Pune District Collector: विवादों में घिरीं ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की ट्रेनिंग पर रोक लगाकर लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में वापस बुला लिया गया है और उन्हें 23 जुलाई को रिपोर्ट करना है. इस बीच दिव्यांगता के तहत फायदा लेने के लिए लगाए गए मेडिकल सर्टिफिकेट की भी अब जांच शुरू हो गई है. पूजा खेडकर ने आईएएस बनने के लिए जो मेडिकल सर्टिफिकेट दिया था, वो फर्जी है या नहीं, इसे लेकर अब पुणे पुलिस भी जांच में जुट गई है. दिव्यांगों के संगठन ने भी पुणे के डिविजनल कमिश्नर को इस मामले में जांच को लेकर लेटर लिखा है, जिसके बाद जिस अस्पताल से मेडिकल सर्टिफिकेट बना था उससे पूरी रिपोर्ट मांगी गई है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पूजा खेडकर का विवाद कहां से शुरू हुआ और अब तक इसमें क्या-क्या हुआ है. तो चलिए आपको विस्तार से बताते हैं.


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कैसे शुरू हुआ था पूजा खेडकर का विवाद?


वीआईपी नंबर प्लेट वाली एक ऑफिशियल कार, क्वार्टर और पर्याप्त स्टाफ के साथ एक अलग केबिन... यहीं से इसकी शुरुआत हुई थी, जब ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर ने कलेक्टर के कार्यालय से विशेष सुविधा मांगी, जो प्रोबेशन पीरियड के दौरान एक अधिकारी को नहीं मिलते हैं. कथित तौर पर सत्ता के दुरुपयोग की शिकायतों के बाद एक नियमित तबादले के मामले के रूप में शुरू हुआ, जिससे उनके विकलांगता प्रमाण पत्र और चयन मानदंड के अलावा अन्य मुद्दों के बारे में कई सवाल उठे. तो चलिए आपको बताते हैं कि पूजा खेडकर को लेकर पिछले कुछ दिनों में किस तरह से विवाद सामने आया है.


कब चर्चा में आईं ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर?


पूजा खेडकर 2023 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और उस समय चर्चा में आई थीं, जब महाराष्ट्र सरकार ने कथित तौर पर सत्ता के दुरुपयोग की शिकायतों के बाद उनका तबादला पुणे से वाशिम कर दिया था. प्रोबेशन पीरियड के दौरान उनको पुणे में एडीएम के रूप में नियुक्ति मिली थी. इस दौरान उन्होंने लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी प्राइवेट ऑडी कार का भी इस्तेमाल किया. उनकी प्राइवेट कार पर 'महाराष्ट्र सरकार' का बोर्ड भी लगा हुआ था. सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में खेडकर को लाल-नीली बत्ती वाली लग्जरी गाड़ी में पुणे जिला परिषद कार्यालय पहुंचते हुए देखा गया.


जैसे ही पूजा खेडकर का वीडियो वायरल हुआ, 2023 बैच की प्रोबेशनरी अधिकारी को पुणे कलेक्टर कार्यालय से वाशिम स्थानांतरित कर दिया गया. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर ट्रांसफर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि खेडकर ने 'विशेषाधिकार' मांगे थे, जो एक आईएएस प्रोबेशनरी अधिकारी को नहीं दिए जाते हैं. इसके बाद पूजा खेडकर के कई विवाद सामने आ गए.


ओबीसी कोटा विवाद


ट्रांसफर के बाद 34 साल की ट्रेनी आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर का यूपीएससी सेलेक्शन को लेकर भी विवाद सामने आने लगा. उन पर आरोप है कि उन्होंने विकलांगता और ओबीसी आरक्षण कोटे का दुरुपयोग करके आईएएस में पद हासिल किया. महाराष्ट्र के ओबीसी कल्याण मंत्री अतुल सावे ने पूजा खेडकर के ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर से होनेदावे के जांच की घोषणा की, जिसके बाद खेडकर की मुश्किलें बढ़ गईं. बता दें कि यूपीएससी परीक्षा में बैठने के लिए उन्होंने खुद को ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर से संबंधित घोषित किया था.


यूपीएससी के नियमों के मुताबिक, किसी परिवार की आय अगर 8 लाख से कम होती है, तभी उसे नॉन क्रिमी लेयर की श्रेणी में रखा जाता है. जबकि उनके पिता ने हाल ही में अहमदनगर लोकसभा सीट से उम्मीदवार के तौर पर दिए चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्ति 40 करोड़ रुपये दिखाई थी. महाराष्ट्र के ओबीसी कल्याण मंत्री अतुल सावे ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'सामाजिक न्याय विभाग मामले का संज्ञान लेगा और यह पता लगाने के लिए गहन जांच करेगा कि पूजा खेडकर ने नॉन-क्रीमी लेयर प्रमाणपत्र कैसे प्राप्त किया.'


फर्जी विकलांगता और मेंटल इलनेस सर्टिफिकेट


पूजा खेडकर ने कथित तौर पर सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी ओबीसी प्रमाण पत्र के अलावा फर्जी विकलांगता सर्टिफेकेट जमा किया. कई रिपोर्ट में संकेत मिलता है कि उन्होंने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र (Mental illness Certificate) भी पेश किया. अप्रैल 2022 में पूजा को अपने विकलांगता प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए दिल्ली के एम्स में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन वो कोविड-19 संक्रमण का हवाला देते हुए पेश नहीं हुईं. खेडकर पर आरोप है कि वह 'बेंचमार्क विकलांग व्यक्ति (PwBD)' श्रेणी में IAS के लिए सेलेक्ट होने के बावजूद अपनी विकलांगता की पुष्टि के लिए अनिवार्य मेडिकल टेस्ट में बार-बार उपस्थित होने में विफल रहीं.


अलग-अलग नामों का मामला


अब तक सत्ता के कथित दुरुपयोग और विकलांगता के अलावा ओबीसी कोटा में हेराफेरी करने के लिए विवादों में फंसी पूजा खेडकर अब एक नए मुसीबत में फंस गई हैं, क्योंकि उनके द्वारा कथित तौर पर दो अलग-अलग नामों खेडकर पूजा दिलीपराव और पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर का इस्तेमाल सिविल सेवा परीक्षा के दौरान किया गया था.


साल 2019 में अपनी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में ट्रेनी आईएएस ने खुद को खेडकर पूजा दिलीपराव के रूप में रजिस्टर किया था और एसएआई में उनकी नियुक्ति भी बेंचमार्क विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूबीडी) (एलवी)- ओबीसी के साथ उसी नाम से हुई थी. हालांकि, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा 2022 में उनके सर्विस आवंटन में उन्होंने पीडब्ल्यूबीडी-मल्टीपल डिसेबिलिटीज (एमडी) श्रेणी के तहत पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर नाम से अपना नाम दर्ज कराया. केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, मुंबई पीठ के 23 फरवरी 2023 के आदेश में आवेदक के रूप में उनका नाम पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर बताया गया.


एमबीबीएस में एडमिशन के लिए खानाबदोश जनजाति कोटा


अपने प्रमाणपत्रों की वैधता को लेकर विवादों में घिरी पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने 2007 में गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी प्रमाणपत्र पेश करके आरक्षित खानाबदोश जनजाति-3 श्रेणी के तहत पुणे के श्रीमती काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज और जनरल अस्पताल में एमबीबीएस में एडमिशन लिया था. कॉलेज के निदेशक अरविंद भोरे ने शनिवार को बताया कि खेडकर ने एसोसिएशन ऑफ मैनेजमेंट ऑफ अनएडेड प्राइवेट मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज ऑफ महाराष्ट्र (एएमयूपीएमडीसी) प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश प्राप्त किया था, जिसमें 200 में से 146 अंक प्राप्त किए थे. नीट की शुरुआत के बाद एएमयूपीएमडीसी अब अस्तित्व में नहीं है.


पूजा खेडकर के माता-पिता फरार


पूजा खेडकर पर विवाद बढ़ने के बीच उनकी मां का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वो पिस्टल लहराते हुए किसानों को धमकाते नजर आ रही हैं. हालांकि, वीडियो पिछले साल 5 जून का है, जब वह बाउंसर्स के साथ जमीन के मालिकाना हक के विवाद को लेकर किसानों से बहस के दौरान पिस्तौल लहराते हुए दिख रही हैं. एक किसान को कथित तौर पर धमकाने के आरोप में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद से उनके माता-पिता फरार हैं. पुणे पुलिस की अलग-अलग टीमें रविवार को पूजा की मां मनोरमा खेडकर के बानेर बंगले पर गई, लेकिन संपर्क करने के कई प्रयासों के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.