Lakshadweep: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा (PM Modi Lakshadweep Visit) और पड़ोसी मुल्क मालदीव के बदजुबान मंत्रियों के कटाक्ष के बाद सोशल मीडिया पर केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप और उसकी खूबसूरती छाई हुई है. पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे और वहां पर्यटन को बढ़ावा देने वाले सोशल मीडिया पोस्ट के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मालदीव के पेंच कसे जाने की अटकले लगाई जाने लगी. इससे बौखलाकर बेतुकी बयानबाजी करने वाले मालदीव के मंत्रियों को बेआबरू होकर पद से हटना पड़ा.


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पीएम मोदी के दौरे और प्रमोशन के बाद लक्षद्वीप सर्च इंजन गूगल (Google Search) पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाने वाला कीवर्ड बन गया. सोशल मीडिया यूजर्स ने लक्षद्वीप की हैरत में डालने वाली कुदरती सुंदरता और वहां के लोगों की गर्मजोशी से भरे मेहमाननवाजी के बारे में लिखा. वहीं, हजारों लोगों ने मालदीव की अपनी ट्रीप रद्द कर दी और बायकॉट मालदीव हैशटैग ट्रेंड करने लगा. 


लानत-मलानत के बाद सस्पेंड किए गए मालदीव के तीन मिनिस्टर


मामले के तूल पकड़ने पर मालदीव के मंत्री जाहिर रमीज और मरियम शिउना सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हुए तो पोस्ट डिलीट करना पड़ा. मालदीव में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अपने मंत्रियों की लानत-मलानत की. इसके बाद मालदीव की मुइज्जू सरकार ने भारत और पीएम मोदी पर बेतुके कमेंट के लिए कार्रवाई करते हुए तीन मंत्रियों मरियम शिउना, मालशा और हसन जिहान को सस्पेंड कर दिया. साथ ही उनके विवादित बयानों को निजी बताकर मालदीव सरकार ने पल्ला झाड़ लिया.


दूसरी ओर, लक्षद्वीप दुनिया भर में चर्चा में आ गया. आइए, जानते हैं कि लक्षद्वीप का इतिहास क्या है? हिंदू और बौद्धों की जमीन लक्षद्वीप कैसे मुस्लिम बहुल बन गया? साथ ही लक्षद्वीप के समुद्र तटों की प्राकृतिक खूबसूरती के सामने मालदीव कितना फीका है. 


लक्षद्वीप का इतिहास, बौद्ध जातक कथाओं में द्वीपसमूह का उल्लेख


संस्कृत और मलयालम में लक्षद्वीप का अर्थ 'एक लाख द्वीप' होता है. लक्षद्वीप भारत का सबसे छोटा केंद्रशासित प्रदेश है. 32 द्वीपों के इस द्वीपसमूह में अब 36 द्वीप बन गए हैं. लक्षद्वीप की मौजूदा प्रशासकीय राजधानी कवरत्ती है. यहां की 96 फीसदी से ज्यादा आबादी इस्लाम को मानने वाली है. हालांकि, लक्षद्वीप पहले इस्लाम बहुल नहीं था. यहां पर हिंदू और बौद्ध धर्मों के मानने वाले रहते थे.  लक्षद्वीप के बारे में एरिथ्रियन सागर के पेरिप्लस क्षेत्र का एक लेख है. इसके लेखक बारे में जानकारी नहीं है. लेख के अनुसार ईसा पूर्व छठी शताब्दी की बौद्ध जातक कथाओं में इस द्वीप के बारे उल्लेख किया गया है.


लक्षद्वीप में कैसे पहुंचा इस्लाम, कब-कब किसका रहा शासन 


लक्षद्वीप में ईस्वी सन 631 में एक अरबी सूफी उबैदुल्लाह द्वारा इस्लाम पहुंचाया गया. सरकारी दस्तावेजों में कहा गया है कि लक्षद्वीप में इस्लाम का आगमन सातवीं शताब्दी में वर्ष 41 हिजरा के आसपास हुआ था. राजा चेरामन पेरुमल द्वारा बसाए गए इस द्वीप समूह के सबसे पुराने और बसाए गए द्वीप अमिनी, कल्पेनी अन्दरोत, कवरत्ती और अगत्ती हैं. राजा चेरामन पेरुमल 825 ईस्वी में इस्लाम अपना लिया था क्योंकि अरब से संपर्क और व्यापार होने की वजह से कहीं न कहीं उनका भी प्रभाव इस द्वीप रहा था.


1956 में बना केंद्रशासित प्रदेश, 1971 के बाद नाम हुआ लक्षद्वीप


11वीं शताब्दी के दौरान इस द्वीपसमूह पर अंतिम चोल राजाओं और उसके बाद कैनानोर के राजाओं का शासन था. बाद में पुर्तगालियों और फिर उसके बाद 16वीं शताब्दी तक चिरक्कल हिंदू शासकों के बाद अरक्कल मुसलमान, फिर टीपू सुल्तान और उसके बाद लक्षद्वीप में अंग्रजों का शासन रहा है. 1947 में आजादी के बाद साल 1956 में भाषा के आधार पर इसे भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी में मिला लिया गया. उसके बाद इसे केरल राज्य में शामिल किया गया. फिर इसी साल लक्षद्वीप को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया. पहले इसे लक्कादीव, मिनिकॉय, अमीनदीवी के नाम से जाना जाता था.साल 1971 के बाद इस क्षेत्र का नाम लक्षद्वीप पड़ा.


टूरिज्म के लिहाज से लक्षद्वीप का बड़ा हिस्सा और समुद्र तट अनएक्सप्लोर्ड


लक्षद्वीप में 36 द्वीपों में ज्यादातर आबादी आम तौर पर 9-10 द्वीपों पर रहती है. इसलिए टूरिज्म के लिहाज से लक्षद्वीप का बड़ा हिस्सा और समुद्र तट अनएक्सप्लोर्ड है. देश के अन्य राज्यों से यहां आने से पहले लक्षद्वीप टूरिज्म से परमिशन लेना होता है. यात्रा के लिए यहां कैश लाना बेहतर होता है. क्योंकि लक्षद्वीप के कई इलाके में इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत सीमित है. बंगाराम आईलैंड को छोड़कर सभी द्वीपों पर शराबबंदी है. भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक लक्षद्वीप में शासन चलाते है. लक्षद्वीप प्रशासन ही केंद्र शासित प्रदेश में स्थानीय सरकार है और द्वीपसमूह के रोजाना के शासन और विकास योजनाओं की जिम्मेदारी निभाती है.


समुद्री जीवों के कंकाल पर कोरल रीफ से बना है भारत का अनोखा लक्षद्वीप 


लक्षद्वीप भारत का ऐसा द्वीप समूह है जो समुद्री जीवों के कंकाल पर कोरल रीफ यानी मूंगा की चट्टानों से बना है. लक्षद्वीप के सफेद समुद्र तट और कुदरती नजारे दुनियाभर के लोगों को आकर्षित करते हैं. लक्षद्वीप की कई जगहों की खूबसूरती के सामने तो मालदीव भी फीका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद से दुनिया भर के लोगों में यहां यात्रा करने को लेकर खासी दिलचस्पी हो गई है. पीएम मोदी ने पोस्ट किया कि अगर आप रोमांच का अनुभव करना चाहते हैं तो लक्षदीप आपकी लिस्ट में होना चाहिए.


स्नोर्कलिंग और डीप सी डाइविंग के लिए मिनीकॉय, काडमत और कोरल द्वीप 


लक्षद्वीप के अहम द्वीपों में एक मिनीकॉय द्वीप को मिलिकू भी कहा जाता है. द्वीप समूह के दक्षिण पश्चिम में स्थित यह द्वीप समुद्र के नजारों से भरपूर है. खास तौर से यहां के लाइट हाउस और सफेद रेत वाले बीच मशहूर हैं. लक्षदीप के मशहूर पर्यटन स्थलों में काडमत द्वीप और कोरल द्वीप अपनी शानदार समुद्री जीवन के लिए मशहूर है. यहां की आबादी भी ज्यादा नहीं है. यहां मछली पकड़ने का काम सबसे ज्यादा होता है. यह स्नोर्कलिंग और डीप सी डाइविंग के लिए प्रसिद्ध है.


सफेद रेत के बीच पर सनसेट के नजारे के लिए बेहद मशहूर है कवरत्ती द्वीप 


कवरत्ती द्वीप अपनी प्राकृतिक छटाओं के लिए जाना जाता है. यहां के सफेद रेत के बीचों पर सूर्यास्त के नजारे लोगों को बहुत पसंद आते हैं. यहां के लैगून की वजह से खासी हरियाली फैली हुई है. हर साल बहुत से पर्यटक कवरत्ती आते हैं. लक्षद्वीप में समुद्री जीवन और उससे संबंधित चीजों की भरमार है. यहां समुद्री जीवन की जानकारी देने वाला एक शानदार मरीन म्यूजियम है. कवरत्ती द्वीप में मौजूद दुनिया के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने इस म्यूजियम में शार्क स्केलेटन सबसे ज्यादा ध्यान खींचता है.


पहले से बुकिंग के बिना कल्पेनी और पिट्टी द्वीप में नहीं मिलती रुकने की जगह


कल्पेनी द्वीप में जाने के लिए पहले से बुकिंग जरूरी है. यहां ठहरने के लिए जगह आसानी से नहीं मिलती है. यहां का खाना लोगों को खास पसंद आता है. यहां पर विदेशी पर्यटक नहीं आ सकते हैं. इसलिए यहां भीड़ भी नहीं होती है. यहां अकेले भी एन्जॉय कर सकते हैं. कल्पेनी द्वीप के पास छोटा सा पिट्टी द्वीप है. बहुत ही साफ और सुथरे कोरल द्वीप में पक्षी बहुत अधिक संख्या में हैं. लोग केवल पक्षी देखने ही यहां आते हैं. पिट्टी बर्ड सेंक्चुरी में जाने के लिए पहले से बुकिंग करनी होती है. 


वाटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर के लिए मशहूर थिनाकारा द्वीप में प्राइवेट बीच का एहसास


अपने वाटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर के लिए खास तौर से मशहूर थिनाकारा द्वीप पहुंचने पर ऐसा लगता है कि जैसे किसी प्राइवेट द्वीप पर आए हैं. बताया जाता है कि इस द्वीप पर केवल 20 कमरे हैं. यहां के खूबसूरत लैगून और साफ-सुथरे बीच पर्यटकों को खासा आकर्षित करते हैं. बंगाराम एटोल को लक्षदीप का स्वर्ग कहा जाता है. बहुत से लोग इसको लक्षदीप का सबसे बढ़िया द्वीप माते हैं. यहां प्रकृति प्रेमियों के लिए बहुत सी जगहे हैं. लक्षद्वीप के इस द्वीप की लोकप्रियता इसलिए भी है क्योंकि यहां पर शराब खरीदने और पीने की इजाजत है.


द्वीपसमूह के अगाटी द्वीप पर पहुंचना सबसे आसान है. यहां एयरपोर्ट है और कोच्चि से यहां नियमित उड़ान की सुविधा है. अगाटी एयरपोर्ट से लैगून तक जाने के लिए महज 20 मिनट का रास्ता है. अगाटी में होटल की सुविधा भी बेहतर है. अगाटी द्वीप की टूना मछली से बनी डिशेज काफी मशहूर है. सी-फूड के अलावा यहां शाकाहारी भोजन के भी बहुत अच्छे विकल्प हैं.