नई दिल्ली: छत्‍तीसगढ़ देश का एक ऐसा राज्‍य है जहां पर खाना कम तेल मसाले और ज्‍यादातर भाप में पका कर बनाया जाता है. गर्मी के दिनों में छत्तीसगढ़ में तसमई बनाई जाती है. दूध और चावल से बनी तसमई काफी हद तक खीर के जैसे होती है जिसे छत्तीसगढ़ में गर्मी और विशेष मौकों पर बनाया जाता है. वहीं देह्रोरी छत्तीसगढ़ का पारंपरिक और गुम होता पकवान है. चावल से बनी ये मिठाई रसगुल्‍लों की तरह होती है. चावल से बने होने के कारण ये नुकसान नहीं करती और इसमें मीठा भी कम होता है. इसे घर पर आसानी से बनाया जा सकता है. इसी तरह छत्तीसगढ़ के ज्यादातर फेमस पकवान पारंपरिक अंदाज में बनाए और खिलाए जाते हैं. 


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उत्‍तर भारत में गर्मी के मौसम में दाल के फरे बनाए जाते हैं क्‍योंकि ये भाप में पकते हैं और पेट को नुकसान नहीं करते. इसी तरह से छत्‍तीसगढ़ में चावल के फरे बनाए जाते हैं. ये फरे दो तरह से बनते हैं मीठे और नमकीन. मीठे फरों को गुड़ में पकाया जाता है तो नमकीन फरों को भाप में पकाने के बाद तड़का लगाकर स्वादिष्ट बना दिया जाता है. हरेली, पोरा, छेरछेरा जैसे पारंपरिक छत्‍तीसगढ़ी त्यौहारों में बनने वाला चौसेला आसानी से घर पर तैयार किया जा सकता है. चौसेला आटे से बनी पूरी होती है जिसे तलकर तैयार किया जाता है. इसे गुड़ और अचार के साथ खाया जाता है. आटे और मैदे की पूरी तो आपने खूब खाई हैं इस बार चौसेला ट्राई करें.



छत्‍तीसगढ़ के पसंदीदा व्यंजन
कढ़ी मूलत: उत्‍तर भारत, पंजाब, राजस्‍थान, एमपी जैसे राज्‍यों में खूब बनाई और खाई जाती है. लेकिन छत्‍तीसगढ़ में भी इसका स्‍वाद खूब पसंद किया जाता है. छत्‍तीसगढ़ में डुबकी कढ़ी यहां के पारंपरिक पकवानों का खास हिस्‍सा है. इसे बेसन से नहीं बल्‍कि उरड़ दाल से बनाया जाता है. चीला सिर्फ उत्‍तर भारत में ही नहीं छत्‍तीसगढ़ में भी खूब पसंद किया जाता है लेकिन इसे बनाने के अंदाज यहां बिलकुल अलग है. यहां पर बनने वाला चीला चावल के आटे से तैयार किया जाता है. उड़द की पीठी या बेसन दोनों से बनने वाला छत्‍तीसगढ़ी भजिया बारिश का मजा दोगुना कर देगा. इसे आसानी से घर बनाया जा सकता है. इस मानसून पकौंड़ों को भजिए से रिप्‍लेस करें.