Jharkhand Elections: झारखंड में BJP के संकल्प पत्र के सामने कांग्रेस ने दोहराई 7 गारंटी, दोनों के मेनिफेस्टो में क्या है फर्क?
Jharkhand Assembly Elections 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण के मतदान से महज कुछ घंटे पहले कांग्रेस ने भी अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. भाजपा ने इससे काफी पहले 3 नवंबर को ही संकल्प पत्र के नाम से अपना मेनिफेस्टो जारी कर दिया था. आइए, जानते हैं कि दोनों पार्टियों के घोषणा पत्र में क्या खास है, क्या एक जैसा है और कितना फर्क है?
BJP Vs Congress Manifesto In Jharkhand: कांग्रेस ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार शाम को अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया. झारखंड चुनाव के पहले चरण के लिए बुधवार (13 नवंबर) को मतदान होने से महज कुछ घंटे पहले जारी घोषणा पत्र में कांग्रेस ने जाति सर्वेक्षण और मुफ्त बिजली का बड़ा वादा किया है. वहीं, भाजपा ने 3 नवंबर को ही संकल्प पत्र के नाम से अपना मेनिफेस्टो जारी कर दिया था.
कांग्रेस की घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष बंधु तिर्की ने घोषणापत्र जारी किया है. वहीं, भाजपा के संकल्प पत्र को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जारी किया था. आइए, जानते हैं कि झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए जारी भाजपा और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के घोषणा पत्र में क्या-क्या खास है, कौन-कौन से प्रमुख वादे एक जैसे हैं और कितना फर्क है?
पहले चरण के मतदान से एक दिन पहले आया कांग्रेस का घोषणापत्र
झारखंड की कुल 81 सीट में से 43 सीट के लिए पहले चरण में होने वाले मतदान से एक दिन पहले जारी अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने 250 यूनिट मुफ्त बिजली, जाति आधारित गणना कराने और एक साल के भीतर सभी खाली सरकारी पदों को भरने का वादा किया है. इसमें 1932 की खतियान आधारित अधिवास नीति और आदिवासियों की सरना धार्मिक संहिता के कार्यान्वयन सहित बीते सप्ताह इंडिया गठबंधन के साझा घोषणा पत्र के सात वादों को ही दोहराया है.
कांग्रेस नेताओं का वादा- घोषणा पत्र का करेंगे रिव्यू और सोशल ऑडिट
कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कहा, ‘‘घोषणापत्र में गरीबों को 250 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वादा किया गया है, जबकि अभी यह 200 यूनिट है. हम एक साल में सभी खाली सरकारी पदों को भर देंगे. झारखंड में आदिवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए घोषणापत्र समिति ने हर जिले में चौपाल लगाई और जनता से संवाद किया. हमने यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास किया कि हमारा घोषणापत्र आम लोगों के लिए हो.’’
कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने कहा कि हमारा घोषणा पत्र अतीत के अनुभव, वर्तमान की जरूरत और भविष्य के हिसाब से बनाया गया है. लोकसभा चुनाव में हमारे नेता राहुल गांधी ने हर वर्ग से बात करके घोषणा पत्र बनवाया था. हमने झारखंड में भी वही किया है. भगत ने कहा कि हम हर 6 महीने में ये जांचेंगे कि हमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की या नहीं. साथ ही इसका सोशल ऑडिट होगा ताकि जनता भी इसे देख सके.
कांग्रेस के घोषणा पत्र के प्रमुख वादे- गठबंधन की सात गारंटी का दोहराव
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ऊपर लिखे वादों के अलावा महिलाओं को 2,500 रुपए की सम्मान राशि देने, सामाजिक न्याय के तहत अनुसूचित जनजाति (ST) को 28 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (SC) को 12 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने, खाद्य सुरक्षा के तहत 450 रुपए में गैस सिलेंडर और हर व्यक्ति को 7 किलो राशन देने, रोजगार और स्वास्थ्य मद में 10 लाख नौकरी और 15 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा देने, शिक्षा के क्षेत्र में सभी प्रखंडों में डिग्री कॉलेज बनेंगे, जिला मुख्यालयों में इंजीनियरिंग-मेडिकल कॉलेज, यूनिवर्सिटी बनाने और किसानों के लिए धान की MSP 3,200 रुपए करने समेत अन्य कृषि उत्पादों की MSP में 50 प्रतिशत तक वृद्धि करने का वादा किया है.
भाजपा के संकल्प पत्र में 1.81 लाख लोगों के सुझाव, 25 बिंदुओं में 150 वादे
दूसरी ओर, केंद्र में लगातार तीसरी बार सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड में सत्ता में आने के लिए पूरी कोशिश की है. झारखंड चुनाव के लिए भाजपा के संकल्प पत्र को तैयार करने के लिए 1.81 लाख लोगों ने सुझाव दिया था. भाजपा ने सोशल मीडिया पर मिले सुझावों को भी इसमें शामिल करने का दावा किया. संकल्प पत्र को जारी करते हुए अमित शाह ने झारखंड के गठन के 25 साल पूरे होने के मौके पर भाजपा के घोषणा पत्र के 25 प्रमुख बिंदुओं का जिक्र किया. इसके साथ ही उन्होंने उन्होंने आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में 150 बिंदुओं वाला संकल्प पत्र जारी किया.
भाजपा के घोषणा पत्र में शामिल प्रमुख वादे और ऐलान क्या-क्या हैं?
भाजपा के घोषणा पत्र में आयुष्मान योजना के तहत 10 लाख का निःशुल्क इलाज, गोगो दीदी योजना के तहत महिलाओं को 2100 रुपये की सहायता राशि और झारखंड में पेपर लीक रोकने के लिए कड़े कानून बनाने का वादा किया गया. इसके अलावा किडनी के मरीजों को फ्री डायलिसिस सुविधा, अग्निवीर जवानों को नौकरी और 2.87 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया गया.
भाजपा ने सरकार में आने पर गरीब परिवारों को 500 रुपये में गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने, दिवाली और रक्षाबंधन में एक-एक गैस सिलेंडर मुफ्त देने, 5 साल में 5 लाख युवाओं को रोजगार देने. पेपर लीक करने वालों को पकड़ कर सजा दिलाने और महिलाओं के लिए एक रुपये में जमीन रजिस्ट्रेशन की योजना फिर से शुरू करने का भी वादा किया.
‘सरना धर्म कोड’ पर विचार-विमर्श करने के बाद निर्णय का वादा
झारखंड में सत्ता में आने पर भाजपा ने भी ‘सरना धर्म कोड’ के मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के बाद उचित निर्णय लेने का वादा किया है. झारखंड में उद्योगों, खदानों के कारण विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए आयोग का गठन करने के साथ ही भाजपा ने झारखंड में घुसपैठियों से जमीन वापस लेने के लिए कानून बनाने, हिंदुओं पर होने वाले हमले और चरम पर पहुंचे तुष्टीकरण को रोकने का वादा किया है.
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भाजपा के तमाम दिग्गजों के बीच यूसीसी पर अमित शाह की सफाई
झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान, सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, संजय सेठ, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र कुमार राय, सांसद सुनील सिंह समेत तमाम वरिष्ठ नेताओं के बीच अमित शाह ने घोषणापत्र में शामिल वादों को दोहराते हुए कहा था कि आदिवासियों पर यूसीसी लागू नहीं होगी. उन्होंने जमशेदपुर में भगवान बिरसा मुंडा, दुमका में सिद्धो कान्हू, पलामू में नीलांबर-पितांबर, जगन्नाथपुर में पोटो-हो के अलावा राज्य में तेलंगा खड़िया और विनोद बिहारी महतो का स्मारक बनाने की भी घोषणा की.
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भाजपा और कांग्रेस के कौन-कौन से प्रमुख वादे एक जैसे, कितना फर्क?
झारखंड में इन दोनों राष्ट्रीय पार्टियों यानी भाजपा और कांग्रेस का चुनावी मेनिफेस्टो देखें तो दोनों का खास फोकस आदिवासियों, किसानों, महिलाओं और युवाओं पर है. दोनों ने ही कमोबेश इन वर्गों के लिए जमकर लुभावने वादे किए हैं. ‘सरना धर्म कोड’ का मुद्दा भी दोनों को घोषणा पत्रों में बराबर महत्व के साथ शामिल है. कांग्रेस के घोषणा पत्र में जातिगत जनगणना और आरक्षण पर ज्यादा जोर दिया गया है.
वहीं, भाजपा ने घुसपैठ, तुष्टिकरण, महापुरुषों के सम्मान और समान नागरिक संहिता पर स्पष्टता को तरजीह दी है. चुनावी मुद्दों को भाजपा ने विस्तार से शामिल किया है. वहीं, कांग्रेस ने उसको क्लब कर सात गारंटी में समेटने की कोशिश की है.
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