BJP-led Mahayuti Govt Expansion: महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह विधानसभा के शीतकालीन सत्र के शुरू होने से ठीक एक दिन पहले रविवार शाम को नागपुर में होने की उम्मीद है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शानदार जीत दर्ज करने, मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण के बावजूद महायुति गठबंधन के सहयोगियों भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के बीच कई सप्ताह से चली आ रही गहन चर्चा के बाद आज मंत्रियों के नाम सामने आ सकेंगे.


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भाजपा नीत महायुति सरकार में मंत्री पदों के लिए नहीं थमी प्रतिस्पर्धा


महाराष्ट्र की नई भाजपा नीत महायुति सरकार में मंत्री पदों के लिए प्रतिस्पर्धा लगातार तेज होती जा रही है. इसमें, खासकर शिवसेना और भाजपा के विधायक नए मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद में पदों के लिए जमकर होड़ कर रहे हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अपने दो डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजीत पवार के साथ पद और गोपनीयता की शपथ लेने के दो सप्ताह के बाद महायुति सरकार में पहला मंत्रिमंडल विस्तार हो रहा है. इससे पहले चुनाव नतीजे और सीएम-डिप्टी सीएम के शपथ ग्रहण समारोह होने के बीच भी दो सप्ताह का वक्त लग गया था.


महायुति के तीनों दलों के बीच महत्वपूर्ण विभागों और सत्ता में हिस्सेदारी


महायुति के वरिष्ठ नेताओं के बीच गहन चर्चा, बहस और कई बैठकों के बाद तीनों गठबंधन दलों के बीच महत्वपूर्ण विभागों और सत्ता में हिस्सेदारी की व्यवस्था के बारे में निर्णय लिया गया है. इससे मंत्रिमंडल में नए मंत्रियों को शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है. अधिकतम सीटें जीतने वाली भाजपा के मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान नए चेहरे पेश करने की उम्मीद है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा से 20-21 विधायकों को मंत्री बनाए जाने की संभावना है, उसके बाद शिवसेना से 11-12 और एनसीपी से 9-10 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं.


मलाईदार विभागों के बाद मंत्री पद को लेकर शिवसेना के भीतर मुकाबला


महायुति सरकार में मलाईदार विभागों के बाद मंत्री पद को लेकर शिवसेना के भीतर सबसे कड़ा मुकाबला है. शिवसेना का नेतृत्व कर रहे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ शुक्रवार रात को मुलाकात में संजय शिरसाट, योगेश कदम, विजय शिवतारे, भरत गोगावाले और बालाजी किनिकर जैसे प्रमुख विधायकों ने अपना पक्ष रखा. जानकारी के मुताबिक, दो पूर्व मंत्री दीपक केसरकर और तानाजी सावंत पांच घंटे से अधिक समय तक इंतजार करने के बावजूद शिवसेना प्रमुख शिंदे से मुलाकात नहीं कर पाए.


दागी या विवादित विधायकों को मंत्रिमंडल में नहीं रखना चाहती भाजपा


सरकार और गठबंधन का नेतृत्व कर रही भाजपा इस बात पर अड़ी हुई है कि दागी या विवादित विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाएगा. इसलिए भाजपा ने शिवसेना द्वारा दीपक केसरकर, सावंत, अब्दुल सत्तार और संजय राठौड़ के नाम को मंत्रियों की लिस्ट शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई है. केसरकर और सावंत को बाहर किए जाने से शिंदे को राजनीतिक रूप से नुकसान होने की संभावना नहीं है, लेकिन विदर्भ के कुछ हिस्सों में महत्वपूर्ण उपस्थिति वाले बंजारा समुदाय से आने वाले संजय राठौड़ को शामिल किया जाना शिंदे की सामाजिक-राजनीतिक समीकरणों के लिए अहम है.


शिवसेना के 3 विधायकों को मंत्री बनाए जाने पर क्यों है भाजपा को आपत्ति?


पुणे में एक युवती की आत्महत्या से संजय राठौड़ का नाम जुड़ा हुआ है. सीएम फडणवीस के अनुसार, उन्हें शिवसेना के मंत्रियों की सूची से बाहर रखे जाने के लिए कहा गया है. सूत्रों के मुताबिक, अब्दुल सत्तार के खिलाफ तानाशाही व्यवहार की शिकायतें थीं और स्वास्थ्य मंत्री के रूप में तानाजी सावंत का विभिन्न स्वास्थ्य सचिवों के साथ अक्सर टकराव होता था. इन दोनों पूर्व मंत्रियों के नाम पर भी भाजपा की ओर से शिवसेना के सामने आपत्ति रखी गई है. वहीं, शिंदे के सामने इन विधायकों को लेकर नई उलझन सामने आ गई है.


महाराष्ट्र मंत्रिपरिषद में हो सकते हैं मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 43 सदस्य


भाजपा एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि रविवार को 30-32 मंत्रियों के शपथ लेने की संभावना है. रिपोर्ट्स के अनुसार इसमें 20 भाजपा नेता और बाकी शिवसेना और एनसीपी के नेता शामिल होंगे. नियमों के मुताबिक, महाराष्ट्र में मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 43 सदस्य हो सकते हैं. इसका मतलब है कि महायुति मंत्रिमंडल में कुछ मंत्रियों के लिए जगह खाली भी रखी जाएगी. जिसका आगे आने वाले समय के हिसाब से इस्तेमाल किया जा सकेगा. साथ ही आगे मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार की गुंजाइश भी बनी रहेगी.


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महाराष्ट्र चुनाव नतीजे के बाद किन उलझनों से निकला महायुति गठबंधन?


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को हुए मतदान के नतीजे में महायुति ने राज्य की कुल 288 सीटों में से 230 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल की. इनमें भाजपा 132 सीटों के साथ सबसे आगे रही, उसके बाद एकनाथ शिंदे की शिवसेना 57 और अजित पवार की एनसीपी 41 सीटों पर विजयी रही. इसके बाद सरकार के गठन की दिशा में कई उतार-चढ़ाव देखने के बाद एकनाथ शिंदे ने देवेंद्र फडणवीस के लिए मुख्यमंत्री पद की जगह खाली की.


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हालांकि, इसके बाद एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे और पार्टी संगठन पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे, लेकिन उन्हें उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए राजी कर लिया गया. शिवसेना ने कई मौकों पर शिंदे को उनके कद के अनुरूप पद दिए जाने की बात उठाते हुए उनके लिए गृह विभाग मांगा, जिस पर भाजपा सहमत नहीं हुई. इस पूरे हलचल के बीच अजित पवार शांत बने रहे हैं.


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