नमक और पानी से बनेगी बिजली, एक महीने से ज्यादा जलती रहेगी लाइट, नहीं पड़ेगी चार्जिंग की जरूरत
Salt water technology: इस डिवाइस को काम करने के लिए आधे लीटर सॉल्ट वॉटर की जरूरत पड़ती है और इतने भर से ही ये चार्ज हो जाता है और लाइट जलना शुरू हो जाती है.
Salt water Lamp: दुनियाभर में अरबों की संख्या में ऐसे लोग हैं जो बिना बिजली के घरों में रहने पर मजबूर हैं. दरअसल कुछ इलाके ऐसे हैं जहां बिजली अभी तक नहीं पहुंच पाई है. ऐसे इलाकों में लोगों को काफी मुश्किल भरे हालातों में रहने पड़ता है, बच्चों की पढ़ाई हो या फिर रोजमर्रा के काम हों, कुछ भी करने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे इलाकों में रहने वालों के ले एक कंपनी ने खास प्रोडक्ट तैयार किया है जो बिना बिजली के भी लाइटिंग की जरूरतों को पूरा कर सकता है. इसे चार्जिंग की भी जरूरत नहीं पड़ती है. दरअसल कोलम्बियाई पावर स्टार्ट-अप ई-डीना ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिसकी बदौलत पानी को एनर्जी में बदला जा सकता है और इसका इस्तेमाल लाइट जलाने में किया जा सकता है. दरअसल कंपनी ने वाटरलाइट (Waterlight) तैयार किया है जो असल में एक खास तरह का लैंप है जो बेहद ही दमदार तरीके से लाइट जेनरेट करता है.
कैसे करता है काम
आपको बता दें कि ये पोर्टेबल डिवाइस है जिसे सिर्फ आधा लीटर समुद्री पानी की जरूरत होती है और इसकी बदौलत ही ये लाइट जला सकता है. ये लाइट पूरे 45 दिनों तक जल सकती है जिसका मतलब ये हुआ कि बिजली ना होने के बावजूद भी 45 दिनों तक बिना रुके घरों में रोशनी मिलती रहेगी. ये तकनीक इस टेक्नीक का इस्तेमाल एमरजेंसी में यूरिन से भी किया जा सकता है, हालांकि समुद्री पानी ही इसके लिए काफी है. ये तकनीक सोलर लैम्प से बेहतर है क्योंकि इसमें दिन और रात की फ़िक्र किए बगैर आप एनर्जी जेनरेट कर सकते हैं.
यह कैसे काम करती है ये तकनीक
वाटरलाइट आयनीकरण नामक एक रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से काम करती है जिसके बाद बिजली बनाई जाती है और इससे लाइट जलती है. आपको बता दें कि समुद्री पानी को जब इलेक्ट्रोलाइट्स डिवाइस के भीतर मैग्नीशियम के संपर्क में लाया जाता है तो इससे रिऐक्शन होता है और ये एक मिनी पावर जनरेटर के रूप में कार्य करता है, इसकी मदद से आप अपने स्मार्टफोन समेत कुछ अन्य डिवाइसेज को भी चार्ज कर सकते हैं.
वाटरलाइट डिवाइस वॉटरप्रूफ है और इसे रीसाइकल मटीरियल से तैयार किया गया है. इस लैंप की लाइफ लगभग 5,600 घंटे है, जो कुछ सालों तक इस्तेमाल के बराबर है. इस तकनीक की बदौलत दुनिया के ऐसे इलाकों में बिजली सप्लाई की जा सकती है जहां पर बिजली पहुंचाई ही नहीं जा सकती है. ये तकनीक हजारों परिवारों के घरों को रोशन कर रही है.