UCC in Uttarakhand: यूसीसी उत्तराखंड में अक्टूबर में लागू हो जाएगा. समान नागरिक संहिता की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है. उत्तराखंड सरकार ने इससे पहले रिपोर्ट के मुख्य अंश ही जारी किए थे, लेकिन शुक्रवार शाम पूरी रिपोर्ट आम लोगों के लिए उपलब्ध हो गई है. ऐसे में अब लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि पहाड़ी राज्य में क्या-क्या प्रावधान किए गए हैं. UCC लागू होने से बहुत कुछ बदल जाएगा? भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं का कहना है कि इससे लव जिहाद जैसी चीजों को भी रोकने में मदद मिलेगी. खासकर शादियों की बात करें तो अंतर्धार्मिक विवाह (Interfaith marriage), प्रेम विवाह (Love Marriage), बहु विवाह (Polygamy) को लेकर क्या गाइडलाइंस है? इससे नागरिक किस तरह प्रभावित होंगे, क्या बदलेगा और क्या नहीं आपको विस्तार से समझाते हैं.


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क्या है UCC ?    


  1. UCC यानि यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड.

  2. देश के हर नागरिक के लिए समान क़ानून.

  3. हर मज़हब के लिए एक जैसा क़ानून.

  4. शादी, तलाक़, ज़मीन-जायदाद बंटवारे पर समान क़ानून.

  5. UCC लागू करना राज्यों की ज़िम्मेदारी.

  6. गोवा एकमात्र राज्य है जहां UCC लागू है.


यहां मिलेगा हर सवाल का जवाब


जानकारी के मुताबिक अब देवभूमि उत्तराखंड में 'लिव इन रिलेशनशिप' (Live in Relationship) में रहने वाले कपल को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. रजिस्ट्रेशन का उद्देश्य प्रोटेक्शन देना है, किसी की प्राइवेसी भंग नहीं होगी. रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को रुल में भी रखा गया है क्योंकि 18 से 21 साल के बीच की उम्र परिपक्व नहीं होती है ऐसे में उन्हें प्रोटेक्शन देने की जरूरत पर जोर किया गया है.



क्या बदलेगा और क्या नहीं बदलेगा?


हर धर्म में शादी तलाक के लिए एक ही कानून होगा.
हालांकि धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.


सभी धर्मों के लिए एक समान कानून होंगे.
हालांकि धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं पड़ेगा.


बिना तलाक के एक से ज्यादा शादी नहीं होगी.
हालांकि शादी धर्मगुरू ही कराएंगे. 


शरीयत के मुताबिक जायदाद का बंटवारा नहीं होगा.
हालांकि खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर असर नहीं.


उत्तराखंड : UCC में क्या?


  • बहु विवाह और बाल विवाह पर पाबंदी

  • पुरुष की उम्र 21 साल, महिला की उम्र- 18 साल

  • विवाह के तरीकों पर कोई पाबंदी नहीं

  • 60 दिन के अंदर विवाह का रिजस्ट्रेशन

  • हलाला, इद्दत की प्रथाओं पर प्रतिबंध


तलाक
सिर्फ कोर्ट के आदेश पर होगा
तलाक का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
6 महीने से 3 साल की सज़ा का प्रावधान

भरण-पोषण
पुरुष और महिला दोनों को अधिकार

उत्तराधिकार
बेटा और बेटी को समान अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के प्रावधान शामिल

लिव-इन रिलेशनशिप
-लिव-इन संबंध की सूचना अनिवार्य
-21 साल से कम तो माता-पिता को बताना होगा
-लिव-इन से पैदा बच्चा वैध होगा

किसे मिलेगी छूट?


उत्तराखंड में रहने वाली जनजातियों के लिए समान नागरिक संहिता के प्रावधान पूरी तरह स्वैच्छिक होंगे, यदि जनजाति समाज का कोई व्यक्ति समान नागरिक संहिता के किसी प्रावधान को इस्तेमाल करना चाहता है तो कर सकता है। अलबत्ता, सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों पर यूसीसी के सभी प्रावधान लागू होंगे.


UCC ज़रूरी क्यों ?

1.एक देश में एक विधान की जरूरत
2.जाति-धर्म के नाम पर अलग अलग कानून
3.जाति-धर्म के आधार पर अलग अलग मैरिज एक्ट
4.अलग क़ानून से न्यायिक प्रणाली प्रभावित
5.देश के सामाजिक ढांचे पर पड़ता है असर


यूनिफॉर्म सिविल कोड से क्या होगा ?

क़ानूनी अड़चनें कम हो जाएंगी. न्यायपालिका पर कम होगा बोझ. अटके मामलों का निपटारा तेजी से होगा. लोगों में एकता का भाव बढ़ेगा.
मुस्लिम महिलाओं का हालत बेहतर होगी. पिता की संपत्ति में मिलेगा महिलाओं को हिस्सा. गोद लेने का प्रक्रिया एक समान होगी.


प्रिय पाठक उत्तराखंड सरकार के यूसीसी में क्या कुछ है, आप उसे राज्य सरकार की वेबसाइट https://ucc.uk.gov.in पर क्लिक करके और डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं. धन्यवाद.