मुलायम के `घर` में रिश्तेदारों के बीच क्यों हुई जंग? फूफा-भतीजे में संघर्ष; साले ने जीजा से तोड़ा नाता
Karhal Assembly By Elections: उत्तर प्रदेश की मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. जानिए कैसे करहल उपचुनाव मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदारों के बीच की लड़ाई का अखाड़ा बन गया है.
Karhal Assembly By Elections 2024: करहल विधानसभा उप चुनाव के लिए भाजपा ने समाजवादी पार्टी के खिलाफ यादव कार्ड खेला है. भाजपा ने सैफई परिवार के रिश्तेदार को टिकट देकर सपा के गढ़ में सेंधमारी करने की कोशिश की है. समाजवादी पार्टी की मजबूत सीट कही जाने वाली मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर सभी की निगाहें हैं. बीजेपी ने मुलायम सिंह यादव के दामाद और सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव के फूफा अनुजेश यादव को मैदान पर उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
रिश्तेदारों के बीच की लड़ाई का अखाड़ा
उत्तर प्रदेश के करहल विधानसभा सीट के लिए होने वाला उपचुनाव मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदारों के बीच की लड़ाई का अखाड़ा बन गया है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को अनुजेश यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया कर दिया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लोकसभा के लिये निर्वाचित होने के बाद उनके इस्तीफे से करहल सीट खाली हुई थी, और इस कारण यहां 13 नवंबर को मतदान कराया जायेगा.
अनुजेश पर बीजेपी ने लगाया दांव, मुकाबला रोचक
अनुजेश यादव को मैदान में उतारने के भाजपा के फैसले ने सपा के तेज प्रताप यादव के साथ मुकाबला कड़ा कर दिया है, जो शक्तिशाली सैफई परिवार के सदस्य और दिवंगत मुलायम सिंह यादव के भतीजे रणवीर सिंह यादव के पोते हैं. पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक दूसरी ओर अनुजेश यादव मुलायम सिंह यादव के भतीजे और आजमगढ़ से सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव के सगे जीजा हैं.
जब धर्मेंद्र यादव ने जीजा से तोड़ा था रिश्ता
रिश्तेदारों के बीच प्रतिद्वंद्विता तब और बढ़ गई, जब 24 मार्च, 2019 को धर्मेंद्र यादव के नाम से एक पत्र वायरल हुआ, जिसने भाजपा में शामिल होने के फैसले के बाद अनुजेश से खुद को दूर कर लिया था. पत्र में लिखा था, "जो कोई भी भाजपा में शामिल होता है, वह मेरा रिश्तेदार नहीं हो सकता."
जीजा-भतीजे में जंग
धर्मेन्द्र सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षक इस उपचुनाव को यादव परिवार के दो रिश्तेदारों के बीच एक बड़े पारिवारिक मामले के रूप में देख रहे हैं, जिसमें तेज प्रताप करहल सीट पर सपा के लंबे समय से कब्जे का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि अनुजेश यादव भाजपा के समर्थन से अपनी पैठ बनाने का लक्ष्य रखते हैं.
कौन हैं अनुजेश यादव?
अनुजेश यादव फिरोजाबाद जिले के भरौल गांव के रहने वाले हैं और उनकी शादी मैनपुरी के जिला पंचायत की पूर्व जिला प्रमुख संध्या यादव से हुई है, जो भाजपा की प्रमुख समर्थक रही हैं. यादव परिवार से उनके पारिवारिक संबंध उपचुनाव में जटिलता की एक परत जोड़ते हैं, क्योंकि वे सपा के उम्मीदवार तेज प्रताप यादव के 'फूफा' हैं. भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव का परिवार भी राजनीति में पुराना रहा है. उनकी मां उर्मिला यादव दो बार विधायक रह चुकी हैं और उनकी पत्नी संध्या यादव मैनपुरी की जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. दूसरी ओर, तेज प्रताप यादव पहले से ही समाजवादी पार्टी के एक प्रमुख चेहरे हैं और अपने परिवार के साथ समाजवादी विचारधारा से जुड़े हुए हैं.
करहल सीट सपा का गढ़
करहल सीट पर 1993 से सपा का दबदबा है और 2022 के विधानसभा चुनाव में खुद अखिलेश यादव ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. हालांकि, 2024 में कन्नौज से लोकसभा में जीत के बाद उन्होंने करहल सीट खाली कर दी, जिससे इस उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा भी अवनीश कुमार शाक्य नाम के उम्मीदवार को मैदान में उतारने के बावजूद राजनीतिक विश्लेषक इस मुकाबले को भाजपा और सपा के बीच सीधी लड़ाई के रूप में देख रहे हैं. यादव परिवार के पैतृक गांव सैफई से महज चार किमी दूर स्थित करहल डिंपल यादव के मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का भी हिस्सा है. करहल उत्तर प्रदेश की उन नौ विधानसभा सीटों में से एक है जहां 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं. नतीजे 23 नवंबर को आने हैं.
बसपा ने लड़ाई को और किया रोचक
बसपा के इस कदम को सपा के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, खासकर सपा के जिला प्रमुख एवं विधायक रह चुके आलोक शाक्य के शाक्य वोटों पर कब्ज़ा करने की उम्मीद है.
सियासी पृष्ठभूमि और इतिहास
करहल विधानसभा सीट पर सपा का हमेशा से वर्चस्व रहा है, जहां अखिलेश यादव ने खुद 2022 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की थी. इस बार उपचुनाव इसलिए हो रहा है क्योंकि अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद करहल से इस्तीफा दे दिया था. करहल यादव बाहुल्य क्षेत्र है, जहां यादव मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख से अधिक है. इसके अलावा, शाक्य, ब्राह्मण, और मुस्लिम मतदाताओं का भी प्रभावी योगदान है.
इस तरह करहल उपचुनाव यादव परिवार के दो प्रमुख चेहरों के बीच एक दिलचस्प मुकाबला बन गया है, जहां दोनों पार्टियाँ अपने-अपने दांव पेंच आजमाने में जुटी हुई हैं. इनपुट आईएएनएस से भी