलियन किलोग्राम है. तो फिर हम लोग इसके वजन से दब क्यों नहीं जाते? आइए आपको इस अजीब सवाल का जवाब आसान भाषा में समझाते हैं.
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Science News in Hindi: पृथ्वी की सतह और अंतरिक्ष के बीच दर्जनों मील दूर तक सिर्फ हवा मिलती है. पृथ्वी के वायुमंडल और बाहरी अंतरिक्ष के बीच की सीमा को 'कार्मन रेखा' कहते हैं. यह ग्रह की सतह से लगभग 62 मील (100 किलोमीटर) ऊपर है. हालांकि, वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के वायुमंडल का लगभग 99.9% द्रव्यमान 30 मील (48 किमी) की ऊंचाई से नीचे स्थित है. हवा हमारे शरीर से हल्की होती है, लेकिन वायुमंडल में मौजूद सारी हवा बहुत भारी है. रटगर्स विश्वविद्यालय में वायुमंडलीय विज्ञान के प्रोफेसर एंथनी ब्रोकोली के मुताबिक, 'पृथ्वी के वायुमंडल का कुल द्रव्यमान 5.1 बिलियन बिलियन किलोग्राम है.' तो फिर पृथ्वी के वायुमंडल से लोग क्यों नहीं कुचले जाते?
हमें क्यों नहीं महसूस होता वायुमंडल का वजन?
वायुमंडल का दबाव हम सभी के शरीर पर बराबर पड़ता है. हवा आपके शरीर के चारों ओर बहती है. ब्रोकोली ने लाइव साइंस से बातचीत में कहा, हवा से दबाव 'किसी व्यक्ति के शरीर के सभी हिस्सों पर समान रूप से डाला जाता है - यह सिर्फ नीचे की ओर जाने वाला बल नहीं है.'
वायुमंडल द्वारा हमारे शरीर पर समान रूप से डाला जाने वाला दबाव मामूली नहीं है. ब्रोकोली के मुताबिक, यह लगभग 14.7 पाउंड - एक बड़ी बॉलिंग बॉल के वजन के बराबर - प्रति वर्ग इंच (1 किलोग्राम प्रति वर्ग सेंटीमीटर) होता है.
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क्यों नहीं कुचले जाते हम?
हम हवा के इस दबाव से कुचले नहीं जाते क्योंकि हमारा शरीर समय के साथ ऐसे दबावों को झेलने के लिए विकसित हुआ है. ब्रोकोली ने कहा कि 'हमारे शरीर के अंदर की हवा अनिवार्य रूप से समान दबाव में बाहर की ओर धकेल रही है, जिससे दबाव बल संतुलित हो रहे हैं.' बलों का यह संतुलन तभी होता है जब हवा आपके शरीर के सभी तरफ पहुंच सकती है.
वेस्ट टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी में भौतिकी के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टोफर बेयर्ड द्वारा दिए गए वैक्यूम क्लीनर के उदाहरण से समझें. एक ब्लॉग पोस्ट में उन्होंने समझाया, 'अगर आप वैक्यूम क्लीनर के नोजल को अपने हाथ के खिलाफ़ दबाते हैं और यह आपकी त्वचा पर दबाव डालने वाली सारी हवा को चूस लेता है, तो आपके हाथ को जो बल महसूस होता है वह वैक्यूम नली के खिलाफ हवा के दबाव का भार है.'
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जैसे-जैसे आप ऊंचाई पर जाते हैं, वायुमंडलीय दबाव घटता जाता है. तभी तो विमान के ऊपर-नीचे होते समय आपके कानों में 'पॉप' की आवाज सुनाई देती है.