E-cigarette: बैन के बाद भी ई-सिगरेट की जद में 23 फीसदी युवा, जान लीजिए इसके नुकसान
ई-सिगरेट यानी इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट बैटरी से चलने वाला डिवाइस होता है, जिसमें निकोटिन के साथ केमिकल्स भरे होते हैं. इसके इस्तेमाल से हमारी सेहत पर कई तरह के नुकसान होते हैं.
वर्ष 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली समिति ने भारत में ई- सिगरेट की बिक्री, भंडारण और निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन एक नए अध्ययन में पता चला है कि अभी भी 23 फीसदी आबादी ई-सिगरेट का इस्तेमाल कर रही है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिक पढ़े लिखे लोग सबसे अधिक इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
अध्ययन का निष्कर्ष जर्नल प्रिवेंटिव मेडिसिन रिपोट्र्स में प्रकाशित किया सिगरेट गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 27% भारतीय आबादी तंबाकू का उपयोग करती है. भारत उन एकमात्र देशों में से एक है, जिसने ई-सिगरेट की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद युवा अभी भी भारत में ई-सिगरेट का उपयोग करने में सक्षम हैं. अध्ययन के मुताबिक, ई-सिगरेट से जुड़े नुकसान के बारे में अधिक गहन निगरानी की जरूरत है. इससे युवाओं में तेजी से प्रसार हो रहे समूहों में कमी लाने में मदद मिलेगी.
आठ फीसदी ने दोनों का किया इस्तेमाल
जनसांख्यिकीय विशेषताओं, ई- सिगरेट और तंबाकू के उपयोग, विज्ञापन के संपर्क में आने के आधार पर 840 युवाओं का सर्वेक्षण किया. 70 फीसदी ने तंबाकू का उपयोग करने की सूचना दी वहीं 23 फीसदी ने ई-सिगरेट का उपयोग करने के बारे में बताया. आठ फीसदी माना कि ई-सिगरेट और तंबाकू दोनों के दोहरे उपयोगकर्ता थे.
गहन निगरानी रखने की जरूरत
द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ, इंडिया के रिसर्च फेलो डॉ. थाउट राज ने बताया कि ई-सिगरेट का उपयोग करने का आम कारण यह है कि एक दोस्त ने उनका इस्तेमाल किया था. इस पर गहन निगरानी भविष्य में बढ़ावा को रोकने में मदद मिलेगी.
दो तिहाई ने माना हानिकारक
अध्ययन के मुताबिक, ई-सिगरेट के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों में से केवल दो-तिहाई लोगों का मानना था कि यह हानिकारक है और इसमें रसायन होते हैं. गैर-उपयोगकर्ताओं में से 31 फीसदी ई-सिगरेट का उपयोग करने के बारे में उत्सुक थे. वहीं 23 प्रतिशत ने अगले वर्ष में उपयोग करने के बारे में जानकारी दी.
क्या है ई-सिगरेट?
ई-सिगरेट यानी इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट बैटरी से चलने वाला डिवाइस होता है, जिसमें निकोटिन के साथ केमिकल्स भरे होते हैं. जब इस्तेमाल करने वाला कश को खींचता है तो डिवाइस से घोल भाप में बदलता है और ई-सिगरेट से धुए की जगह भाप अंदर प्रवेश करती है.
ई-सिगरेट से क्या नुकसान
निकोटिन के साथ केमिकल्स के अंदर जाने से फेफड़ों के कैंसर की आशंका बढ़ सकती है.
ई-सिगरेट में भाप का गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर पड़ता है.
फ्लेवेरिंग से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है. जिससे दिल की बीमारी का खतरा बढ़ता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)