Congress: कुर्बानी, कवायद या कलाकारी? इंडिया गठबंधन में क्यों लगातार कम सीटों पर मान रही कांग्रेस
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Congress: कुर्बानी, कवायद या कलाकारी? इंडिया गठबंधन में क्यों लगातार कम सीटों पर मान रही कांग्रेस

INDIA Alliance Seat Sharing: केंद्र में मोदी सरकार के खिलाफ बने विपक्षी इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस ऐतिहासिक तौर पर कम सीटों पर चुनाव लड़ती जा रही है. लोकसभा चुनाव में फौरी फायदे के बाद सभी विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में कांग्रेस लगातार अपने साथी दलों के सामने सियासी तौर पर पिछड़ती जा रही है.

Congress: कुर्बानी, कवायद या कलाकारी? इंडिया गठबंधन में क्यों लगातार कम सीटों पर मान रही कांग्रेस

Why is Congress Compromising: इंडिया गठबंधन में अगुवाई करने वाली कांग्रेस चुनावों में साथी दलों से पीछे नजर आती जा रही है. क्षेत्रीय दल लगातार कांग्रेस की सीटें कम करते नजर आ रहे हैं. हाल ही में हरियाणा चुनाव में कांग्रेस का कोई गठबंधन नहीं बन सका और जीतती दिख रही बाजी हाथ से छिन गई. वहीं, जम्मू कश्मीर में गठबंधन के जीतने के बावजूद कांग्रेस सरकार से दूर रही. अब महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में उपचुनाव में भी कांग्रेस को सियासी तौर पर अपमान का घूंट पीना पड़ा है.

कांग्रेस की कुर्बानी, कवायद या कलाकारी मानने को लेकर मतभेद 

यूपी उपचुनाव में खाली हाथ रही कांग्रेस को महाराष्ट्र में 100 से भी कम सीटों पर संतोष करना पड़ा. वहीं, झारखंड में भी पिछली बार से एक कम सीट पर समझौता करने को मजबूर होना पड़ा. लगातार कम सीटों पर मान रही कांग्रेस अपने ही बनाए इंडिया गठबंधन में सहयोगी दलों के सामने लाचार दिखती जा रही है. राजनीतिक जानकारों के बीच इसे कांग्रेस की कुर्बानी, सियासी कवायद या कलाकारी मानने को लेकर मतभेद है. हालांकि, सब लोग यह जरूर मानते दिख रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में संजीवनी मिलने के बावजूद कांग्रेस के लिए यह राज्यों में लगातार कमजोर होने का दौर है. 

विधानसभा चुनावों में भी सहयोगी दलों के सामने कांग्रेस का सरेंडर

अपने अब तक के सियासी इतिहास में कांग्रेस सबसे कम लोकसभा सीटों और फिर विधानसभा सीटों पर चुनाव मैदान में उतर रही है. लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस को गठबंधन के चलते मन मारकर समझौता करना पड़ा था और उसका फायदा भी मिला. उसके बाद से विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने लगातार क्षेत्रीय छत्रपों के सामने पूरा सरेंडर कर दिया. जानकारों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के आने के साथ ही देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस बिल्कुल कमजोर होती जा रही है. कांग्रेस के हाथों से केंद्र के साथ ही राज्यों की सत्ता भी छिनती जा रही है.

हरियाणा में लगातार तीसरी बार हार, जम्मू कश्मीर में बाहर से सपोर्ट

हरियाणा चुनाव में 10 साल बाद सत्ता में वापस आती बताई जा रही कांग्रेस पार्टी को जिस तरह से हार का सामना करना पड़ा है, उसने इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों की बारगेनिंग पावर को बढ़ा दिया है. क्षेत्रीय पार्टियों के नेता कांग्रेस की सियासी ताकत पर सवाल खड़े करने लगे हैं. इसी के चलते कांग्रेस को जम्मू कश्मीर में गठबंधन के बावजूद नेशनल कांफ्रेंस की सरकार से भी बाहर रहना पड़ा. कांग्रेस के पिछड़ने का ही नतीजा है कि उसे महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश के उपचुनाव तक में सहयोगियों की शर्तों पर समझौता करना पड़ा.

अपने सियासी इतिहास में सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस

इंडिया गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय छत्रप कांग्रेस को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड में खून का घूंट पीकर साथ चलने पर राजी कर रहे हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्षी महा विकास अघाड़ी की सीट शेयरिंग पर दो दिनों तक चली मैराथन बैठकों के बाद फॉर्मूला तय हो गया. वहीं, झारखंड में सत्तारूढ़ जेएमएम गठबंधन में भी कांग्रेस के लिए सीटों का बंटवारा फाइनल हो गया. वहीं, यूपी उपचुनाव में कांग्रेस के हाथ खाली रहे. सीट शेयरिंग के मामले में महाराष्ट्र, झारखंड और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है.  झारखंड और महाराष्ट्र में भी कांग्रेस अपने सियासी इतिहास में सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है.

उत्तर प्रदेश उपचुनाव में कांग्रेस के हाथ पूरी तरह खाली, ये है वजह

उत्तर प्रदेश की खाली हुई दस विधानसभा सीटों में से 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में पांच सीटों पर उपचुनाव लड़ने की उम्मीद में बैठी कांग्रेस खाली हाथ रह गई. इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस ने भाजपा, आरएलडी और निषाद पार्टी के कब्जे वाली पांच सीटों पर उपचुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा था. इसकी जगह समाजवादी पार्टी की तरफ से कांग्रेस को महज दो सीट गाजियाबाद और खैर ऑफर की गई. कांग्रेस के लिए यह दोनों सीटें निकालना बेहद मुश्किल था. खैर सीट पर 44 साल से और गाजियाबाद सीट पर 22 साल से कांग्रेस जीत नहीं पाई है. सपा के लिए भी ये दोनों सीटें काफी मुश्किल रही है.

यूपी उपचुनाव में सभी 9 सीटों पर सपा का समर्थन करने का फैसला

काफी माथापच्ची के बाद कांग्रेस ने यूपी उपचुनाव में सभी 9 सीटों पर सपा का समर्थन करने का फैसला कर लिया. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार देर रात एक्स पर लिखा कि बात सीट की नहीं जीत की है. इस रणनीति के तहत इंडिया गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर सपा के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ निशान पर चुनाव लड़ेंगे. इंडिया गठबंधन में कांग्रेस और सपा एकजुट होकर, कंधे से कंधा मिलाकर उपचुनाव में जीत का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है. कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ आने से सपा की शक्ति कई गुना बढ़ गई है. 

महाराष्ट्र में पहली बार 100 से भी कम सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बात करें तो महा विकास आघाड़ी में शामिल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी (शरद पवार) के बीच बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने का समझौता हुआ है. मौजूदा समीकरणों के मुताबिक, गठबंधन के बीच सीट-बंटवारे के तहत तीनों पार्टियों ने 85-85 सीटों पर चुनाव लड़ने का फार्मूला बनाया है. बाकी 33 सीटों पर कोई फैसला नहीं हो सका. एमवीए की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा कि हमने गठबंधन के रूप में चुनाव लड़ने के लिए अब तक 270 सीटों पर बात कर ली हैं. हमारे बीच 85-85-85 सीटों के फॉर्मूले पर बंटवारे की सहमति बनी. 

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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार के सियासी दांव से कांग्रेस लाचार

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजे से जोश में आकर राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस गठबंधन का बड़ा भाई बनना चाह रही थी, लेकिन क्षेत्रीय छत्रप उद्धव ठाकरे और शरद पवार के सियासी दांव के सामने उसकी एक नहीं चल सकी. महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस 100 सीटों पर भी नहीं लड़ पा रही है. जबकि, कांग्रेस ने महाराष्ट्र में 105 से 110 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाया था. महाराष्ट्र के चुनावों में इससे पहले कांग्रेस ने 2009 में 170 सीटों पर और 2014 में 287 सीटों पर किस्मत आजमाया था. वहीं, 2019 में 147 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार थे.

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झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पिछली बार से एक सीट कम मिली

झारखंड विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां भी कांग्रेस को गठबंधन में सीटों के समझौते के तहत पिछली बार से एक कम सीट पर संतोष करना पड़ा है.  पिछली बार साल 2019 में कांग्रेस 31 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन इस बार उसे 30 सीटें ही मिली हैं. झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ही इंडिया गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में है. झारखंड में इंडिया गठबंधन में समझौते के तहत कुल 81 विधानसभा सीटों में से जेएमएम 41 , कांग्रेस 30, आरजेडी 6 सीट और भाकपा माले 4 सीट पर चुनाव लड़ रही है.

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