दाल में क्यों लगाया जाता है तड़का, स्वाद के साथ बनी रहती है सेहत
दाल में छौंक या तड़का सिर्फ स्वाद के लिए ही नहीं लगाया जाता है बल्कि इसके हेल्दी फायदे भी हैं.
नई दिल्ली : तड़के वाली दाल, अचार और चावल लंच या डिनर में मिल जाए तो पेट के साथ ही आत्मा को भी सुकून मिल जाता है. दाल में छौंक या तड़का सिर्फ स्वाद के लिए ही नहीं लगाया जाता है बल्कि इसके हेल्दी फायदे भी हैं. आयुर्वेद में भी दाल में तड़का लगाकर खाने के फायदे बताएंगे हैं. आपने कभी गौर किया है कि अलग-अलग दाल में छौंक भी अलग तरह से लगाई जाती है.
दाल में लगता हैं कई तरह का तड़का
अरहर की दाल में लगने वाला तड़का अगर लहसुन और अदरक के साथ लगाया जाए तो इससे दाल पेट को नुकसान नहीं करती है. इसी के साथ अरहर की दाल में घी का छौंक लगाने से इसकी तासिर ठंडी हो जाती है. वहीं उरद दाल में सरसों के तेल का छौंक अदरक-लहसुन के साथ लगाने से दाल का बादी पन कम हो जाता है.
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दाल में तड़का लगाने के फायदे
ज्यादातर घरों में दाल में तड़का लगाने के लिए लहसुन का इस्तेमाल किया जाता है. लहसुन इम्यूनिटी बूस्ट करने का कमा करता है. इसके साथ ही इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाया जाता है. इससे इंफेक्शन, सर्दी, खांसी और सिर दर्द जैसी परेशानियां दूर रहती हैं. जीरा, तड़के का सबसे जरूरी हिस्सा है. जीरा अच्छे पाचन के लिए रामबाण उपाय है. जीरे के इस्तेमाल से पेट फूलना, डायरिया, एसिडिटी और अपच की समस्या भी दूर रहती है.
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दाल में करी पत्ते का छौंक
कुछ लोग तड़के में करी पत्ते का इस्तेमाल करना भी पसंद करते हैं. करी पत्ती के इस्तेमाल से कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रहता है. इससे पाचन सही रहता है, डायबिटीज का खतरा दूर होता है और साथ ही ये दिल की सेहत के लिए भी अच्छा होता है. करी पत्तियों में फाइबर, कार्ब्स, विटामिन ई, बी, ए, सी, आयरन, फॉस्फोरस और कैल्शियम भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है. राई के दानों से दाल में तड़का लगाने से मांस-पेशियों का दर्द दूर रहता है और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल रहता है. वहीं हींग का इस्तेमाल जहां स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है, वहीं इसके इस्तेमाल से गैस की प्रॉब्लम भी दूर हो जाती है.