आगरा में चावल के पानी और पाउडर से तैयार हो रही थीं दवाईयां, महाराष्ट्र से झारखंड तक 6 राज्यों में सप्लाई
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आगरा में चावल के पानी और पाउडर से तैयार हो रही थीं दवाईयां, महाराष्ट्र से झारखंड तक 6 राज्यों में सप्लाई

Agra Hindi News: आगरा से एक चौकाने वाली खबर सामने आ रही है. जहां पर मकान के बेसमेंट में नकली दवाईयां बनाई जा रही थी. इस मामले में 10 आरोपी गिरफ्तार को गिरफ्तार किया गया है. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला.. 

Agra News

Agra News: आगरा के सिकंदरा क्षेत्र में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) ने 22 अक्टूबर को महर्षिपुरम इलाके में एक मकान पर छापा मारकर 8 करोड़ रुपए की नकली दवाएं पकड़ी. इस मामले में 14 सैंपल जांच के लिए भेजे गए, जिनमें से 4 की रिपोर्ट आई है. इनमें से 3 सैंपल फेल पाए गए. ये दवाएं नींद की और दर्द निवारक थीं. जांच में पता चला कि इन दवाओं में जरूरी सॉल्ट ही नहीं था.

कैसे चल रही थी फैक्ट्री?
ANTF के मुताबिक, मकान का बेसमेंट दवा बनाने के लिए किराए पर लिया गया था. यह मकान 30 हजार रुपए महीना किराए पर सोने देवी नामक महिला से लिया गया था. यहां 18 मशीनें लगाई गई थीं, जो हिमाचल प्रदेश के बद्दी से खरीदी गई थीं. बिना ड्रग लाइसेंस के मशीनों को ज्यादा कीमत देकर खरीदा गया था.

दिल्ली के ड्रग माफिया अभिषेक बोस ने कच्चे माल की आपूर्ति की थी, जिसमें पैरासिटामॉल, अल्प्राजोलम, ट्रेमाडोल जैसे पदार्थ शामिल थे. इन नकली दवाओं को बनाने में चावल का पानी और पैरासिटामॉल पाउडर का इस्तेमाल किया जाता था.

50 दिन की जांच में हुआ खुलासा
ANTF के इंस्पेक्टर हरवीर मिश्रा ने बताया कि इस मामले में 10 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. मकान के बेसमेंट में दवा बनाने और उसे स्टोर करने का काम किया जा रहा था. फैक्ट्री में तैयार दवाओं की सप्लाई यूपी, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश समेत 6 राज्यों में की जाती थी.

सप्लाई चेन
जांच में पाया गया कि वेस्ट यूपी के स्टॉकिस्ट जैसे भोला गोयल, चिंटू, विभोर विपिन बंसल, जतिन कुमार और अन्य लोगों के जरिए यह दवाएं विभिन्न राज्यों में बेची जा रही थीं. इन दवाओं को दिल्ली, पंजाब, झारखंड और महाराष्ट्र तक पहुंचाया जा रहा था.

पकड़ी गई नकली दवाएं
अल्जोसेल 0.5 एमजी और अल्प्रासेफ 0.5 एमजी: नींद की गोलियां, जिनमें एल्प्राजोलम सॉल्ट नहीं था.
स्पासमोवेल दर्द निवारक दवा, जिसमें ट्रेमाडोल नहीं मिला.

विजय  गोयल नकली दवाओं का मास्टरमाइंड
40 वर्षीय विजय वन गोयल, जो आगरा के जगदीशपुरा का निवासी है, इस रैकेट का मुख्य आरोपी है. पवन 20 साल से नकली दवाओं के कारोबार में जुड़ा था. वह पहले भी 2017 और 2023 में ऐसे मामलों में जेल जा चुका है. जेल से रिहा होने के बाद उसने यह नया रैकेट शुरू किया.

आगे की कार्रवाई
ड्रग विभाग ने यूपी और अन्य राज्यों के ड्रग इंस्पेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि इन नकली दवाओं की बिक्री रोककर उन्हें बाजार से वापस लिया जाए। साथ ही, मशीन सप्लायर और अन्य सहयोगियों पर भी केस दर्ज किया जा रहा है।

यह मामला नकली दवाओं के खतरनाक कारोबार की गंभीरता को उजागर करता है। प्रशासन का दावा है कि इस रैकेट के बाकी सदस्यों और स्टॉकिस्ट पर भी जल्द कार्रवाई होगी. 

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