क्या यह पाकिस्तान की सीमा है? शंभू बॉर्डर पर पुलिस-किसानों के बीच गतिरोध पर बोले बजरंग पुनिया
शंभू बॉर्डर पर पुलिस के साथ हुए कड़े गतिरोध के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने आज के लिए अपना मार्च स्थगित करने की घोषणा कर दी.
Farmer's Protest: कांग्रेस नेता बजरंग पुनिया ने पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस के इस्तेमाल पर सवाल उठाया और पूछा कि शंभू बॉर्डर को पाकिस्तान की सीमा की तरह क्यों माना जा रहा है. राष्ट्रीय स्तर के पहलवान ने केंद्र सरकार के दावे पर भी हमला किया और पूछा कि क्या राजनेताओं के लिए भी दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए यही स्थिति है. पुनिया ने केंद्र से प्रदर्शनकारी किसानों से किए गए अपने वादों को पूरा करने का भी आग्रह किया.
किसान केवल अपनी फसलों के लिए एमएसपी चाहते हैं
पुनिया ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "एक तरफ सरकार कह रही है कि हम किसानों को नहीं रोक रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ वे आंसू गैस और अन्य चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसा व्यवहार किया जा रहा है जैसे यह पाकिस्तान की सीमा है. जब नेता विरोध करने के लिए दिल्ली जाते हैं, तो क्या उन्हें अनुमति मिलती है? किसान केवल अपनी फसलों के लिए एमएसपी चाहते हैं. हम हमेशा किसानों का समर्थन करेंगे. सरकार को अपने वादे पूरे करने चाहिए."
शंभू बॉर्डर पर किसानों ने क्यों मार्च स्थगित किया ?
शंभू बॉर्डर पर पुलिस के साथ कड़े गतिरोध के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने दिन भर के लिए अपना मार्च स्थगित करने की घोषणा की. पंढेर ने कहा, "दोनों मंचों ने आज 'जत्था' वापस लेने का फैसला किया है. हम सुन रहे हैं कि 17-18 लोग घायल हुए हैं. हम कुछ समय बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और आपको आगे की कार्रवाई के बारे में बताएंगे."
हरियाणा पुलिस पर लगाया जनता को "गुमराह" करने का आरोप
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने पुलिस पर जनता को "गुमराह" करने का भी आरोप लगाया और पूछा कि किसानों के विरोध को सुरक्षा चिंता कैसे माना जा सकता है. हरियाणा पुलिस जनता को गुमराह कर रही है. पैदल चल रहे 100 लोग देश के लिए कैसे खतरनाक हो सकते हैं? पंढेर ने पूछा, "आपने पिछले 10 महीनों से सीमा क्यों जाम कर रखी है? आपने अपने देश के लोगों को क्यों परेशान किया है?"
तनावपूर्ण गतिरोध के बीच हरियाणा के शंभू सीमा बॉर्डर पर पुलिस कार्रवाई
तनावपूर्ण गतिरोध के बीच हरियाणा के शंभू सीमा बॉर्डर से दिल्ली की ओर मार्च कर रहे 101 किसानों के 'जत्थे' को शनिवार दोपहर पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोक दिया. अधिकारियों के इस बात पर जोर देने के बावजूद कि वे केंद्र के अधिकारियों की "अनुमति" के बिना आगे नहीं बढ़ सकते, किसान दिल्ली की ओर मार्च करने पर अड़े रहे.
एक किसान नेता ने सरकार से अनुरोध किया. "एसपी साहब, हम शांतिपूर्वक दिल्ली की ओर मार्च करना चाहते हैं. हम आपसे अनुरोध करते हैं कि हमारे विरोध को बाधित न करें. कृपया हमें सड़क पर जाने दें. हमें आगे बढ़ने दे.। हमारी आवाज़ को इन लोहे और पत्थर की बाधाओं से नहीं दबाया जाना चाहिए. हमारी आवाज़ को न दबाएं."
हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों से झड़प के बाद किसानों का ‘दिल्ली चलो’ स्थगित
इससे पहले हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों से झड़प के बाद किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च एक दिन के लिए स्थगित हो गया. पंजाब से लगती हरियाणा की सीमा पर शनिवार को दिल्ली की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारी किसानों के समूह को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया. इस दौरान कुछ किसानों के घायल हो जाने के कारण प्रदर्शनकारी किसानों ने अपना 'दिल्ली चलो' मार्च एक दिन के लिए स्थगित कर दिया.
पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने आंदोलन के बारे मे क्या बताया?
पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने बताया कि आंदोलन की अगुवाई कर रहे दोनों मंचों ने ‘‘जत्थे का मार्च रोकने’’ का फैसला किया है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों की कार्रवाई में 17-18 किसान घायल हुए हैं. किसान नेता मंजीत सिंह राय ने आरोप लगाया कि सुरक्षाकर्मियों ने रबर की गोलियां भी चलाईं जिसमें एक किसान गंभीर रूप से घायल हो गया. उन्होंने कहा, ‘‘दोनों मंचों ने आज के लिए जत्थे को वापस बुलाने का निर्णय लिया है और बैठक के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी.’’
संसद में कोई भी किसानों के लिए आवाज नहीं उठा रहा- सरवन सिंह पंढेर
पंढ़ेर ने आरोप लगाया, ‘‘किसानों को तितर-बितर करने के लिए रसायन मिश्रित पानी का इस्तेमाल किया गया और इस बार अधिक आंसूगैस के गोले दागे गए.’’ हालांकि, अंबाला कैंट के पुलिस उपाधीक्षक रजत गुलिया ने आरोपों का खंडन किया. पंढ़ेर ने कहा कि जब संसद में संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे होने पर बहस चल रही है, तो ‘‘संसद में कोई भी किसानों के लिए आवाज नहीं उठा रहा है...यहां हम जानना चाहते हैं कि हमारे विरोध पर कौन सा संविधान लागू होता है. 101 किसानों का जत्था देश की कानून-व्यवस्था के लिए खतरा कैसे बन सकता है.’’
प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए दागे आंसू गैस के गोले
हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें भी छोड़ी. यह कार्रवाई तब की गई जब किसानों के समूह द्वारा पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू विरोध स्थल से शनिवार को दोपहर 12 बजे के बाद दिल्ली के लिए अपना पैदल मार्च फिर से शुरू किया. अधिकारियों ने बताया कि कार्रवाई के दौरान कुछ किसान घायल हो गए, जिन्हें प्रदर्शन स्थल पर खड़ी एंबुलेंस की मदद से नजदीकी अस्पताल ले जाया गया.
पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर से आगे बढ़ा 101 किसानों का जत्था
पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू बॉर्डर विरोध स्थल से 101 किसानों का जत्था न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के इरादे से दिल्ली की ओर बढ़ा, लेकिन कुछ मीटर आगे जाने के बाद प्रदर्शनकारी किसानों को हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने वहां लगाए गए बहुस्तरीय अवरोधकों के जरिये रोक दिया. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की.
अंबाला के एसपी एसएस भोरिया ने की किसानों से बातचीत
इससे पहले अंबाला के उपायुक्त पार्थ गुप्ता और अंबाला के पुलिस अधीक्षक एस.एस. भोरिया ने कुछ प्रदर्शनकारी किसानों से आधे घंटे से अधिक समय तक बातचीत की और उन्हें दिल्ली से राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने की अनुमति प्राप्त करने के लिए मनाने की कोशिश की. हालांकि, किसान दिल्ली जाने पर अड़े रहे और सुरक्षाकर्मियों से उन्हें आगे बढ़ने देने का आग्रह किया.
देश की आधी से ज्यादा आबादी की आवाज को दबाया नहीं जा सकता
अवरोधक के दूसरी ओर खड़े हरियाणा के अधिकारियों से बहस करते हुए एक किसान नेता ने कहा, ‘‘हम शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ना चाहते हैं. हमारी आवाज को इस तरह नहीं दबाया जाना चाहिए. देश की आधी से ज्यादा आबादी कृषि से जुड़ी है, उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता.’’ किसान नेता ने कहा, ‘‘हम शांतिपूर्ण तरीके से पैदल मार्च कर रहे हैं, इसलिए हमें आगे बढ़ने की अनुमति दी जानी चाहिए. हम चाहते हैं कि सरकार किसानों और मजदूरों की समस्याओं को सुने. हम शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जाना चाहते हैं.’’
दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं तो अधिकारियों से लें अनुमति
अंबाला के पुलिस अधीक्षक एसएस भोरिया ने किसानों से कहा कि अगर वे दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं तो उन्हें संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘हम स्वयं आपको वहां तक पहुंचने में मदद करेंगे.’’ भोरिया ने उनसे कहा कि जिस स्थान पर यानी शंभू बॉर्डर पर आप विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वहां सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई के आदेश के मुताबिक यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे.
किसानों को हिंसक नहीं होना चाहिए और शांतिपूर्ण आंदोलन करना चाहिए
भोरिया ने प्रदर्शनकारी किसानों से वापस चले जाने की अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उसके द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय समिति प्रदर्शनकारी किसानों से बात करेगी और न्यायालय को सिफारिशें देगी. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने शुक्रवार को कहा था, ‘‘किसानों को हिंसक नहीं होना चाहिए और शांतिपूर्ण आंदोलन करना चाहिए. उन्हें विरोध प्रदर्शन का गांधीवादी तरीका अपनाना चाहिए क्योंकि उनकी शिकायतों पर विचार किया जा रहा है.’’
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को दिया ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र और पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को आमरण अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल से तुरंत मिलने का निर्देश दिया था. अंबाला के जिला उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने प्रदर्शनकारियों को बताया कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है और सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर तय की गई है. किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने का यह तीसरा प्रयास था. इससे पहले उन्होंने छह दिसंबर और आठ दिसंबर को भी इसी तरह के दो प्रयास किए थे, लेकिन हरियाणा में सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी थी.
अंबाला के कई इलाके में बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांग कर रहे हैं. वे केंद्र पर अपने मुद्दों को सुलझाने के लिए उनके साथ बातचीत शुरू करने का दबाव बना रहे हैं. अंबाला जिला प्रशासन ने पहले ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है. इसके तहत पांच या अधिक लोगों के गैरकानूनी रूप से एकत्र होने पर रोक होती है.
अंबाला के 12 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस भेजना बैन
इससे पहले हरियाणा सरकार ने अंबाला के 12 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई एसएमएस भेजे जाने संबंधी सेवाओं को 17 दिसंबर तक निलंबित कर दिया था. अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सुमिता मिश्रा द्वारा जारी आदेश के अनुसार अंबाला के डंगडेहरी, लेहगढ़, मानकपुर, ददियाना, बड़ी घेल, छोटी घेल, ल्हारसा, कालू माजरा, देवी नगर (हीरा नगर, नरेश विहार), सद्दोपुर, सुल्तानपुर और काकरू गांवों में शांति और सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवा को निलंबित करने का आदेश जारी किया गया है.
खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन
इस बीच, खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन शनिवार को 19वें दिन में प्रवेश कर गया. चिकित्सकों ने पहले ही उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी है, क्योंकि लंबे समय तक अनशन के कारण वह कमजोर हो गए हैं. लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने डल्लेवाल के चारों ओर सुरक्षा घेरा बना दिया है ताकि राज्य के अधिकारी उन्हें प्रदर्शन स्थल से हटा न सकें. पंजाब पुलिस ने 26 नवंबर को आमरन अनशन शुरू करने के कुछ घंटे बाद ही डल्लेवाल को खनौरी सीमा से जबरन हटा दिया था.
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एसकेएम नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को डल्लेवाल से की मुलाकात
एसकेएम नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को डल्लेवाल से मुलाकात की और ‘संयुक्त लड़ाई’ के लिए किसान समूहों से एकजुट होने का आह्वान किया. डल्लेवाल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे हैं ताकि केंद्र पर फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित आंदोलनकारी किसानों की मांगों को स्वीकार करने का दबाव बनाया जा सके. एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के बैनर तले किसान 13 फरवरी को सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली जाने पर रोके जाने के बाद से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं.
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फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी के अलावा और क्या है मांगें?
फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेतीहर मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस द्वारा आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की मांग कर रहे हैं. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है.
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