Explainer: आखिर कितनी शराब पीकर चला सकते हैं गाड़ी? कब बन जाता बनता है ड्रंक एंड ड्राइव केस, कितनी है सजा
Pune Porsche Car Accident: पुणे में पोर्श कार से हुए एक्सिडेंट के बाद देशभर में ड्रंक एंड ड्राइव के मामलों पर भी चर्चा जोरों पर है. सवाल है कि आखिर कितनी मात्रा से ज्यादा शराब पीने पर ड्रंक एंड ड्राइव का केस बन जाता है.
Pune Porsche Car Accident Update: पुणे में पोर्श कार से हुई दुर्घटना के मामले में पुलिस ने जांच के बाद अपनी एफआईआर में मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 भी शामिल की है. यह धारा नशे की हालत में गाड़ी चलाए जाने पर लगाई जाती है. पुलिस के मुताबिक करीब 150 किमी प्रति घंटे की स्पीड से कार चला रहे नाबालिग ने जब दो इंजीनियरों को उड़ाया तो उसने शराब पी रखी थी. इस मामले में MVA की धारा 185 लगाने से एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या शराब पीकर गाड़ी चलाना बिल्कुल वर्जित है या फिर एक लिमिट तक ड्रिंक करने के बाद गाड़ी ड्राइव की जा सकती है. आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताएंगे.
मशीन बता देती है ड्रंक- ड्राइव
सबसे पहले आपको यह बताते हैं कि पुलिस आखिर कैसे पता करती है कि किसी ने शराब पी रखी है या नहीं. असल में इसके लिए पुलिस ब्रीथ एनेलाइजर का इस्तेमाल करती है. आरोपी को यह मशीन देकर उसे जोर से सांस लेने के लिए कहा जाता है. यह मशीन पता लगा लेती है कि आरोपी ने शराब पी रखी है या नहीं.
इस टेस्ट से पता चल जाता है कि उसके ब्लड में अल्कोहल की मात्रा कितनी है. कानून गाड़ी चला रहे किसी भी व्यक्ति के 100 एमएल खून में एल्कोहल की मात्रा 30 एमजी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर टेस्ट में एल्कोहल की मात्रा इससे ज्यादा मिल जाती है तो आरोपी पर ड्रंक एंड ड्राइव का केस दर्ज किया जाता है.
आखिर कैसे काम करती है मशीन?
असल में शराब पीने के बाद वह खून में मिल जरूर जाती है लेकिन आसानी से पचती नहीं है. ऐसे में जब खून फेफड़ों से गुजरता है तो उसमें मौजूद एल्कोहल भी सांसों के जरिए हवा में बाहर आने लगती है. इसी को शराब की दुर्गंध कहा जाता है. ब्रीथ एनेलाइजर मशीन इस छोड़ी सांस से पता कर लेती है कि खून में एल्कोहल की मात्रा कितनी है. यही वजह है कि पुलिस टीम बिना ब्लड सैंपल लिए भी आरोपी में एल्कोहल की मात्रा पता लगा लेती है. हालांकि मामला गंभीर होने पर उसका अस्पताल में ब्लड टेस्ट भी करवाया जाता है.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक जब भी कोई इंसान शराब पीता है तो 80 प्रतिशत एल्कोहल आंतों में घुल जाती है और बाकी 20 प्रतिशत पेट में रह जाती है. इसके बाद वह एल्कोहल शरीर के हर उत्तक में मिलकर उन्हें मदहोश करना शुरू कर देता है. खून में मिलने के बाद करीब 10 प्रतिशत एल्कोहल शरीर से बाहर निकलता है.
10 प्रतिशत एल्कोहल निकलती है बाहर
इनमें से 5 प्रतिशत एल्कोहल सांसों के जरिए और 5 प्रतिशत यूरिन के जरिए बाहर आता है. जो एल्कोहल सांसों के जरिए बाहर आती है, उसी को ब्रीथ एनेलाइजर मशीन डिटेक्ट कर पाती है.
ड्रंक- ड्राइव पर क्या है कानून?
भारत के कानूनों के मुताबिक प्राइवेट स्पेस पर शराब पीने पर कोई बैन नहीं है लेकिन आप शराब पीकर गाड़ी नहीं चला सकते. ऐसा करने पर पुलिस आप पर मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 के तहत एक्शन ले सकती है. इस धारा के तरहत नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने पर पहली बार में 2 हजार रुपये का जुर्माना या 6 महीने की जेल या दोनों हो सकते हैं.
अगर 3 साल के भीतर आरोपी फिर से नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है तो उसे 3 हजार रुपये जुर्माना या 2 साल तक की सजा हो सकती है. इसके साथ ही उसका ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड या कैंसल हो सकता है.
19 मई को कार से कुचलकर मार दिया था
बताते चलें कि पुणे में एक बिल्डर के बेटे ने 19 मई को अपने दादा से गिफ्ट में मिली पोर्श कार से बाइक सवार दो इंजीनियरों को कुचलकर मार दिया था. पुलिस के मुताबिक दुर्घटना के वक्त नाबालिग उस कार को करीब 150 किमी प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ा रहा था. एक्सिडेंट से पहले उसने अपने दोस्तों के साथ बार में शराब भी पी थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
2 डॉक्टर समेत 3 गिरफ्तार
पुलिस के मुताबिक इस कांड में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने रिश्वत लेकर आरोपी को मदद करने की कोशिश की. उसके ब्लड सैंपल को कूड़े में फेंक दिया गया, जबकि बिना शराब किए व्यक्ति के ऐसे सैंपल को नाबालिग का बताकर दे दिया गया. जिसमें उसका एल्कोहल टेस्ट नेगेटिव आया. पुणे पुलिस ने इस मामले में दो डॉक्टरों डॉ. अजय तावड़े और डॉ. श्रीहरि हलनोर के साथ ही उनके स्टाफ मेंबर अतुल घाटकांबले को भी गिरफ्तार किया.