सांगानेर के उस जेल की कहानी जहां कैदियों को लेकर नहीं अस्पताल को लेकर मचा है बवाल, मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
Open Jail Sanganer: सांगानेर जेल एक अस्पताल को लेकर चर्चा में है. गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त कमिश्नर इस जेल का निरीक्षण करेंगे और अपनी रिपोर्ट देंगे. लेकिन इन सबके बीच आइए समझते हैं कि ये जेल इतनी खास क्यों है.
Sanganer Jail Hospital News: देश और दुनिया में जेल भी कई तरह की होती हैं और वहां कैदियों के प्रति व्यवहार भी अलग-अलग होता है. ऐसी ही एक जेल राजस्थान के जयपुर की है. ये सांगानेर की ओपन जेल है. इस जेल को सम्पूर्णानंद बंदी शिविर के नाम से भी जाना जाता है. आजकल यह जेल एक बड़े विवाद का केंद्र बनी हुई है. यह विवाद जेल की जमीन पर प्रस्तावित अस्पताल के निर्माण को लेकर है. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया तो जेल की चर्चा अधिक हो गई. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की है, जो जेल का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट चार हफ्तों में सौंपेगा. इसी कड़ी में आइए इस जेल के बारे में जानते हैं.
सांगानेर खुली जेल... इसकी फंक्शनिंग है अनोखी
असल में सुप्रीम कोर्ट के कमिश्नर 12 दिसंबर को जेल का दौरा कर रहे हैं. 1963 में स्थापित यह खुली जेल दुनिया की सबसे अनूठी जेलों में से एक मानी जाती है. जयपुर से लगभग 15 किमी दूर स्थित इस जेल में 422 कैदी रहते हैं, जिनमें 14 महिलाएं और उनके परिवार भी शामिल हैं. यहां कैदियों को न केवल अपने परिवार के साथ रहने की अनुमति है, बल्कि उन्हें काम करने के लिए बाहर जाने की भी स्वतंत्रता है. जेल परिसर में प्राथमिक विद्यालय, आंगनवाड़ी केंद्र और खेल मैदान जैसी सुविधाएं मौजूद हैं.
कैदियों का जीवन और स्वशासन मॉडल
इस जेल की खासियत यह है कि कैदी बिजली और पानी का शुल्क खुद वहन करते हैं. वे अपने रोजगार से पैसे कमाकर अपने घर बनाते हैं और उनकी मरम्मत करते हैं. कैदियों ने यहां बंदी पंचायतें स्थापित की हैं, जो स्वशासन का मॉडल पेश करती हैं. यहां दिन में दो बार हाजिरी लगाई जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी कैदी वापस लौट आएं.
तो फिर सांगानेर जेल के मायने क्या हैं..
यह बात भी सही है कि खुली जेलें कैदियों के पुनर्वास और समाज में उनकी एक तरह से वापसी के लिए बनाई गई हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 91 खुली जेलें हैं, जिनमें से राजस्थान में सबसे अधिक 41 हैं. सांगानेर खुली जेल इस दिशा में एक मिसाल है. 1980-83 की जस्टिस मुल्ला समिति ने अपनी रिपोर्ट में इसे ओपन जेल सिस्टम का अंतिम चरण करार दिया था.
फिलहाल अस्पताल निर्माण का विवाद
हुआ यह कि जयपुर विकास प्राधिकरण JDA ने सांगानेर जेल परिसर की 21,948 वर्ग मीटर जमीन पर अस्पताल निर्माण की योजना बनाई है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि खुली जेलों का क्षेत्रफल कम नहीं होना चाहिए. इसी योजना को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता प्रसून गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है. उनका तर्क है कि यह योजना जेल की पूरी व्यवस्था और उसकी अनूठी फंक्शनिंग को प्रभावित करेगी.
सरकार का पक्ष और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
मामले में राजस्थान सरकार ने कहा है कि जेल के क्षेत्र को कम करने का कोई इरादा नहीं है. यह भी आरोप लगाए गए कि जेल अधिकारियों ने 'अनधिकृत निर्माण' किए हैं और यह सुनिश्चित किया है कि जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त जमीन उपलब्ध कराई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है कि अस्पताल और खुली जेल, दोनों की जरूरतों के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए.
फिलहाल गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायालय आयुक्त जेल का निरीक्षण करेंगे और अपनी रिपोर्ट देंगे. यह रिपोर्ट जेल और अस्पताल के बीच बैलेंस बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इस निरीक्षण से यह तय होगा कि जेल की मौजूदा व्यवस्था प्रभावित होगी या नहीं. अब देखना है कि सांगानेर खुली जेल का भविष्य कैसे तय होता है.