Kisan Andolan: किसान आंदोलन में भिंडरावाले के पोस्टर, तीर-कमान और तलवारों का क्या है काम?
Kisan Andolan Khalistan: किसानों के आंदोलन में भिंडरावाले (Bhindranwale) के पोस्टर दिखाई दे रहे हैं. सवाल है कि शांति से प्रदर्शन करने आए कथित किसानों के हाथों में तलवार और तीर-कमान क्यों है.
Kisan Andolan Bhindranwale: किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) का आज पांचवां दिन है. सरकार और किसानों के बीच रविवार को चौथे दौर की बैठक होनी है लेकिन दिल्ली कूच का ऐलान कर चुके किसानों का पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर दंगल जारी है. किसान संगठनों की तरफ से भले ही शांतिपूर्वक प्रदर्शन का ऐलान किया जा रहा हो लेकिन प्रदर्शन से जो खबरें सामने आ रही हैं वो इन दावों पर सवाल खड़े कर रही हैं. प्रदर्शन में शामिल लोग हाथ में लाठी, तलवार और तीर-कमान लिए नजर आ रहे हैं. ऐसी भी खबरें है कि कुछ प्रदर्शनकारी अपने हाथों में भिंडरावाले (Bhindranwale), दीप सिद्धू और अमृतपाल की तस्वीरें भी हैं. अब सवाल है कि किसानों के प्रदर्शन में हथियारों और भिंडरवाले के पोस्टर का क्या काम है.
प्रदर्शन या बड़ी जंग का ऐलान?
बता दें कि किसानों के प्रदर्शन में सिर्फ निहंग सिख ही नहीं, बाकी कई प्रदर्शनकारी भी हथियार के साथ नजर आए. सीमेंट के बैरिकेड के पीछे नकाबपोश शख्स हाथों में तलवार थामे बैठा दिखा. इसके अलावा सीमेंट के स्लैब पर बैठा एक शख्स तलवार लहराकर भीड़ को उकसाता नजर आया. इस भीड़ में मौजूद कई लोग भारी-भारी लाठियां थामे दिखे और बैरिकेड के इस पार खड़े सुरक्षाकर्मियों को चुनौती दे रहे हैं. तलवार और लाठियां ही नहीं कई प्रदर्शनकारी तीर-कमान के साथ खड़े हैं. मानों किसी बड़ी जंग का ऐलान कर रहे हों.
किसानों के प्रदर्शन में भिंडरावाले का पोस्टर क्यों?
प्रदर्शनकारियों की उकसावे वाली कार्रवाई को रोकने के लिए जब सुरक्षाबल आंसू गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं तो प्रदर्शनकारियों ने इसका भी तोड़ निकाल रखा है. आंसू गैस के गोले को निष्प्रभावी करने के लिए कीटनाशक स्प्रे का इस्तेमाल किया जा रहा है. प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ है और उनके साथ में भिंडरावाले, दीप सिद्धू और अमृतपाल का पोस्टर चस्पा है. भीड़ की तरफ से बाकयदा इन तीनों के समर्थन में नारेबाजी की जा रही है.
शांति से प्रदर्शन के दावे में कितना सच?
प्रदर्शनकारियों के उपद्रव और देशविरोधी नारों की तस्वीरें पंजाब-हरियाणा के शंभू और दाता सिंह बॉर्डर से भी आई हैं. ये सब तब हो रहा है जब सरकार और किसानों के बीच बातचीत जारी है और रविवार को अगले दौर की बैठक होनी है. बैठक में शामिल किसान नेताओं की तरफ से सब्र और शांतिपूर्वक प्रदर्शन का दावा किया गया था.
शंभू बॉर्डर पर दो बार हो चुकी है पत्थरबाजी
हालांकि, 16 फरवरी को किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा था कि आंदोलन शांतिपूर्वक ढंग से जारी रहेगा. हम कोई छेड़छाड़ नहीं करेंगे. हमारी तरफ से कुछ नहीं किया जाएगा. ये हम किसानों से भी अपील करेंगे. लेकिन पंजाब-हरियाणा बॉर्डर से जो खबरें सामने आ रही हैं वो किसान नेताओं के दावों के ठीक उलट है. 15 फरवरी को सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरबाजी हुई. 16 फरवरी को हथियारों के साथ प्रदर्शनकारी दिखाई दिए.
उकसाने की कर रहे कोशिश
इससे पहले हरियाणा पुलिस ने शंभू बॉर्डर की तस्वीरें जारी की थीं, जिसमें कथित प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों पर पत्थर बरसा रहे थे. जो दूसरे दिन भी जारी रही. प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी के साथ-साथ तलवार और लाठियों के जरिए लगातार पुलिसकर्मियों को उकसाने की कोशिश की.
किसान आंदोलन पर राजनीति घमासान तेज
प्रदर्शनकारियों के दंगल पर राजनीति घमासान भी तेज हो गया है. 2024 की चुनौती से पार पाने के लिए कांग्रेस ने किसानों की प्रमुख मांग एमएसपी कानून अपनी पहली गारंटी बनाया है तो जवाब में बीजेपी पूछ रही है जब सत्ता थी तब एमएसपी को कानून के दायरे में क्यों नहीं लाए?
कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस ने MSP की कानूनी गारंटी देने की घोषणा की है. ये हमारी पहली गारंटी है. हमारे कार्यकर्ता भी इस बात को जनता के बीच रख सकते हैं. कांग्रेस जो वादा करती है, उसे पूरा करती है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि इसको राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए. कांग्रेस ने अपने समय में निर्णय क्यों नहीं लिया.
इस बीच, पंजाब में आज किसान नेता बीजेपी नेताओं के घरों का घेराव करेंगे, जिसमें पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ शामिल हैं. अगले दो दिनों तक प्रदर्शनकारियों ने पंजाब के सभी टोल प्लाजा को फ्री रखने का ऐलान भी किया है. वहीं, सरकार कल होने वाले किसानों के साथ चौथी बातचीत में सबकुछ ठीक होने की उम्मीद जता रही है.