Why India's Share Market Crash: दिवाली बीत गई, लेकिन शेयर बाजार के निवेशकों का दिवाला निकलना बंद नहीं हुआ है. बाजार में जारी बिकवाली ऐसी हावी हुई कि अब तक मार्केट उभर नहीं पाया है.  आज भी जब बाजार खुला तो खुलते ही औंधे मुंह गिर गया. 11 नवंबर, सोमवार को भी बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली, सेंसेक्स 300 अंक से ज्यादा की गिरावट के साथ 79,150 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. वहीं निफ्टी 100 अंक लुढ़ककर 24,050 के स्तर पर कारोबार कर रहा है.  सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 484.98 अंक की गिरावट के साथ 79,001.34 अंक पर पहुंच गया तो निफ्टी 143.6 अंक फिसलकर 24,004.60 अंक तक गिर गया.  बाजार में लगातार गिरावट के बाद से लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिरी बाजार को किसकी नजर लग गई है ? आखिर शेयर बाजार इतना क्यों टूट रहा है ? बाजार का विलेन कौन हैं, जो इसे उठने नहीं दे रहा है ?  


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क्यों लगातार गिर रहा शेयर बाजार  


अमेरिका में डोनाल्ट ट्रंप की वापसी भी हो गई और फेडरल रिजर्व की ओर से महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में कटौती भी की जा रही है, लेकिन इन सबके बावजूद भारतीय शेयर बाजार में जारी गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. सेंसेक्स के गिरने का सिलसिला जारी है.सोमवार को बाजार की खराब शुरुआत से पहले 8 नवंबर को शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ था. सेंसेक्स 55 अंक की गिरावट के साथ 79,486 के स्तर पर बंद हुआ था तो निफ्टी में भी 51 अंक की गिरावट रही थी.  लंबे वक्त से शेयर बाजार में जारी गिरावट के चलते तो निफ्टी 26000 के स्तर को पार कर चुका था, वो गिरकर 24000 के आसपास कारोबार कर रहा है. 


कौन हैं शेयर बाजार का असली 'विलेन' 


अमेरिकी चुनाव के नतीजें या ब्याज दरों में कटौती जैसी खबरें भी बाजार में बिकवाली को रोक नहीं पा रही. दरअसल बाजार में गिरावट की बड़ी वजह संस्थागत विदेशी निवेशकों की बिकवाली है. स्टॉक मार्केट में इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण है FII यानी संस्थागत विदेशी निवेशकों की बिकवाली है. बीते दिनों में फॉरेन इन्वेस्टर्स बाजार से लगातार अपना पैसा निकाल रहे हैं. FII पिछले कई दिनों से शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं और. उसकी बिकवाली का आंकड़ा 1 लाख करोड़ को पार कर चुका है. एनएसई लिस्टेड कंपनियों में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी बीते महीने यानी अक्टूबर में गिरकर 15.98 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो 12 सालों में सबसे खराब है.  


बाजार पर इन फैक्टर्स का निगेटिव असर  


फॉरेन इन्वेस्टर्स के अलावा बाजार में गिरावट के पीछे और भी कारण हैं, जो उसे उठने नहीं दे रहे हैं. जिसमें से एक बड़ा कारण कंपनियों के तिमाही नतीजे हैं. कई बड़ी कंपनियों के खराब रिजल्ट के चलते बाजार पर दवाब हावी है. विदेशी निवेशकों की बिकवाली के अलावा  आरबीआई की चुप्पी ने निवेशकों की टेंशन बढ़ा दी है. फेडरल की ओर से ब्याज दरों में कटौती के बावजूद आरबीआई की ओर से ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि ब्याज दरों में कटौती होगी कि नहीं.  ऐसे में निवेशकों में कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है.  


चीन की बड़ी चाल  


इन सबके बीच चीन ने भी ऐन मौके पर बड़ी चाल चल दी है. चीन ने निवेशकों को लुभाने के लिए बड़े राहत पैकेज का ऐलान कर दिया. वहीं चीनी सरकार की ओर से अतिर्क्त राहत पैकेज 10 लाख करोड़ का ऐलान किए जाने की उम्मीद है. अगर चीन अतिरिक्त राहत पैकेज का ऐलान कर देता है तो भारतीय शेयर बाजार की स्थिति और बिगड़ सकती है. विदेशी निवेशक चीन का रूख कर सकते हैं. जिसके चलते बाजार पर बिकवाली हो सकती है.