Explained: डॉलर और REER बढ़कर र‍िकॉर्ड हाई पर, फ‍िर इन देशों में मजबूत क्‍यों हुआ भारतीय रुपया?
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Explained: डॉलर और REER बढ़कर र‍िकॉर्ड हाई पर, फ‍िर इन देशों में मजबूत क्‍यों हुआ भारतीय रुपया?

USD In INR Today: भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले ग‍िरकर 85.41 रुपये के ऑल टाइम लो पर चला गया. इस दौरान रुपये का आरईईआर बढ़कर 108.14 पर चला गया. एक साल में यह 4.5 प्रतिशत मजबूत हुआ. 

Explained: डॉलर और REER बढ़कर र‍िकॉर्ड हाई पर, फ‍िर इन देशों में मजबूत क्‍यों हुआ भारतीय रुपया?

Rupee vs US Dollar: प‍िछले कुछ समय से डॉलर के मुकाबले रुपये में ग‍िरावट देखी जा रही है. हाल में आई मीड‍िया र‍िपोर्ट में बताया गया क‍ि आरबीआई ने अक्‍टूबर महीने में रुपये को टूटने से बचाने के ल‍िए एक महीने के अंदर 44 अरब डॉलर खर्च क‍िये हैं. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है रुपये और नीचे जा सकता था. डॉलर के मुकाबले रुपया 85.41 रुपये के ऑल टाइम लो पर चला गया है. र‍ियर इफेक्‍ट‍िव एक्‍सचेंज रेट (REER) अब तक के र‍िकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हाल‍िया आंकड़ों के अनुसार नवंबर के महीने में रुपये का आरईईआर (REER) 108.14 पर पहुंच गया. यह एक साल के दौरान 4.5 प्रतिशत मजबूत हुआ है.

आरईईआर, कंज्‍यूमर प्राइस इंडेक्‍स की तरह

आरईईआर (REER) के जर‍िये रुपये की केवल डॉलर के साथ ही नहीं, बल्कि दूसरी ग्‍लोबल करेंसी के साथ भी तुलना की जाती है. इस मामले में यह देश के कुल निर्यात और आयात का करीब 88 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले 40 देशों की मुद्राओं के साथ रुपये के एक्‍सचेंज रेट एवरेज है. आरईईआर (REER) भारत और इन सभी व्यापारिक साझेदारों के बीच महंगाई के अंतर को कम करता है. आपको बता दें आरईईआर (REER) कंज्‍यूमर प्राइस इंडेक्‍स (CPI) या इंडस्‍ट्र‍ियल प्रोडक्‍शन इंडेक्‍स की तरह ही है.

करेंसी वेटेज देकर तैयार क‍िया गया
इसे 2015-16 को बेस ईयर मानते हुए भारत के कुल विदेशी व्यापार अलग-अलग देशों की हिस्सेदारी के आधार पर करेंसी वेटेज देकर तैयार क‍िया गया है. जनवरी 2022 के 105.32 अंक से गिरकर यह अप्रैल 2023 में 99.03 पर आ गया था. लेकिन उसके बाद से इसमें तेजी देखी जा रही है. यह बढ़कर अक्टूबर में 107.20 और नवंबर में 108.14 प्‍वाइंट पर पहुंच गया. रुपये के कमजोर और मजबूत होने के बीच का मुख्य कारण पिछले तीन महीने में खासतौर पर 5 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद, डॉलर की चाल से जुड़ा हुआ है.

डॉलर में ज्‍यादातर तेजी 5 नवंबर के बाद आई
27 सितंबर से 24 दिसंबर के बीच डॉलर इंडेक्स फ्यूचर्स (यूरो, जापानी येन, ब्रिटिश पाउंड, कनाडाई डॉलर, स्वीडिश क्रोना और स्विस फ़्रैंक) के बास्केट के मुकाबले डॉलर के प्राइस को मापता है, इसका बेस ईयर मार्च 1973 है. इस दौरान यह 99.88 से बढ़कर 108.02 हो गया है. इसमें ज्‍यादातर तेजी 5 नवंबर के बाद आई, उस समय आरईईआर 102.98 प्‍वाइंट पर था. 27 सितंबर से 25 दिसंबर के बीच डॉलर के मुकाबले रुपया 83.67 से गिरकर 85.41 हो गया.

दूसरी मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हुआ रुपया
हालांकि, इस दौरान रुपये का मूल्य यूरो के मुकाबले 93.46 से बढ़कर 88.56 रुपये, ब्रिटिश पाउंड के मुकाबले 112.05 से घटकर 106.79 हो गया है और जापानी येन के मुकाबले 0.5823 से घटकर 0.5425 हो गया है. इससे साफ है क‍ि रुपये का मूल्य इन मुद्राओं के मुकाबले बढ़ा है. दूसरे शब्दों में रुपया उतना कमजोर नहीं हुआ जितना डॉलर सभी मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हो रहा है. डॉलर के मजबूत होने का कारण यह है क‍ि ट्रंप ने चीनी सामान के आयात पर घाटे से वित्तपोषित आयकर में कटौती और अवैध प्रवासियों को बड़े पैमाने पर देश से निकालने के पक्ष में पब्‍ल‍िकली बयान दिए हैं.

अमेरिका में फ‍िर बढ़ सकती है महंगाई
अगर ट्रंप के बयानों को नीतियों में बदला जाता है तो इसका असर अमेरिका में महंगाई के रूप में देखने को म‍िल सकता है. पर‍िणाम यह होगा क‍ि अमेरिकी फेडरल रिजर्व को फ‍िर से अपनी मौद्रिक नीति को कड़ा करना पड़ सकता है. वहां 10 साल के सरकारी बॉन्ड 27 सितंबर से 24 दिसंबर के बीच 3.75 प्रतिशत से बढ़कर 4.59 प्रतिशत पर पहुंच गए. इसलिए पूंजी भारत सहित सभी देशों से अमेरिका की तरफ जा रही है. साल 2022 की शुरुआत से लंबे समय के दौरान रुपये का मूल्य डॉलर (74.30 से 85.19), यूरो (84.04 से 88.56) और पाउंड (100.30 से 106.79) के मुकाबले कम हुआ है.

केवल येन के मुकाबले (0.6454 से 0.5425) मजबूत हुआ है. इसके बावजूद इसका आरईईआर बढ़ गया है. इस कारण भारत में महंगाई उसके प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की तुलना में ज्‍यादा है. यदि मान लें कि 2015-16 में रुपये का मूल्य 'उचित' था, जब आरईईआर (REER) 100 पर सेट किया गया था तो 100 से ऊपर का कोई भी मूल्य अधिक मूल्यांकन और विनिमय दर का इतना कम नहीं होना दर्शाता है कि वह उच्च घरेलू महंगाई की भरपाई कर सके. रुपये का अत्यधिक मूल्यांकन होने से देश में आयात सस्ता हो गया है और देश से निर्यात कम लागत प्रतिस्पर्धी हो गया है.  

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