Mukhtar Ansari News: गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की बांदा के अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई है. जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद मुख्तार को आनन फानन में मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा था.
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Mukhtar Ansari Died: कहते हैं वक्त से ज्यादा बलवान कोई नहीं होता. क्राइम की दुनिया में अपने खौफ से सबको हिला देने वाला मुख्तार अंसारी खुद मौत की नींद सो गया है. गुरुवार (28 मार्च) को हार्ट अटैक के कारण यूपी के इस चर्चित डॉन की मौत हो गई है. पूर्वांचल में मुख्तार के दबदबे और खौफ की कहानियां सुनकर कई लोग बड़े हुए हैं. मुख्तार पर 60 से ज्यादा मामले दर्ज थे, जिसमें हत्या, आर्म्स एक्ट, रंगदारी शामिल थे. कई पार्टियों में मुख्तार का दबदबा रहा. राजनीतिक शह का उसने पूरा फायदा उठाया. आइए आपको मुख्तार अंसारी की क्राइम कुंडली बताते हैं.
पूर्व उपराष्ट्रपति भी अंसारी के रिश्तेदार
30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के यूसुफपुर में सुभानउल्लाह अंसारी के घर एक लड़के का जन्म हुआ. घरवालों ने नाम रखा मुख्तार अंसारी. घरवालों ने शायद ही सोचा हो कि ये लड़का आने वाले वक्त में यूपी में खौफ का पर्याय बन जाएगा. लोग उसके नाम से कांपेंगे और लोग उसे देखते ही सड़कों से भागकर अपने घरों में छिप जाएंगे. मुख्तार अंसारी भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी का रिश्तेदार लगता था. वह लगातार 5 बार मऊ से विधायक रहा, जिसमें दो बार उसने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. मुख्तार अंसारी के दादा का नाम मुख्तार अहमद अंसारी थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के शुरुआती अध्यक्ष थे. मुख्तार अंसारी के नाना मोहम्मद उस्मान थे, जो भारतीय सेना में ब्रिगेडियर थे.
ऐसे चढ़ा क्राइम की दुनिया में
साल 1970 का दौर था. सरकार पूर्वांचल एरिया में विभिन्न तरह की विकास की योजनाएं ला रही थी. ऐसे में यूपी में कई संगठित गैंग्स पैदा हो गए, जो इन कॉन्ट्रैक्ट्स को लेने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे. परिवार को लगा था कि मुख्तार अपने परिवार की शान को आगे बढ़ाएगा. लेकिन मुख्तार मखनु सिंह गिरोह में शामिल हो गया. 1980 में इस गैंग का सैदपुर में साहिब सिंह के गैंग के साथ भिड़ंत हुई, जिससे हिंसा का ऐसा दौर चला कि देखने वालों की रुह कांप उठी. साहिब सिंह के गैंग के एक मेंबर बृजेश सिंह ने बाद में अपना एक गैंग बनायाऔर 1990 में गाजीपुर के कॉन्ट्रैक्ट का काम अपने अंडर ले लिया. अंसारी गैंग ने 100 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट का बिजनेस हथियाने के लिए बृजेश के गैंग के साथ दुश्मनी मोल ले ली. यह कॉन्ट्रैक्ट्स रेलवे, कोल माइनिंग, स्क्रैप, पब्लिक वर्क और शराब शामिल है. ये गैंग किडनैपिंग के अलावा गुंडा टैक्स और रंगदारी भी वसूलते थे.
बृजेश सिंह से अदावत चली लंबी
1990 तक आते-आते मुख्तार अंसारी गुनाह की दुनिया में बड़ा नाम बन चुका था. खासकर गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और जौनपुर में तो उसका आतंक चरम पर था. साल 1995 में मुख्तार ने बीएचयू में छात्र संघ के जरिए राजनीति में एंट्री ली और वह 1996 में विधायक बन गया. इसके बाद उसने बृजेश सिंह के वर्चस्व को खुलकर चुनौती दी. अब पूर्वांचल में दो गैंग्स पैदा हो चुके थे. साल 2002 में बृजेश ने कथित तौर पर मुख्तार के काफिले पर घात लगाकर हमला किया.
गोलीबारी में अंसारी के तीन गुर्गे मारे गए. सबको लगा कि गोलीबारी में बृजेश सिंह की भी मौत हो गई. सबने उसे मृत मान लिया. इसके बाद तो पूर्वांचल पर पूरी तरह अंसारी का दबदबा बन गया. लेकिन बाद में पता चला कि बृजेश सिंह जिंदा है और उसकी अंसारी के साथ दुश्मनी जारी रही.
अंसारी का दबदबा राजनीति में भी लगातार बढ़ रहा था. उसे चुनौती देने के लिए बीजेपी के नेता कृष्णानंद राय के चुनावी कैंपेन को बृजेश सिंह ने सपोर्ट किया. राय ने मुख्तार के भाई और 5 बार के विधायक अफजाल अंसारी को साल 2002 के यूपी विधानसभा चुनाव में मात दे दी.
फिर हुई कृष्णानंद राय की हत्या
मुस्लिम वोट बैंक के कारण मुख्तार अंसारी को चुनाव जीतने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. क्षेत्र में अपराध, दंगे और हिंसा लगातार होती रही. मऊ में मुख्तार अंसारी पर दंगे भड़काने का भी आरोप लगा. लेकिन कोर्ट में वह बरी हो गया. जब वह जेल में बंद था. तब दिनदहाड़े बीजेपी नेता कृष्णानंद राय और उनके 6 समर्थकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
दो मामलों में कोर्ट ने सुनाई सजा
आरोप लगा मुख्तार अंसारी पर. साल 2008 में मुख्तार पर एक मर्डर केस के गवाह धर्मेंद्र सिंह पर हमला करवाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया. 2017 में अंसारी को इससे बरी कर दिया गया. 9 जनवरी 2018 को मुख्तार और उसकी पत्नी को जेल में हार्ट अटैक पड़ा था. अप्रैल 2023 में एमपी-एमएलए कोर्ट में कृष्णानंद राय की हत्या मामले में उसे 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद 13 मार्च 2024 को नकली आर्म लाइसेंस केस में उसे आजीवन कारावास की सजा मिली थी.