नई दिल्ली: एक ऑनलाइन फूड डिलीवरी (Online Food Delivery) कंपनी की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस साल लोगों ने ऑनलाइन इतने समोसों का ऑर्डर दिया, जितनी न्यूजीलैंड की कुल आबादी है. समोसों की तरह बिरयानी के लिए भी भारत के लोगों ने दिल खोल कर पैसा खर्च किया और गुलाब जामुन और रसमलाई जैसी मिठाइयां भी भारत के लोगों के मेन्यू (Food Menu) में सबसे ऊपर रहीं.


चाहकर भी समोसे को ना करना 'नामुमकिन'


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इस रिपोर्ट की जो बात नोट करने वाली है, वो ये कि कोविड भी भारत के लोगों को समोसा और बिरयानी खाने से नहीं रोक पाया. इस साल अप्रैल से जुलाई के महीने के बीच जब देश कोरोना की दूसरी लहर से संघर्ष कर रहा था, उस समय लोग अपने घरों में रह कर समोसा, पराठा, बिरयानी और पकौड़े ऑर्डर कर रहे थे. पिछले साल हुए एक सर्वे में भी पता चला था कि भारत के 97% लोग समोसा, पराठा और पकौड़े खाने से खुद को नहीं रोक पाते. इसके अलावा 56% लोग ऐसे भी हैं, जो व्यस्त होने पर भी समोसे और पकौड़ों को ना नहीं कर पाते और इस नई रिपोर्ट में भी यही बताया गया है.


नए ग्राहकों को भी बस बिरयानी ही पसंद आई


इस साल भारत में एक फूड डिलीवरी ऐप (Food Delivery App) को बिरयानी के 6 करोड़ 4 लाख 44 हजार ऑनलाइन ऑर्डर मिले. यानी इस हिसाब से हर मिनट 115 और हर सेकेंड 2 प्लेट बिरयानी लोगों ने ऑनलाइन मंगवाई. इनमें शाकाहारी बिरयानी (Vegetarian Biryani) की तुलना में लोगों ने 5 गुना ज्यादा चिकन बिरयानी का ऑर्डर दिया. इसे कुछ ऐसे समझा जा सकता है कि अगर पूरे साल में 100 शाकाहारी बिरयानी ऑनलाइन मंगवाई गईं तो उसकी तुलना में 500 चिकन बिरयानी मंगवाई गईं. हैरानी की बात ये है कि इस साल इस ऐप पर Login करने वाले 4 लाख 25 हजार नए यूजर्स का पहला ऑर्डर बिरयानी था.


समोसों के प्रति अटूट प्रेम दर्शाता है ये डाटा


बिरयानी के बाद Snacks में सबसे ज्यादा मांग रही समोसों की. 2021 में भारत के लोगों ने 50 लाख समोसे ऑनलाइन मंगवा कर खाए. ये आंकड़ा सिर्फ एक फूड डिलीवरी ऐप से मंगवाए गए समोसों का है. सोचिए अन्य फूड डिलीवरी ऐप्स से कितने समोसे मंगवाए गए होंगे और दुकानों पर जाकर लोगों ने कितने समोसे खाए, उनकी तो इसमें कोई गिनती ही नहीं की गई है. लेकिन फिर भी ये 50 लाख समोसे, पूरे न्यूजीलैंड की कुल आबादी के बराबर है. इससे आप ये समझ सकते हैं कि संख्या की ताकत क्या होती है. भारत के लोगों का समोसा प्रेम आप इसी बात से समझ सकते हैं कि देश में समोसों का सालाना बाजार 27.5 हजार करोड़ रुपये का है और यहां प्रतिदिन 6 करोड़ समोसे खाए जाते हैं.


ये है भारत का टेस्ट


जैसे दक्षिण भारत के पास डोसा है, वैसे ही उत्तर भारत के पास समोसा है और दोनों ही आलू से जुड़े हुए हैं. समोसे के बाद इस लिस्ट में पावभाजी ने भी 21 लाख ऑर्डर के साथ जगह बनाई है. जबकि मिठाइयों में गुलाब जामुन और रसमलाई सब पर भारी पड़े हैं. 2021 में 21 लाख गुलाब जामुन और 12 लाख 70 हजार रसमलाई ऑनलाइन मंगवाई गई. इसके अलावा परांठे और पकौड़े ऑनलाइन ऑर्डर करने का भी ट्रेंड पहले से बढ़ा है.


राजनीति में इस्तेमाल हुई बिरयानी!


भारत में तमाम Multinational Food Companies के आने के बावजूद लोगों के दिलों में बिरयानी, समोसे, परांठे और पकौड़ों की जगह कोई नहीं ले पाया है. इसके पीछे कुछ वजह भी है. बिरयानी भारत में हमेशा से चर्चित डिश रही है. कांग्रेस की सरकारों में मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए बिरयानी पॉलिटिक्स होती थी. यानी लोगों के बीच बिरयानी बंटवाई जाती थी. बिरयानी की डिश को राजनीति में हिन्दू- मुसलमान के आधार पर भी बांटा गया है. लेकिन मौजूदा समय में ये एक सेक्यूलर डिश बनने में कामयाब रही है. अब चिकन बिरयानी जितनी मशहूर है, उतनी ही लोकप्रिय कई शहरों में शाकाहारी बिरयानी भी है.


मेहमानों के स्वागत में समोसे और चाय की परंपरा


इसी तरह की कहानी पराठों की भी है. भारत के लोगों की थाली में पराठा हमेशा आपको मिलेगा. आपने अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा कि घर के बने पराठों का जवाब नहीं है या गरमा-गरम पराठे मिल जाएं तो मजा आ जाएगा. पराठा जितना उत्तर भारत में लोकप्रिय है, उतना ही ये अलग-अलग नामों से दक्षिण भारत में भी खाया जाता है. जैसे समोसा भारत में बहुत लोकप्रिय है. 2013 की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत में मेहमानों को समोसे खिलाने की एक पुरानी परंपरा है. यानी यहां मेहमानों का स्वागत समोसे और चाय से होता है.


इन सभी डिश में एक चीज कॉमन


हालांकि यहां आपके लिए एक एक्स्ट्रा जानकारी ये है कि उत्तर भारत का समोसा हो, दक्षिण भारत का डोसा हो, महाराष्ट्र का वड़ा पाव हो, कश्मीर का दम आलू हो, बंगाल का आलू पोस्तो हो या मणिपुर का इरोम्बा हो, इन सबमें एक चीज कॉमन है और वो है आलू और आज आपको ये बात जानकर काफी हैरानी होगी कि 15वीं शदी तक भारत में आलू आया ही नहीं था.


भारत में ऐसे आया था आलू


500 साल पहले तक आलू का उत्पादन दुनिया के केवल एक देश में होता था और इस देश का नाम है पेरू, जो दक्षिण अमेरिका में स्थित है. साल 1492 में जब इटली के एक खोजी यात्री ने अमेरिका महाद्वीप की खोज की, तब आलू के बारे में पता चला. इसके बाद आलू इटली, स्पेन और Portugal में पहुंच गया. अमेरिकी महाद्वीप की खोज के केवल 6 साल बाद वर्ष 1498 में जब Portugal के नाविक वास्को द गामा (Vasco da Gama) केरल के Calicut तट पहुंचे, तो यूरोप का भारत के लिए समुद्री रास्ता खुल गया और बाद में Portugal के लोग ही आलू भारत लेकर आए. अब क्योंकि उनका नियंत्रण पश्चिमी राज्यों के तटीय इलाकों में था. जैसे बॉम्बे और गोवा, इसलिए वहां आलू को बटाटा कहा जाने लगा. Portuguese भाषा में आलू को इसी नाम से जानते हैं. 


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