हल्दी को भारतीय रसोई का ‘सुनहरी मसाला’ कहा जाता है, सिर्फ भोजन में ही नहीं बल्कि पारंपरिक दवा में भी इसका उपयोग होता है. इसके प्रमुख कंपाउंड करक्यूमिन को शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है, जो शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम करने में सहायक है. लेकिन, एक हालिया अध्ययन ने हल्दी के संबंध में एक गंभीर खतरे का संकेत दिया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

‘साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट’ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत के पटना और पाकिस्तान के कराची व पेशावर में उपलब्ध हल्दी के नमूनों में खतरनाक लेवल का सीसा (लीड) पाया गया, जो कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा निर्धारित सीमा 10 माइक्रोग्राम/ग्राम से 200 गुना अधिक है. गुवाहाटी और चेन्नई में भी हल्दी के नमूनों में सीसा की उच्च मात्रा पाई गई. अध्ययन के अनुसार, हल्दी में सीसे का स्रोत संभवतः ‘लीड क्रोमेट’ है, जो पेंट, प्लास्टिक, रबर और सिरेमिक कोटिंग में प्रयोग होता है.


लीड के नुकसान
लीड एक भारी धातु है जो शरीर में कैल्शियम की तरह व्यवहार करती है और हड्डियों में जमा हो जाती है. लीड के अधिक सेवन से दिमाग, दिल और किडनी पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. इसमें इंटेलिजेंस पर प्रभाव डालने के साथ-साथ हृदय रोग, किडनी फेल्योर और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है. यह बच्चों में सीखने में कठिनाई और मानसिक विकास में रुकावट का कारण बन सकता है, जबकि वयस्कों में थकान, हाई ब्लड प्रेशर और पाचन समस्याएं उत्पन्न कर सकता है.


क्या है समाधान?
विशेषज्ञों के अनुसार, हल्दी का सुरक्षित सेवन सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ताओं को ऑर्गेनिक हल्दी का चयन करना चाहिए और इसे घर पर पीसकर उपयोग करना चाहिए. इससे मिलावट के खतरे को कम किया जा सकता है. साथ ही, सरकार और स्वास्थ्य अधिकारियों से आग्रह किया गया है कि वे हल्दी की सप्लाई चेन में सीसे के उपयोग को रोकने के लिए कठोर कदम उठाएं और जनता को इसके खतरों के बारे में जागरूक करें.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.