मुस्लिम आरक्षण पर लालू का यूटर्न.. अब सामाजिक आधार बताया, तो फिर क्यों सेल्फ गोल कर बैठे?
Musilm Reservation: यह संयोग ही है कि कांग्रेस ना नुकुर करती रही और लालू ने इकरार कर लिया. हालांकि बवाल बढ़ता देखकर लालू ने यू टर्न भी ले लिया और मंडल कमीशन का जिक्र करके अपनी तरफदारी भी कर ली. लेकिन आखिर लालू को यह सब क्यों करना पड़ा, इसे समझना चाहिए.
Lalu Prasad Yadav News: इस लोकसभा चुनाव के जो कुछ बड़े मुद्दे चल रहे हैं, उसमें मुस्लिम आरक्षण भी एक है. बीजेपी लगातार विपक्ष पर निशाना साध रही है, पीएम मोदी ने तो बकायदा ये भी आरोप लगा दिया है कि कांग्रेस ओबीसी आरक्षण को खत्म करके मुस्लिम आरक्षण लागू करना चाह रही है. उधर कांग्रेस ने इस पर सफाई ही दी थी कि अगला बम बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव ने फोड़ दिया. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए. लालू ने इधर यह सब कहा, उधर बीजेपी ने इस बयान को लपक लिया और बवाल काटना शुरू कर दिया.
गनीमत यह रही कि लालू ने सिर्फ चार घंटे के अंदर ही अपने बयान से पलटी मार दी. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि आरक्षण का आधार धर्म नहीं बल्कि सामाजिक पिछड़ापन होता है. लालू ने यह भी लिखा कि मंडल कमीशन हमने लागू करवाया है. क्या नरेंद्र मोदी ने कभी मंडल कमीशन और उसकी सिफ़ारिशें पढ़ी है? मंडल कमीशन में 3500 से अधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण मिलता है, जिसमें अन्य धर्मों की भी सैंकड़ों जातियों को आरक्षण मिलता है.
आधार धर्म नहीं बल्कि सामाजिक
इसके अलावा लालू ने खुद कहा भी आरक्षण का आधार धर्म नहीं बल्कि सामाजिक होता है. लेकिन यह लालू का यूटर्न वाला बयान है. इससे पहले लालू यादव ने मुसलमानों को पूरा आरक्षण देने की वकालत की थी. पटना में पत्रकारों के सवाल पर लालू यादव ने कहा था कि जनता समझ गई है बीजेपी को, मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए. फिर इसके बाद तो मानों आसमान टूट पड़ा. लालू यादव के इस बयान के बाद बीजेपी के नेता राजद सहित इंडिया गठबंधन पर हमलावर हो गए.
ये सेल्फ गोल क्यों कर लिया?
अब जाकर चूंकि लालू ने एक तरह से बयान से पलटी मार ली है तो आखिर उन्होंने ये सेल्फ गोल क्यों कर लिया. हुआ यह कि लंबे समय से बीजेपी विपक्ष पर मुस्लिम आरक्षण को लेकर आरोप लगा रही है. पीएम मोदी ने साफ कहा है कि जब तक वे हैं, ऐसा नहीं होने देंगे. ऐसे में लालू ने भी पीएम का विरोध करते हुए इस पर बयान दे दिया. लेकिन उनको शायद नहीं पता था कि उनका बयान भारी पड़ जाएगा और वह भी चुनावों के बीच. उन्होंने आनन-फानन में अपनी भूल सुधार ली.
वैसे भी लालू यादव की पार्टी पर एमवाई का टैग लगता रहा है लेकिन चुनाव जीतने के लिए अब सोशल इंजीनियरिंग से आगे बढ़ना होगा, एक्सपर्ट्स का यही मानना रहता है. ऐसे में आरजेडी सुप्रीमो को जल्द ही समझ आ गया कि इस बयान को इंडिया गठबंधन के नेता के तौर पर देखा जाएगा और बीजेपी इसे भुना लेगी. उन्होंने सफाई पेश कर दी है. हालांकि उनकी बात जुबान से निकल चुकी थी और बीजेपी नेताओं ने उन पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. ऐसा भी हो सकता है कि पीएम मोदी भी इस बयान का कहीं ना कहीं जिक्र कर दें.