Russia Ukraine War: व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बीते दिनों खुफिया जानकारी के आधार पर दावा किया कि 30 दिसंबर, 2023 और 02 जनवरी, 2024 को रूस ने यूक्रेन पर हमले में उत्तर कोरिया (North Korea) की दी हुई बैलेस्टिक मिसाइलें इस्तेमाल की थी. अमेरिका (US) का मानना है कि यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन रूस की मदद कर रहे हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी इन हमलों की पुष्टि की है.


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उत्तर कोरिया और रूस के हथियार सौदे में मददगारों पर प्रतिबंध की तैयारी


अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि रूस आगे यूक्रेन के हमले पर उत्तर कोरियाई ड्रोन का भी इस्तेमाल कर सकता है. इसलिए उत्तर कोरिया और रूस के बीच हथियारों के हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने में शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. अमेरिका ने यह भी कहा कि रूस कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें खरीदने के लिए ईरान से भी बातचीत कर रहा है. अमेरिकी खुफिया विभाग के मुताबिक, फिलहाल ईरानी मिसाइलें अभी तक रूस नहीं पहुंची हैं. 


जॉन किर्बी ने कहा कि उत्तर कोरिया के साथ रूस के हथियार डील के मामले को अमेरिका अंतरराष्ट्रीय हथियार प्रतिबंध के उल्लंघन के रूप में संयुक्त राष्ट्र में ले जाएगा. आइए, जानते हैं कि अमेरिका क्यों चिंतित है. अंतरराष्ट्रीय हथियार प्रतिबंध क्या है और आखिर क्यों क्यों उत्तर कोरिया से लिए बैलेस्टिक मिसाइलों को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में नहीं दाग सकते?


प्रतिबंधों और निर्यात नियंत्रण के चलते उत्तर कोरिया और ईरान की तरफ बढ़ा रूस


व्हाइट हाउस ने अपने आधिकारिक बयान में दावा किया  है कि उत्तर कोरिया ने रूस को युद्ध में यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल के लिए बैलिस्टिक मिसाइलें मुहैया कराईं हैं. अमेरिकी प्रतिबंधों और निर्यात नियंत्रण के चलते दुनिया में अलग पड़ जाने की वजह से रूस मदद के लिए उत्तर कोरिया जैसे देशों की तरफ गया है. रूस ने 30 दिसंबर को यूक्रेन में उत्तर कोरियाई बैलिस्टिक मिसाइल दागी, लेकिन वह खुले मैदान में गिरी. 


यूक्रेन पर अब 550 मील दूर से हमला करने की योजना बना रहा है रूस


इसके बाद रूस की सेना ने दो जनवरी को एक बड़े हमले के रूप में ऐसी और मिसाइलें लॉन्च की हैं. फिलहाल इसके नुकसान का आकलन नहीं किया गया है. रूस अब 550 मील दूर से हमला करने की योजना बना रहा है. वहीं, इन उत्तर कोरियाई मिसाइलों की रेंज 900 किलोमीटर है. उत्तर कोरिया को इनके बदले में रूस से बख्तरबंद वाहन, बैलिस्टिक मिसाइल बनाने में लगने वाले टूल्स और अन्य उन्नत टेक्नोलॉजी मिलने की उम्मीद है.


उत्तर कोरिया या ईरान के साथ रूस के हथियार सौदे से क्यों चिंतित है अमेरिका


जॉन किर्बी ने कहा कि रूस ने इन मिसाइलों को इस्तेमाल शुरू किया है, जो दुनिया की चिंता बढ़ाने वाली बात है. इसका कोरियाई प्रायद्वीप और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर सुरक्षा प्रभावित होगी. अमेरिका इसलिए भी चिंतित है कि ईरान से करीबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें हासिल करने के लिए रूसी बातचीत सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही है. रूस ईरान से मिसाइल सिस्टम खरीदने का इरादा रखता है. अमेरिका ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने की बात कही है.


हथियार सौदे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में कौन-कौन से नियम, समझौते और कानून


अमेरिका में जो बाइडेन प्रशासन रूस-उत्तर कोरिया हथियार डील मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में उठा सकता है. अमेरिका का आरोप है कि कोरियाई मिसाइलों को इस्तेमाल करना और प्योंगयांग के साथ व्यापार करना यूएन के मौजूदा प्रस्तावों का उल्लंघन है. संयुक्त राष्ट्र का परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध संधि (Treaty on the Prohibition of Nuclear Weapons) 22 जनवरी, 2021 से प्रभावी है. जबकि, साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वोटिंग के बाद 2017 में समझौते पर ज्यादातर सदस्य देशों ने इस पर दस्तखत कर इसे अपना लिया था.


अंतरराष्ट्रीय कानून बन चुका है आर्म्स ट्रेड ट्रीटी, उल्लंघन करने पर जवाबदेही तय 


इसके अलावा 24 दिसंबर 2014 को शस्त्र व्यापार संधि (Arms Trade Treaty) अंतरराष्ट्रीय कानून बन गई है. इसके तहत कोई भी राज्य जो संधि का पक्षकार है, उसे अंतरराष्ट्रीय हथियार हस्तांतरण पर सख्त नियमों का पालन करना होगा. इस संधि को घातक हथियारों को उन लोगों के हाथों में जाने से रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया था जो उनका इस्तेमाल नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध और युद्ध अपराधों सहित मानव अधिकारों के उल्लंघन के लिए कर सकते हैं.100 से अधिक देश इस संधि में शामिल हो गए हैं. 30 से अधिक देशों ने संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. इसका उल्लंघन करने पर राज्यों को जवाबदेह ठहराया जाता है.


बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ हेग आचार संहिता क्या है? और कितने समझौते


वहीं, बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ हेग आचार संहिता (HCOC) सामूहिक विनाश के हथियार पहुंचाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के प्रसार को रोकने के प्रयासों में योगदान देने के लिए एक पारदर्शिता और भरोसा निर्माण करने के उपाय के रूप में 2002 में स्थापित किया गया था. इसके अलावा एनपीटी, सीटीबीटी, सीडब्ल्यूसी, बीडब्ल्यूसी, ओटावा कन्वेंशन, कॉन्फ्रेंस ऑन डिसआर्ममेंट (सीडी), एक्सपोर्ट कंट्रोल जैसे कई अंतरराष्ट्रीय कानून और समझौते हैं, जो दो देशों के बीच हथियारों के सौदे की निगरानी और जरूरी पड़ने पर उसके खिलाफ आवाज उठाने के लिए बनाए गए हैं.