Lakshadweep: मुस्लिम बहुल लक्षद्वीप को हड़पना चाहता था पाकिस्तान, जानिए सरदार पटेल ने कैसे बचाया
Lakshadweep Islands: अंग्रेजों से आजादी हासिल करने और विभाजन के बाद देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) नहीं होते तो अरब सागर स्थित सामरिक महत्व वाले पोस्ट लक्षद्वीप द्वीप समूह (Lakshadweep Islands) पर गिद्ध जैसी नजर जमाए पाकिस्तान (Pakistan) ने लगभग कब्ज़ा ही कर लिया था. आइए, जानते हैं कि सरदार पटेल ने कैसे पाकिस्तान की नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया था.
Sardar Vallabhbhai Patel: भारत और मालदीव के बीच राजनयिक तनाव की खबरों के बीच अरब सागर स्थित लक्षद्वीप लगातार सुर्खियों में है. समुद्री क्षेत्र में स्थित दुनिया का सबसे छोटा इस्लामिक देश मालदीव की नई मुइज्जू सरकार को चीन समर्थक और भारत विरोधी माना जाता है. इस मजहबी तंग नजरों की वजह से ही बने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने तो विभाजन के बाद मुस्लिम बहुल लक्षद्वीप पर कब्जे के लिए पंजे फैला दिए थे. आइए, जानते हैं कि देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने कैसे पाकिस्तान को रोका और उसकी नापाक मंशा को पूरा नहीं होने दिया.
500 से अधिक रियासतों का देश में एकीकरण करने में जुटे थे सरदार पटेल
आजादी और विभाजन के बाद देश के गृहमंत्री बने महान स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता सरदार पटेल ने कूटनीति के साथ देश के 500 से ज्यादा रियासतों के एकीकरण को पूरा किया. सरदार पटेल ने असमंजस में फंसी कई रियासतों से बातचीत कर उनका भरोसा जीता. वहीं, कुछेक जगहों पर उन्हें चतुराई और सख्ती से भरे कदम भी उठाने पड़े. ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक, बुद्धिमान और दूरदर्शी सोच के साथ सख्त कदमों के लिए मशहूर लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल नहीं होते तो अरब सागर स्थित महत्वपूर्ण चौकी लक्षद्वीप पर पाकिस्तान ने लगभग कब्जा ही कर लिया था.
रणनीतिक और पर्यटन के लिहाज से बेहद खास है लक्षद्वीप द्वीपसमूह
लैकाडिव भी कहा जाने वाला लक्षद्वीप जमीन के मामले में लोगों को बहुत अधिक बड़ा नहीं लगता. क्योंकि 36-द्वीपों वाले इस द्वीपसमूह का क्षेत्रफल महज 32.69 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन प्राकृतिक सुंदरता और रणनीतिक स्थिति लक्षद्वीप को भारत की एक खास संपत्ति बनाती है. भौगोलिक लिहाज से देखें तो अरब सागर में यह उष्णकटिबंधीय स्वर्ग है. वहीं, पर्यटन के संदर्भ में देखें तो काफी हद तक अनएक्सप्लोर्ड समुद्री तट, सफेद रेते के बीच, कोरल रीफ से बने द्वीप, समुद्री जीवों के कंकाल पर बने द्वीप, जैव विविधता वगैरह इसे काफी संभावना वाली टूरिस्ट स्पॉट की तरह पेश करते हैं.
धार्मिक आधार पर विभाजन के चलते मुस्लिम बहुल लक्षद्वीप पर पाकिस्तान की नजर
ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद के भारत को आकार देने में सरदार पटेल का काम बेहद महत्वपूर्ण था. भारत सैकड़ों रियासतों में बंटा था और उनमें से कई स्वतंत्र भारत में शामिल होने के इच्छुक नहीं थे. सरदार पटेल की अथक समावेशी कूटनीति रंग लाई. उन्होंने इन रियासतों में शाही अधिकारियों से मुलाकात की और कहा कि अगर वे स्वतंत्र भारत में शामिल होने का फैसला करते हैं तो शाही घरानों की प्रतिष्ठा बनी रहेगी. वहीं, धार्मिक आधार पर भारत विभाजन की जटिल प्रक्रिया के तहत ब्रिटिश कंट्रोल का बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी वाला लक्षद्वीप नए बने पाकिस्तान के लिए एक आसान विकल्प माना जा रहा था.
पाकिस्तानी जहाजों के पहुंचने से पहले भारतीय अधिकारियों ने लक्षद्वीप पर फहराया तिरंगा
सरदार वलभभाई पटेल ने अपनी चतुर राजनीतिक समझ के चलते दक्षिणी भारतीय मालाबार तट के करीब स्थित लक्षद्वीप द्वीप समूह के रणनीतिक महत्व को पहचाना.उन्होंने दक्षिणी भारत में तैनात अधिकारियों को सुरक्षाकर्मियों के साथ एक जहाज जल्द से जल्द लक्षद्वीप के द्वीपों पर भेजने का निर्देश दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, लक्षद्वीप के इन द्वीपों पर दावा करने के लिए पाकिस्तान ने भी एक जंगी जहाज भी भेजा था, लेकिन भारतीयों ने लक्षद्वीप पर पहुंचने की रेस में उन्हें हरा दिया और द्वीपों पर तिरंगा फहरा दिया. इस घटनाक्रम के बाद पाकिस्तानी जहाज को अपने बेस पर खाली हाथ लौटना पड़ा.
बौद्ध जातक कथाओं में लक्षद्वीप द्वीपसमूह की चर्चा
संस्कृत और मलयालम भाषा में लक्षद्वीप का अर्थ 'एक लाख द्वीप' होता है. भारत के सबसे छोटे केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप की मौजूदा प्रशासकीय राजधानी कवरत्ती है. फिलहाल 96 फीसदी से ज्यादा इस्लाम को मानने वाली आबादी वाला लक्षद्वीप पहले इस्लाम बहुल नहीं था. लक्षद्वीप के बारे में एरिथ्रियन सागर के पेरिप्लस क्षेत्र का एक लेख है. इसके मुताबिक, ईसा पूर्व छठी शताब्दी की बौद्ध जातक कथाओं में लक्षद्वीप द्वीपसमूह की चर्चा मिलती है. लक्षद्वीप पर हिंदू और बौद्ध धर्मों के मानने वाले रहते थे. ईस्वी सन 631 में एक अरबी सूफी उबैदुल्लाह द्वारा यहां इस्लाम पहुंचाया गया. सरकारी दस्तावेजों में लक्षद्वीप में इस्लाम का आगमन सातवीं शताब्दी में वर्ष 41 हिजरा के आसपास होना बताया गया है. यहां के राजा चेरामन पेरुमल 825 ईस्वी में इस्लाम मजहब अपना लिया था. लक्षद्वीप के अरब से संपर्क और व्यापार होने की वजह से उनका भी प्रभाव रहा था.
राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक का लक्षद्वीप में शासन
इतिहास के मुताबिक, लक्षद्वीप द्वीपसमूह पर 11वीं शताब्दी के दौरान अंतिम चोल राजाओं और उसके बाद कैनानोर के राजाओं का शासन था. बाद में पुर्तगालियों और फिर उसके बाद 16वीं शताब्दी तक चिरक्कल हिंदू शासकों के बाद अरक्कल मुसलमान, फिर टीपू सुल्तान और उसके बाद लक्षद्वीप में अंग्रजों का शासन रहा है. 1947 में आजादी के बाद साल 1956 में भाषा के आधार पर इसे भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी में मिला लिया गया. उसके बाद इसे केरल राज्य में शामिल किया गया. फिर इसी साल लक्षद्वीप को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया. पहले इसे लक्कादीव, मिनिकॉय, अमीनदीवी के नाम से जाना जाता था. साल 1971 के बाद इस क्षेत्र का नाम लक्षद्वीप पड़ा. भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक लक्षद्वीप में शासन चलाते है. केंद्र शासित प्रदेश में स्थानीय लक्षद्वीप प्रशासन ही रोजाना के शासन और विकास योजनाओं की जिम्मेदारी निभाती है.