Tauseef Ali Farooqui IITian: आईएस खुरासान (Islamic State-Khorasan) में शामिल होने जा रहे तौसीफ अली फारूखी (Tauseef Ali Farooqui) की कहानी लोगों को सोचने पर मजबूर कर रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि तौसीफ अली फारूकी एक होनहार क्रिकेटर है. तौसीफ अली को उसके आस-पड़ोस और क्रिकेट एकेडमी में लोग बाएं हाथ के स्पिनर के तौर जानते हैं. यह भी दावा किया जा रहा है कि तौसीफ अली एक दिन भारत के लिए खेलने की ख्वाहिश भी रखता था. तौसीफ अली दिल्ली के चाणक्यपुरी के संस्कृति स्कूल में पढ़ाई के बाद से आईआईटी गुवाहाटी पहुंचा और बायो-टेक्नोलॉजी की पढ़ाई कर रहा था. लेकिन जब असम पुलिस ने तौसीफ अली को गिरफ्तार किया तो हर कोई अचंभे पड़ गया. आइए समझते हैं कि पढ़ने-लिखने और खेलने में तेज लड़के का आतंकी संगठन आईएस खुरासान की तरफ झुकाव कैसे हो गया.


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तौसीफ अली IS खुरासान में क्यों जाना चाहता था?


द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, तौसीफ अली की उम्र 22 साल है और वह आईआईटी गुवाहाटी में लास्ट ईयर की पढ़ाई कर रहा था. इस बीच, असम पुलिस ने उसे यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर लिया. बताया गया कि तौसीफ अली ने ईमेल और लिंक्डइन पर पोस्ट के जरिए ऐलान किया था कि वह आईएस खुरासान में शामिल होने जा रहा है. हर कोई वो वजह जानना चाह रहा है कि तौसीफ अली जैसा मेधावी छात्र क्यों आईएस खुरासान में शामिल होने को उतारू हो गया.


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इस्लामिक स्टेट खुरासान का वफादार


असम पुलिस के मुताबिक, लिंक्डइन पर एक ओपन लेटर में, तौसीफ अली फारूकी ने भारतीय संविधान को मारने से इनकार कर दिया था. उसने इस्लामिक स्टेट खुरासान में जाने और आईएस के प्रति अपनी वफादारी का ऐलान किया था. हालांकि, साउथ-ईस्ट दिल्ली के जाकिर नगर में रहने वाले तौसीफ अली फारूकी की फैमिली ने दावा किया है कि उनके बेटे की मानसिक हालत ठीक नहीं थी.


एजुकेटेड फैमिली का लड़का कट्टरपंथी क्यों बना?


जान लें कि तौसीफ अली फारूकी की फैमिली मूल रूप से बिहार की रहने वाली है. लगभग 20 साल पहले वो दिल्ली चली आई थी. तौसीफ अली फारूकी के घर में उसके माता-पिता, एक बड़ा भाई और एक छोटी बहन है. ये परिवार एजुकेटेड है. तौसीफ अली फारूकी के परिवार का कहना है कि उनके बेटे का बचपन बाकी बच्चों की तरह ही सामान्य था. उसके साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई जिससे वह कट्टरपंथ की ओर मुड़ जाए.


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कभी नींद के लिए छोड़ देता था नमाज


तौसीफ अली फारूकी की बहन ने बताया कि शुरुआत में मजहब में भाई की ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी. उसे नींद बहुत पसंद थी. नींद के चक्कर में तौसीफ अली फारूकी कई बार नमाज भी छोड़ देता था और सोता रहता था. तौसीफ अली फारूकी को बस एक बात का जुनून था कि उसे क्लास में फर्स्ट आना होता था. उसे सबसे ज्यादा मार्क्स लाने थे.


कोविड काल में बदला तौसीफ का व्यवहार


हालांकि, तौसीफ अली फारूकी के परिवार ने उसकी बिगड़ी हुई मानसिक हालत की ओर इशारा किया है. परिवार ने बताया कि तौसीफ अली फारूकी की बिगड़ी हुई मेंटल हेल्थ का लक्षण पहली बार कोविड काल के दौरान दिखा था. कोविड काल में तौसीफ अली फारूकी ने खुद को परिवार से दूर कर लिया था. वह एक कमरे में अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजार देता था. जबकि परिवार वाले सोचते रहे कि वह पढ़ाई में लगा हुआ है. कोविड काल में स्कूल-कॉलेज बंद थे. तो शायद वह ऑनलाइन क्लास लेता था. लेकिन तौसीफ अली फारूकी ने जो सोशल मीडिया की, उन्हें देखकर तौसीफ की आंटी भी हैरान हैं.


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टीवी देखने को तौसीफ बताता था 'हराम'


कोविड काल के दौरान तौसीफ अली फारूकी का बदला हुआ व्यवहार परिवार वालों ने भी नोटिस किया था. तौसीफ अली फारूकी ने फिल्मी गाने सुनना बंद कर दिया था. जो तौसीफ अली फारूकी कभी मजहब के प्रति उदासीन था वह लोगों से कहने लगा था कि टीवी मत देखा करो ये हराम होता है.


क्या तौसीफ को रोका जा सकता था?


तौसीफ अली फारूकी के बड़े भाई के मुताबिक, उन्हें बताया गया था कि तौसीफ अली फारूकी ने लोगों से मिलना-जुलना छोड़ दिया था. आईआईटी दावा करता है कि उनके पास बेस्ट टीचर और स्टूडेंट काउंसलर हैं. अगर उन्होंने तौसीफ अली फारूकी का बदलता व्यवहार देखा तो टीचर्स को उससे बात करनी चाहिए थी. उसे रोकना चाहिए था.